AR Rahman 56th Birthday 2023: ‘अरुणाचलम शेखर दिलीप कुमार मुदलियार’ से अल्लाह रक्खा रहमान और वंदे मातरम तक, पढ़ें स्टोरी

धर्मपरिवर्तन के बाद उन्होंने अपना नाम अल्लाह रक्खा रहमान रख लिया। रहमान ने तमिल, हिंदी तथा कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है।

अज़मत अली, छत्तीसगढ़। AR Rahman 56th Birthday 2023: दुनिया के टॉप-10 म्यूजिक कंपोजर्स में शामिल एआर रहमान 56वां बर्थ-डे मना रहे हैं। दुनियाभर में फैले उनके चाहने वाले भी इस जश्न को अपने तरीके से मना रहे हैं। ‘अरुणाचलम शेखर दिलीप कुमार मुदलियार’ से अल्लाह रक्खा रहमान यानी एआर रहमान तक का सफर काफी संघर्ष भरा है।

शांत स्वभाव के रहमान के चाहने वाले देश और दुनियाभर में भरे हुए हैं। रहमान की ऑफिशियल बायोग्राफी ‘नोट्स ऑफ ए ड्रीम’ में धर्म परिवर्तन की वजह का जिक्र है। उनकी बहन को एक गंभीर बीमारी थी। अरुणाचलम शेखर दिलीप कुमार मुदलियार की मां की मुलाकात एक फकीर से हुई। फकीर की दुआ से रहमान की बहन ठीक हो गई। यही टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। फिर रहमान का फकीर, दरगाह और इस्लाम के प्रति रुख किया।

भारतीय स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर 1997 में “वंदे मातरम्‌” एलबम बनाने वाले एआर रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। 6 जनवरी 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु में इनका जन्म हुआ। परिवार ने उनका नाम ‘अरुणाचलम शेखर दिलीप कुमार मुदलियार’ रखा। धर्मपरिवर्तन के बाद उन्होंने अपना नाम अल्लाह रक्खा रहमान रख लिया। रहमान ने तमिल, हिंदी तथा कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है।

बता दें कि एआर रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। साथ ही पहले भारतीय हैं, जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में संगीत के लिए दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए है। इसी फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार भी दिए गए।

विरासत में मिला संगीत

एआर रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिली है। उनके पिता राजगोपाल कुलशेखर (आरके शेखर) मलयालम फ़िल्मों में संगीतकार थे। रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की। महज 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते थे। वे इलैयराजा के बैंड के लिए भी काम करते थे।

चेन्नई के “नेमेसिस एवेन्यू” बैंड की स्थापना का श्रेय रहमान को ही जाता है। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार भी बजा लेते है। वे सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं। रहमान जब नौ साल के थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और परिस्थितिययां इतनी बिगड़ गई कि पैसों के लिए घरवालों को रहमान के पिता के वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा।

इसी बीच उनके परिवार ने इस्लाम धर्म अपनाया। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहां से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री प्राप्त की।
सायरा बानो से हुआ निकाह

12 मार्च 1995 को चेन्नई में रहमान का सायरा बानो से निकाह हुआ। उनकी दो बेटीयां खदिजा, रहीमा और एक बेटा अमीन हैं। रहमान की पत्नी सायरा बानो की सगी बहन के पति, जिनका नाम भी रहमान है, वे एक दक्षिण भारतीय अभिनेता है। रहमान के भांजे जीवी. प्रकाश कुमार भी एक संगीतकार हैं।

पहली फिल्म में ही रहमान ने फिल्मफेयर पुरस्कार जीता

1991 में एआर रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। 1992 में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोजा में संगीत देने का न्योता दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म में ही रहमान ने फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार के साथ आरंभ हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है।

इन फिल्मों में रहमान का संगीत

तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जीन्स, पुकार, फिज़ा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लमडॉग मिलियनेयर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। “वंदे मातरम्‌” एलबम सबसे सफल रहा।

भारतबाला के निर्देशन में बनी एलबम “जन गण मन”, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया, उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का ट्रुप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी जुड़े

एआर रहमान विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में शामिल हैं। 2004 में रहमान को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बंद करो टीबी, भागीदारी के वैश्विक राजदूत, एक परियोजना के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने बच्चों, भारत बचाओ सहित दान के लिए समर्थन दिखाया गया है और उनके गीत “इंडियन ओशन” के लिए यूसुफ इस्लाम के साथ काम किया है।

पुरस्कारों से भरी पड़ी झोली

-संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए 1995 में मॉरीशस नेशनल अवॉर्ड्स, मलेशियन अवॉर्ड्स।
-फर्स्ट वेस्ट एंड प्रोडक्शन के लिए लारेंस ऑलीवर अवॉर्ड्स।
-चार बार संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता।
-2000 में पद्मश्री से सम्मानित।
-मध्यप्रदेश सरकार का लता मंगेशकर अवॉर्ड्स।
-छः बार तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड विजेता।
-11 बार फिल्म फेयर और फिल्म फेयर साउथ अवॉर्ड विजेता।
-विश्व संगीत में योगदान के लिए 2006 में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से सम्मानित।
2009 में फ़िल्म स्लम डॉग मिलेनियर के लिए गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार।
-ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए ऑस्कर पुरस्कार।
-2009 के लिए 2 ग्रैमी पुरस्कार, स्लम डॉग मिलेनियर के गीत जय हो…. के लिये: सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक व सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत के लिये।

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