- 2 वर्ष बाद भी परिवार को नहीं मिली बीमा दावा राशि।
- पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू की मांग बीएसपी कर्मियों की कल्याणकारी संस्था ‘SEWA’ की कार्य प्रणाली को बनाया जाए पारदर्शी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मियों (अधिकारियों एवं कर्मचारियों ) की कल्याणकारी संस्था ‘सेवा’ (SEWA-Steel Employees Welfare Association) की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने की मांग की गई है।
सेवा द्वारा निजी बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लुम्बार्ड (Private insurance company ICICI Lumbard) के साथ कर्मियों के लिए की गई दुर्घटना बीमा अनुबंध की शर्तों की समीक्षा की मांग को लेकर मंगलवार को सीटू प्रतिनिधिमंडल की सेवा के सचिव अमूल्य प्रियदर्शी के साथ बैठक हुई।
SEWA दुर्घटना बीमा के दावा में अपारदर्शी शर्तों से अड़चन
सीटू द्वारा कुछ ऐसे प्रकरणों को प्रबंधन के संज्ञान में लाया गया है, जो ऐसे ही शर्तों के कारण लंबित है। 2 प्रकरणों में तो दावा अस्वीकार कर दिया गया है।
2 वर्ष बाद भी परिवार को नहीं मिली बीमा दावा राशि
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स्वर्गीय राजन मंडावी जिनका 31 दिसंबर 2021 को ड्यूटी जाते समय दुर्घटना होने के पश्चात 4 जनवरी 2022 को देहांत हो गया था, उनके नामित को बीमा राशि का भुगतान सिर्फ इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि उन्हें दावा आवेदन जमा करने में तीन माह से अधिक का समय लग गया।
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दावा आवेदन में विलंब का सबसे प्रमुख कारण था पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने में देरी। इसी तरह स्वर्गीय मोहम्मद सिद्दीकी जिनका 17 सितंबर 2023 को ड्यूटी के पश्चात घर जाते समय सेक्टर 5 जवाहर उद्यान के सामने दुर्घटना पश्चात मृत्यु हो गई थी, के नामित का दावा आवेदन भी अभी तक लंबित है।
आईआरडीए के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन
इस संबंध में इंश्योरेंस रेगुलेटरी एण्ड डेवलपमेंट अथॉरिटी (Insurance Regulatory and Development Authority) ने सभी बीमा कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे सिर्फ सूचना देने या दावा आवेदन जमा करने में विलंब के कारण किसी के दावा को खारिज नहीं कर सकते हैं।
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यदि सूचना देने या दस्तावेजों के साथ दावा आवेदन जमा करने में अपरिहार्य कारणों से विलंब होता है , किंतु अन्य सभी शर्तों का पालन होता हो, तो ऐसे दावा प्रकरणों को अस्वीकार (Reject) करना उचित नहीं है।
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विशेष परिस्थितियों में विलंब क्षमा प्रावधान को शर्तों में शामिल किया जाए
इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के पश्चात आईआरडीए ने सभी बीमा कंपनियों को दिशा-निर्देश जारी किया था कि वह अपने नियम एवं शर्तों में विशेष परिस्थितियों में सूचना देने या दावा आवेदन जमा करने में होने वाले विलंब को क्षमा करने का प्रावधान जोड़े ताकि बीमित व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात दावा निदान को लेकर अनावश्यक विवाद ना पैदा हो।
कर्मियों के चुने हुए प्रतिनिधि ही बने ट्रस्टी
सीटू द्वारा पत्र देकर प्रबंधन से स्पष्ट मांग की गई है कि सेवा के ट्रस्टियों को कर्मियों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए पूर्व की तरह ट्रस्टियों का चुनाव हो और यदि चुनाव संभव ना हो तो गुप्त मतदान से चुनी हुई मान्यता प्राप्त यूनियन द्वारा नामित प्रतिनिधियों को ट्रस्टी बनाया जाए।
एसबीआई सहित अन्य सार्वजनिक उपक्रम बीमा कंपनियों से भी निविदा मंगाई जाए
सीटू द्वारा यह मांग भी की गई है कि नए वर्ष में दुर्घटना बीमा अनुबंध करने के लिए निजी बीमा कंपनियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी जैसे एसबीआई लाइफ, जीआईसी आदि से भी निविदा आमंत्रित किया जाए।