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Bhilai Steel Plant: ठेकेदारों का अधिकारियों पर गंभीर आरोप, सांसद विजय को बताई अंदर की बात

Bhilai Steel Plant: ठेकेदारों का अधिकारियों पर गंभीर आरोप, सांसद विजय को बताई अंदर की बात

भिलाई स्टील प्लांट कांट्रैक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन का दुखड़ा।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। अक्सर ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठती हुई सुनाई देती है। अब ठेकेदार खुद अपनी आवाज उठा रहे हैं। भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं। सांसद विजय बघेल से मिलकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं ताकि रोजी-रोजगार बच सके।

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भिलाई स्टील प्लांट कांट्रैक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि स्थानीय छत्तीसगढ़ी मजदूर एवं स्थानीय ठेकेदार का अंधकारमय भविष्य हो गया है। स्थानीय ठेकेदार एवं मजदूरों में घोर असंतोष व्याप्त हो गया है।

पढ़िए सांसद विजय बघेल को लिखे पत्र का मजमून

विदित हो कि अभी महाप्रबंधक से ऊपर के अधिकारी भिलाई के बाहर से स्थानान्तरण हो कर आ रहें हैं और अपने साथ वहाँ से ठेकेदार भी ला रहें हैं। इसी के कारण सभी जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया हैं। आपसे आग्रह हैं कि आप इस पर पहल करें ताकि स्थानीय मजदूर एवं ठेकेदार अपनी जीविका चला सकें। इसलिए आपका ध्यान निम्न बिन्दुओं पर आकृष्ट करना चाहते हैं।

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चार बिंदुओं में पूरा दुखड़ा सुनाया

01) भिलाई इस्पात संयंत्र के पंजीकृत ठेकेदार अलग-अलग ट्रेड्स (सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, रिफ्राक्ट्री इत्यादि) में पिछले 40 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों से सभी अलग-अलग ट्रेड्स को एक साथ जोड़ कर बाहरी ठेकेदारों को पात्रता प्रदान कर कार्य आवंटित किया जा रहा है, जिसके कारण भिलाई इस्पात संयंत्र के स्थानीय ठेकेदार बेरोजगार होते जा रहें हैं।

02) भिलाई इस्पात संयंत्र में प्रबंधन द्वारा कुशल श्रमिक (skilled worker) का हवाला देकर बाहरी ठेकेदारों द्वारा लाये गए बाहरी श्रमिकों को कार्य में लगाया जा रहा हैं, जिसके चलते स्थानीय श्रमिक बेरोजगार हो रहें हैं।

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03) भिलाई इस्पात संयंत्र में निकलने वाले कार्यों में 60% से 70% कार्य भिलाई के स्थानीय ठेकेदारों को आवंटित/आरक्षित करने की व्यवस्था बनाई जाए।

04) निविदा में पात्रता मानदंड के तहत बाहरी ठेकेदारों द्वारा जमा किये गए दस्तावेजों का उचित जाँच नहीं किया जाता हैं। बैंक गारंटी में भी पक्षपातपूर्ण रवैया भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा अपनाया जा रहा हैं।

बाहरी ठेकेदारों को उसमें छूट दिया जाता हैं जबकि स्थानीय ठेकेदारों से बैंक गारंटी अनिवार्य रूप से जमा कराया जाता हैं।

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