- सोशल मीडिया पर सेल कर्मचारियों का दिख रहा भड़ास, शब्दों से उधेड़ रहे बखिया।
- SAIL ने Q4 और वार्षिक FY24 में लंबी छलांग लगाई और Dividend भी घोषित कर दिए।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) (Steel Authority of India Limited-SAIL) ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही और वर्ष के लिए अपने वित्तीय परिणाम घोषित कर दिए हैं। Financial Year के आंकड़े जारी किए गए। SAIL ने Q4 और वार्षिक FY24 में लंबी छलांग लगाई और Dividend भी घोषित कर दिए। इसके बाद कर्मचारियों ने इस पूरे लेखा-जोखा का पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया। सेल कर्मचारियों ने अपनी टिप्पणी सोशल मीडिया पर करनी शुरू कर दी है। प्रबंधन की नजर में तरीका गलत बताया जा रहा है, जबकि कर्मचारी खुलकर बात रख रहे हैं। सेल कारपोरेट आफिस में बैठे कार्मिक की नजरों से भी यह ओझल नहीं है।
इस खबर में कर्मचारियों के नाम का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। सिर्फ उनकी बातों का ही जिक्र है। एक कर्मचारी ने सबसे पहले जानकारी देते हुए लिखा-PBT 3688 करोड़ और PAT 2733 करोड़ है। मैसेज आया ही था कि तपाक से एक युवा कर्मचारी ने कमेंट किया-जब कैश कलेक्शन 1 लाख 12 हजार करोड़ हुआ तो रेवेन्यू जेनरेशन 1 लाख 5 हजार करोड़ कैसे हुआ? यह पढ़ते ही तरह-तरह के सवाल लोगों के जेहन में आने शुरू हुए।
बकाया अनन्त शून्य में विलीन हो जाएगा…
इसी बीच एक अन्य कर्मचारी ने ज्ञान का पिटारा खोल दिया। कमेंट किया-शुद्ध लाभ/PAT ₹2733 करोड़ के बावजूद एरियर न दिला पाने वाली संयुक्त यूनियन 30 मई के पश्चात कर्मचारियों की नज़र में “अंतिम बार” गिर जाएंगी। 31 मई से एरियर नहीं बल्कि इन यूनियनों से मुक्ति पर चर्चा होनी चाहिए। अन्यथा हमारा बकाया अनन्त शून्य में विलीन हो जाएगा। भड़ास और कटाक्ष के बीच एक और कमेंट आया कि एक वर्ष में इम्प्लाइज बेनिफिट एक्सपेंसेज मद में 305.7 करोड़ रुपया की कमी हुई है।
यूनियन नेताओं पर कटाक्ष, प्रबंधन भक्ति का आरोप
तमाम गुस्सैल वाले शब्दों के बीच एक और कर्मचारी से रहा नहीं गया। उन्होंने लिखा-बेईमान कर्मचारी प्रतिनिधियों को जितना भी डाटा दे दिजिए, फिर भी उनको अपने निजी लाभ के लिए प्रबंधन भक्ति ही दिखाई देती है। लेबर प्रोडक्टिविटी में एक वर्ष में 58 टन क्रुड स्टील प्रति कर्मचारी की बढ़ोतरी हुई है। जो अब 579 टन क्रुड स्टील/मैनपावर तक पहुंच गई है। वहीं, मैनपावर की संख्या कम हुई है। फिर भी ये नेता प्रबंधन के ही सुर में सुर मिलाते हैं।
अंग्रेजों की नीति चल रही है क्या…
गर्मा-गर्म टिप्पणी के बीच अंग्रेजों की नीति भी आ गई। एक कर्मचारी ने भड़ास निकालते हुए लिखा-समान वेज रिवीजन (एमजीबी/पर्क्स/पर्क्स एरियर/पेंशन की लागू तिथि) PBT आधारित बोनस, कंपनी आवास भाड़े पर छूट, टेबल, कुर्सी, मेज़, सोफा इत्यादि के लिए ब्याज रहित एडवांस, गाड़ी-घोड़ा, आकस्मिक चिकित्सा में रेफरल इत्यादि सभी सुविधाएं सभी वर्गों के लिए है, पर इस लोकतांत्रिक देश की सरकारी व्यवस्था में अंग्रेजों की नीति रीति आज भी चल रही है…!
दुर्भाग्य वश एक ही कंपनी में कार्यरत एक वर्ग मौलिक अधिकार समझकर सब कुछ हासिल कर लेता है। वहीं, दूसरा वर्ग मौलिक कर्तव्य समझकर नेताओं को साथ लेकर अपना सब कुछ कुर्बान कर देता है…!