Bhilai Steel Plant में गैस रिसाव, प्रोपेन प्लांट में आग से विस्फोट, रेस्क्यू से बची 5 कर्मचारियों की जान, पढ़िए मॉक ड्रिल में क्या हुआ…

-प्रोपेन प्लांट में आपदा प्रबंधन के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के बेहद खतरनाक श्रेणी (MAH) में आने वाले प्रोपेन प्लांट विभाग में आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करने के लिए एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

प्रत्येक विभाग में आकस्मिक आपदा से निपटने के लिए कुछ प्रोटोकॉल बनाये गए हैं। इस प्रोटोकॉल के जांच हेतु समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है। दुर्घटना के दौरान बचाव कार्य से लेकर दुर्घटना पर काबू पाने जैसे कार्यों को मॉक ड्रिल के माध्यम से बखूबी अंजाम देते हुए, इस योजनाबद्ध अभ्यास को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।

सुबह 11.00 बजे अचानक प्रोपेन गैस का रिसाव शुरू हो गया एवं विस्फोट के कारण एक श्रमिक बुरी तरह आहत हो गया। विभाग की तरफ से तुरंत उस कर्मी को रेस्क्यू किया एवं फायर ब्रिगेड विभाग में अग्निश्मन वाहन व मेन मेडिकल पोस्ट में एम्बुलेंस के लिए फोन किया।

साथ ही साथ दुर्घटना की सूचना प्लांट कंट्रोल, सुरक्षा अभियांत्रिकी, सिविल डिफेंस, पर्यावरण विभाग, कार्य प्रबंधक, सीआईएसएफ कंट्रोल, मुख्य महाप्रबंधक (उपयोगिताएं), मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (अनुरक्षण एवं उपयोगिताएं), कार्यपालक निदेशक (संकार्य कार्यालय) तथा निदेशक प्रभारी कार्यालय में दी गई।

दुर्घटना स्थल पर अग्निश्मन वाहन 5 मिनट एवं एम्बुलेंस 4 मिनट में ही पहुंच गई। चपेट में आए व्यक्ति को उपचार हेतु मेन मेडिकल पोस्ट भेज दिया गया तथा आग पर तुरंत काबू पा लिया गया। साथ ही गैस रिसाव को तुरंत बंद कर कार्य स्थल से सभी 5 कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। 10 मिनट में स्थिति को सामान्य कर विभाग का कार्य पुनः सामान्य रूप से प्रारंभ कर दिया गया।

मॉक ड्रिल रिव्यू मीटिंग के दौरान विभागीय सुरक्षा अधिकारी राजेश कुमार चंद्रा ने बताया कि प्रोपेन गैर विषैली गैस है, जिससे गैस लगने का खतरा तो नहीं होता, लेकिन यह बेहद विस्फोटक गैस होती है।

विभाग प्रमुख महाप्रबंधक (प्रोपेन स्टोरेज एवं डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट) रमेश प्रसाद अहिरवार ने कहा कि मॉक ड्रिल एक सुपर सोनिक औजार है, जो 7-Habits of highly effected people की एक आदत “Sharpen the Saw” की तरह है और व्यक्ति को हर वक्त सुरक्षा के प्रति चौकन्ना व सक्रिय बनाये रखती है।

उन्होंने बताया कि हमारे विभाग में बेहद खतरनाक श्रेणी (MAH) के समस्त अनिवार्य मापदंड (Statuary Parameters) समय पर पूर्ण कर लिए जाते है। मुख्य महाप्रबंधक (उपयोगिताएं) एके जोशी ने मॉक ड्रिल कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए इसकी निरंतरता बनाये रखने पर जोर दिया।

इस दुर्गम स्थिति से निपटने के लिये विभिन्न एजेंसियों के साथ साथ प्रोपेन प्लांट विभाग से केआर चौरेन्द्र, निलेश भांगे, खगपति नाईक, मोहन बिसाई, डीपी सिंह, संतोष उरांव, छोटेलाल, संजय प्रसाद, परदेसी राम देवांगन, नंदी केश्वर तथा पोषण यादव आदि ने अथक प्रयास किया।

 

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