BSP Union Election: रेल मिल, प्लेट मिल, मर्चेंट मिल, वायर राड मिल, बार रॉड मिल, यूनिवर्सल रेल मिल और रोल टर्निंग शॉप के सीटू नेताओं ने बुना चुनावी ताना-बाना
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के मान्यता प्राप्त यूनियन चुनाव की घोषणा तो नहीं हुई, लेकिन तैयारियां सवाब पर हैं। लगातार दो बार पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। चुनाव को लेकर मिल जोन की बैठक यूनियन दफ्तर में मंगलवार शाम हुई। मिल जोन के सचिव जेके वर्मा ने बताया कि सीटू की मिल जोन की बैठक में रेल मिल, प्लेट मिल, मर्चेंट मिल, वायर राड मिल, बार राड मिल, यूनिवर्सल रेल मिल, रोल टर्निंग शॉप के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में मान्यता हेतु गुप्त मतदान के द्वारा यूनियन के चुनाव को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
सीटू ही क्यों विषय पर मंथन
चर्चा के दौरान पदाधिकारियों ने सीटू को मान्यता यूनियन के रूप में चुने जाने के अनेकों कारणों को रेखांकित किया। सभी की बातों को समाहित करते हुए मिल जोन के सहायक सचिव जगन्नाथ त्रिवेदी ने कहा कि सीटू अपनी ईमानदार छवि के लिए जाना जाता है। वही सीटू के द्वारा किए गए कार्य जैसे स्वयं के हस्ताक्षर से मेडिकल कंप्यूटेशन लीव, ‘सीएल-साप्ताहिक अवकाश- सीएल’ वाली व्यवस्था, सीपीएफ मे दलाली को समाप्त कर सीपीएफ लोन का पैसा सीधा बैंक खाते में पहुंचाने की व्यवस्था, मेडिकल रेफरल को आसान बनाने एवं उसमें हो रही दलाली को खत्म करने, ब्लड बैंक बंद होने पर उसे चालू करवाने हेतु किए गए संयुक्त संघर्ष, सेक्टर 7 स्कूल को निजी हाथों में देने से बचाने का काम, सयंत्र के निजीकरण करने के खिलाफ संघर्ष, मजदूर विरोधी NEPP के खिलाफ संघर्ष, काम करने की जनवादी कार्यप्रणाली सहित अनेकों ऐसे काम है जिसे सीटू ने अपनी मान्यता काल से लेकर उसके बाद वाले समय तक करता रहा है। सीटू का यही काम करने का तरीका अन्य यूनियनों से अलग पहचान देता है और दूसरे यूनियनों के लिए भी एक बेंचमार्क स्थापित करता है।
सामने आने लगी है ऐतिहासिक समझौते की हकीकत
सीटू के संगठन सचिव टी. जोगाराव ने कहा कि आधे-अधूरे वेतन समझौते के कारण कर्मियों में निराशा है। कर्मियों को छोटे-छोटे हक एवं अधिकारों के लिए तरसना पड़ रहा है। धैर्य के साथ दबाव बनाते हुए पुरा वेतन समझौता कर सकते थे, पर अन्य यूनियनों के साथियो की अधीरता ने प्रबंधन को खेलने का मौका दे दिया। उसके बाद भी कोई इसे ऐतिहासिक वेतन समझौता कह रहा है तो कोई इसका श्रेय सांसद महोदय को देकर अपनी पीठ थपथपा रहा है। आज आधा अधूरा वेतन समझौता कराने की हकीकत सबके सामने है एवं प्रबंधन इसी अधीरता का लाभ उठाकर मनमानी कर रहा है। यह सब सेल एवं एनजेसीएस के इतिहास में पहली बार हो रहा है। इस सब के बावजूद इस सच्चाई को कोई नहीं नकार सकता कि एनजेसीएस समझौता जहां तक भी पहुंचा है, वह केवल कर्मियों के द्वारा किए गए संघर्षो एवं 30 जून को हुई ऐतिहासिक हड़ताल तथा उस हड़ताल की पीछे मजबूती से खड़े नए एवं पुराने कर्मी के कारण संभव हो सका है।
चुनौती पूर्ण रहेगा इस बार का मान्यता काल
सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खातरकर ने कहा है कि सीटू हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण समय में मजबूती के साथ खड़े होकर संयंत्र एवं कर्मियों के हक में संघर्ष करने के लिए जाना जाता है। मौजूदा समय में चुनौती के रूप में एक तरफ कर्मियों के 39 माह के एरियर्स को हासिल करने, प्रबंधन द्वारा एकतरफा किए गए ग्रेच्युटी सीलिंग को रोकने के लिए संघर्ष करने, मजदूर विरोधी NEPP के खिलाफ संघर्ष सहित कर्मियों के वेतन समझौते से जुड़े हुए लंबित मुद्दे हैं तो दूसरी तरफ संयंत्र में सुरक्षा को लेकर हो रही लापरवाही के कारण बढ़ रहे खतरे। लगातार हो रहे आउटसोर्सिंग तथा संयंत्र के ऊपर मंडरा रहे निजी करण का खतरा है। इसीलिए पिछले वर्षों की तुलना में इस बार का मान्यता काल बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहेगा।
मान्यता जिम्मेदारी होती है स्टेटस नहीं
सीटू नेता डीवीएस रेड्डी ने कहा कि कुछ यूनियनें मान्यता में आने को स्टेटस मानते हैं किंतु सीटू के लिए मान्यता हमेशा से ही जिम्मेदारी रहा है, जिसे सीटू ने अपने कार्यकाल में बखूबी निभाया है। सीटू को भिलाई के कर्मी अच्छे से जानते हैं। इसीलिए इस बार के चुनाव में संयंत्र के कर्मी अपने लिए एक संघर्षशील, जुझारू यूनियन को चुनेंगे।