भिलाई स्टील प्लांट हादसों की रिपोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार ने बनवाई, पढ़ें हादसों के कारण…
जांच कमेटी ने मजदूरों से भी फीडबैक लिया है। एक-एक प्वाइंट को कैमरे में कैद किया। जांच में ये बातें भी सामने आई है कि समुचित प्रशिक्षण ठेका मजदूरों को नहीं दिया जा रहा है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट-बीएसपी में लगातार चार हादसों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार भी अलर्ट है। राज्य सरकार के सेफ्टी एंड हेल्थ डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर ने खुद दो टीम बनाकर चार दिनों तक बीएसपी को खंगाला। एक-एक खामियों को कलमबंद किया। इस रिपोर्ट को सोमवार के बाद किसी दिन भी सरकार को भेज दी जाएगी। वहीं, स्टील मेल्टिंग शॉप में लेडल गिरने की वजह भी जांच के दौरान सामने आ गई। ब्रेक का मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से लेडल गिरा था। मेंटेनेंस को लेकर भी काफी आपत्ति दर्ज कराई गई है।
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जांच के दौरान खामियों से जुड़ी जो बातें सामने आ रही है, वह बीएसपी की बेचैनी बढ़ाने वाली है। ट्रेनिंग, सुपरविजन और सेफ्टी आफिसर, जांच कमेटी के निशाने पर आ चुके हैं। इन तीनों बिंदुओं पर लापरवाही की बात सामने आई है। जहां, तीन सेफ्टी आफिसर होने चाहिए, वहां एक ही मिले। सेफ्टी आफिसर को जिस स्तर की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए, वह नहीं थी। सेफ्टी आफिसर को लेकर काफी ढिलाई पकड़ी गई है। सुरक्षा अधिकारी प्रशिक्षित नहीं मिले। तमाम सवालों के जवाब नकारात्मक ही मिले हैं।
डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ एंड सेफ्टी केके द्विवेदी ने सूचनाजी.कॉम को बताया कि भिलाई स्टील प्लांट में पहले की तुलना में हादसे निश्चित रूप से कम हुए हैं। पूर्व में एक साल में एक दर्जन से ज्यादा मौत होती थी। वर्तमान में चार-पांच तक हो रही है। इसे भी रोकना है। इसलिए सुरक्षा की सभी प्रक्रिया को निरंतर अपनाने की जरूरत है ताकि हादसे न हो सकें। बीएसपी में सुरक्षा समिति बनी हुई है, लेकिन जिस स्तर का काम होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। कमेटी बनाने मात्र कुछ नहीं होने वाला। इसकी समूचित बैठक और सुझावों पर अमल करने की आदत डालनी होगी। इन विषयों पर सीजीएम आदि वरिष्ठ अधिकारियों को सुझाव भी दिया गया है।
ट्रेनिंग के नाम पर खानापूर्ति की जाए बंद
जांच कमेटी ने मजदूरों से भी फीडबैक लिया है। एक-एक प्वाइंट को कैमरे में कैद किया। जांच में ये बातें भी सामने आई है कि समुचित प्रशिक्षण ठेका मजदूरों को नहीं दिया जा रहा है। दफ्तरों में ट्रेनिंग देने के बजाय कार्यस्थल पर ही फोकस होना चाहिए। हर जॉब का नेचर अलग-अलग होता है। किसी एक स्थान पर दी जाने वाली ट्रेनिंग की बातें कार्यस्थल पर बदल जाती हैं। इसलिए कार्यस्थल पर ही ट्रेनिंग की शुरुआत होनी चाहिए। जांच कमेटी के मुताबिक जिस तरह का काम मजदूरों से लिया जा रहा है, उस तरह की ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है। सुपरविजन की कमी साफ नजर आई है। मजदूर किस तरह का कार्य कर रहे हैं, इसके सुपरविजन में ढिलाई की बात सामने आई है।
मेंटेनेंस और ऑपरेशन में लगाएं सिर्फ स्किल्ड लेबर
जांच कमेटी ने अलग-अलग विभागों के सीजीएम से चर्चा कर डाटा तैयार करने और समुचित ट्रेनिंग पर काम करने का सुझाव दिया है। साथ ही यह भी बोल दिया गया है कि मेंटेनेंस और ऑपरेशन के कार्य में सिर्फ स्किल्ड लेबर ही लगाए जाएं। अनस्किल्ड लेबर को ऑपरेशन और मेंटेनेंस से दूर रखें। इसके अलावा बीएसपी के अधिकारी रोज निगरानी भी रखें।
भोपाल गैस कांड के बाद कानून ने तय की कारखाना प्रबंधक की जवाबदारी
डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ एंड सेफ्टी केके द्विवेदी के मुताबिक सुरक्षा अधिकारियों की जवाबदारी कानून ने तय की है। भोपाल गैस कांड के बाद कानून लाया गया कि कारखाना प्रबंधक पर सुरक्षा की जवाबदारी होगी। खतरनाक कारखाने में सेफ्टी आफिसर होना चाहिए। सेफ्टी आफिसर की जिम्मेदारी है कि वह आंकलन कर सुझाव दे और मजदूरों को प्रशिक्षित करें। इस प्रक्रिया को नियमति अपनाना है। बीएसपी के सुरक्षा अधिकारियों की ड्यूटी और पोजिशन बेहतर नहीं है। संख्या के अनुपात में जहां, तीन की जरूरत है तो वहां एक ही सेफ्टी आफिसर मिले।