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Bhilai Steel Plant: मजदूरों की मजदूरी तक नहीं दे रहे ठेकेदार, डकार गए AWA का पैसा, प्लेट मिल में कामकाज ठप

Bhilai Steel Plant: मजदूरों की मजदूरी तक नहीं दे रहे ठेकेदार, डकार गए AWA का पैसा, प्लेट मिल में कामकाज ठप
  • अलग-अलग यूनियनों ने अलग-अलग माध्यमों से आवाज उठाती रही है। किंतु स्थिति जस की तस है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) से बड़ी खबर आ रही है। ठेकेदारों की दबंगई से क्षुब्ध होकर मजदूरों ने कामकाज ठप कर दिया है। पूरी मजदूरी न देने और एडब्ल्यूए की राशि से वंचित करने का मामला है।

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भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य करने वाले ठेका श्रमिकों को नियम के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाना है। किंतु यहां खबर हमेशा सामने आती रही है कि यह न्यूनतम वेतन किसी भी ठेका श्रमिक को नहीं मिल पाता है, क्योंकि ठेकेदार या तो पैसे कम करके भुगतान करते हैं या फिर पूरा पैसा भुगतान करने के बाद ठेका श्रमिकों को पैसा बैंक से निकाल कर वापस करना होता है। इसके कारण ठेका श्रमिकों को उनके ही मेहनत का पूरा पैसा नहीं मिल पाता है।

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इस संदर्भ में अलग-अलग यूनियनों ने अलग-अलग माध्यमों से आवाज उठाती रही है। किंतु स्थिति जस की तस है, जिसके परिणाम स्वरूप कभी-कभी किसी किसी विभाग में विस्फोटक स्थिति निर्मित हो जाती है, जिसके कारण काम बंद हो जाता है, जो आज प्लेट मिल में घट रहा है।

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आज भी AWA के पैसे के लिए तरसते हैं ठेका श्रमिक

पिछले दिनों ठेका सब कमेटी की एनजेसीएस बैठक दिल्ली में संपन्न हुई, जिसमें भिलाई इस्पात संयंत्र में अभी तक मिल रहे पैसे में इजाफा करते हुए और 1400 की बढ़ोतरी की गई है। किंतु सच्चाई यह है कि ठेका श्रमिकों को इस AWA की राशि का लाभ कभी भी नहीं मिल पाई है, जबकि प्रबंधन की तरफ से यह रकम ठेकेदार द्वारा दिए गए बिल में जोड़कर भुगतान किया जाता है।

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ऑपरेटिंग अथॉरिटी पर उठ रहे हैं बड़े सवाल

प्लेट मिल सहित संयंत्र के विभिन्न ठेका मजदूरों को पूरा वेतन नहीं मिल पाने के मध्य नजर देखा जाए तो यह बात सामने आती है कि ठेका मजदूरों को पूरा वेतन न मिल पाने के पीछे कहीं ना कहीं ऑपरेटिंग अथॉरिटी जिम्मेदार है।

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क्योंकि ऑपरेटिंग अथॉरिटी की जिम्मेदारी है कि वो ठेकेदार द्वारा दिए गए बिल साइन करने के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि ठेकेदार ने ठेका मजदूरों पर बिना किसी दबाव बनाए एवं बिना डराए धमकाए ठेका श्रमिकों को पूरा वेतन भुगतान कर दिया है।

किंतु वास्तविकता यह है कि ठेकेदार तो मास्टर रोल पर ठेका श्रमिकों से साइन करवा के ऑपरेटिंग अथॉरिटी के पास जमा कर देता है। किंतु ठेकेदार ठेका श्रमिकों का पूरा भुगतान नहीं करता है। इसीलिए ऐसी घटनाएं सामने आने पर ऑपरेटिंग अथॉरिटी पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।

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जानिए क्या कहना है कि यूनियन का

सीटू के महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि मजदूरों का शोषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ठेकेदारों की मनमानी पर लगाम लगाना जरूरी है। अन्यथा इसी तरह मजदूरों का शोषण होता रहेगा।

इंटक ठेका यूनियन के अध्यक्ष संजय साहू का कहना है कि मजदूर यूनियन कार्यालय आए थे। प्रबंधन से वार्ता की गई है। फिलहाल, कामकाज चालू हो गया है। एडब्ल्यूए की राशि का लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा है।

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