केंद्रीय कर्मचारियों-अधिकारियों को बड़ी राहत, अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट को केन्द्रीय बजट में मिली स्वीकृति

आखिरकार सरकार ने इस न्याय संगत मांग को मान कर सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों को एक बड़ी राहत दी है।

अज़मत अली, भिलाई। केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। अवकाश नगदीकरण को लेकर बड़ा फैसला हो गया है। स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी (SEFI) व एनसीओए (NCOA) की मांग को सरकार ने स्वीकार कर ली है। सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट देने की मांग को केन्द्रीय बजट में स्वीकृति मिल गई है।

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बीएसपी ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सेफी चेयरमेन एनके बंछोर ने सेवानिवृत्ति पर अवकाश नकदीकरण पर दिए गए आयकर छूट पर खुशी जाहिर की है। कहा-यह नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन(एनसीओए) तथा सेफी के लंबे संघर्ष का नतीजा है। हमने सरकार के समक्ष अपनी मांगों को बड़े तार्किक व पुख्ता ढंग से रखा था। साथ ही इस संदर्भ में निरंतर पत्र व्यवहार व बैठकों का दौर जारी था। आखिरकार सरकार ने इस न्याय संगत मांग को मान कर सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों को एक बड़ी राहत दी है।

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विदित हो की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 01.02.2023 को बजट भाषण में, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों की शीर्ष संस्था नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन जिसमें सेफी भी शामिल है, की मांग को स्वीकार कर लिया, जिसमें सेवानिवृत्ति के अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा को मौजूदा 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने की मांग की गई थी।

यह उन लाखों केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्हें अपने अवकाश नकदीकरण का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में चुकाना पड़ता था।

नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन(एनसीओए) एवं स्टील एक्सीक्यूटिव फेडेरेशन आफ इंडिया(सेफी) ने अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार को कई बार आग्रह किया था।

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सेफी एवं एनसीओए ने सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट बढ़ाने की मांग की थी। जो वर्तमान में तीन लाख रूपये है उसे पच्चीस लाख रुपए करने का अनुरोध किया था।

इस तरह समझिए मामले को

विदित हो कि 5वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उच्चतम वेतन लेने वाले शासकीय सेवक, कैबिनेट सचिव, को 30,000 रुपये प्रति माह का मूल वेतन मिलता था। उस समय दस महीने की कुल मूल वेतन 3,00,000 रुपये के बराबर थीं। अब जबकि 6वें और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद, क्रमशः कैबिनेट सचिव को 01-01-2006 से 90,000 रुपये का मूल वेतन और 01-01-2016 से 2,50,000 रुपए मूल वेतन हो गया है।

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तदानुसार दस महीने की कुल मूल वेतन क्रमशः 9,00,000 रुपये एवं 25,00,000 रुपये के बराबर होता है। विदित हो कि अधिनियम की धारा 10(10एए)(ii) के तहत वर्ष 1988 में छूट की सीमा 73,400 रुपये थी जिसे वर्ष 2002 में बढ़ाकर 3,00,000 रुपये किया गया था। इस सीमा को विगत 20 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया था।

एनसीओए एवं सेफी द्वारा सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को न्याय दिलाने का अनुरोध केन्द्र सरकार से किया गया था। सीमा बढ़ाने के लिए अधिनियम की धारा 10(10एए)(ii) के तहत नए राजपत्र अधिसूचना जारी कर, 7वें वेतन आयोग के अनुरूप 01-01-2016 से छूट की सीमा बढ़ाकर 25,00,000 रुपये करने का भी अनुरोध किया था।

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(10एए)(ii) के तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर की छूट दी जा रही है। पंरतु यह छूट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा बैंकों व एल.आई.सी. आदि संस्थानों के कर्मचारियों को समतुल्य छूट नहीं दी जा रही है।

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हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अन्य सभी उद्देश्यों के लिए सरकारी कर्मचारी माना जाता है परंतु जब आयकर में छूट देने की बात आती है तो इस अधिनियम के प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अलग माना जाता है। और इसलिए उनके द्वारा प्राप्त अवकाश नकदीकरण राशि पर अधिक आयकर का भुगतान किया जाता है।

कार्मिकों पर टैक्स के अधिक भार के कारण उत्पन्न भेदभाव

एन.सी.ओ.ए. की सितम्बर 2022 में हुई बैठक में केन्द्र सरकार के कार्मिकों की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों पर टैक्स के अधिक भार के कारण उत्पन्न भेदभाव को समाप्त करने की मांग रखी गई थी।

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने आशा व्यक्त की कि सेवानिवृत्ति के अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा को मौजूदा 3.0 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने की मांग पूरी होने पर उन लाखों कार्मिकों के लिए एक बड़ी राहत मिली है, जिन्हें अपने अवकाश नकदीकरण का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में चुकाना पड़ता था।

आगे और संघर्ष रहेगा जारी

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने भविष्य में भी विभिन्न विसंगतियों को दूर करने हेतु संघर्ष जारी रखने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि सेफी व एनसीओए सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वाजिब मांगों के लिए हमेशा संघर्ष करता रहा है और आगे भी अन्य मुद्दों पर प्रयास करता रहेगा।

वर्तमान में हमारे समक्ष कुछ अन्य विसंगतियों के मुद्दे हैं जैसे केन्द्रीय कार्मिकों को आवास के लिए नोशनल परक्यूसीट टैक्स इत्यादि पर भी टैक्स में छूट प्राप्त है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों को इन मदों पर टैक्स में समान छूट प्राप्त नहीं है। अतः हमारा संघर्ष न्याय संगत मांगों के लिए निरंतर जारी रहेगा।

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