
- मैनपॉवर का 18% ही डी क्लस्टर में पद होंगे।
- यदि संयंत्र में 100 कर्मी कार्यरत हैं तो उसमें से 18% अर्थात 18 कर्मी डी क्लस्टर में होंगे।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएसपी कर्मचारियों (Employees of Bhilai Steel Plant) के प्रमोशन पर संकट का बादल छाया हुआ है। दावा किया जा रहा है कि अधिकांश कर्मचारी डी कलस्टर में नहीं पहुंच पाएंगे। सीटू ने कहा कि रिवाइस्ड नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी लागू होने के बाद अब जो असर दिखने लगा है।
वह केवल अंगड़ाई है। यदि इस पॉलिसी को रोका नहीं गया तो इसका खामियाजा दिनों दिन बढ़ता चला जाएगा। ज्ञात हो कि जून 2021 में इस पॉलिसी के बनने के बाद सीटू ने इसके नियम और उप नियम को ना केवल कर्मियों के बीच में विस्तार से बताया था बल्कि हस्ताक्षर अभियान चलाया एवं प्रबंधन को देकर लगभग छह माह तक इसे लागू होने से रोक कर रखा।
किंतु जैसे ही यूनियन का मान्यता चुनाव संपन्न हुआ एवं नई मान्यता यूनियन अस्तित्व में आई वैसे ही प्रबंधन ने इसे धीरे-धीरे सभी विभागों में लागू कर दिया, जिसका अब खामियाजा लगभग सभी को भुगतना पड़ रहा है।
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NEPP के तहत अधिकांश कर्मी कभी नहीं पहुंच पाएंगे डी क्लस्टर में
नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी में यह प्रावधान है कि जितने कर्मी सेवारत होगी उतने ही कर्मियों का स्वीकृत मैनपॉवर माना जाएगा एवं उन सभी सेवारत मैनपॉवर का 18% ही डी क्लस्टर में पद होंगे। उदाहरण के लिए यदि संयंत्र में 100 कर्मी कार्यरत हैं तो उसमें से 18% अर्थात 18 कर्मी डी क्लस्टर में होंगे। यदि मान लो 1 साल बाद संयंत्र से 10 कर्मी सेवानिवृत हो जाते हैं एवं 90 कर्मी कार्यरत है तब 90 कर्मियों का 18% अर्थात 16 कर्मी डी क्लस्टर में होंगे।
इसका मतलब यह है कि जैसे-जैसे कर्मी संयंत्र में घटते जाएंगे। वैसे-वैसे डी क्लस्टर में भी कर्मियों की संख्या घटते जाएगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि संयंत्र में जितने भी कर्मी भर्ती होंगे वे नौकरी करते-करते सीनियर तो हो जाएंगे। किंतु सीनियर होने के बाद भी सभी कर्मी डी क्लस्टर तक नहीं पहुंच पाएंगे।
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पहले हुआ करता था एसपीवी
सीटू महासचिव डीवीएस रेड्डी कहते हैं कि पहले एसपीवी पद्धति पर मैनपावर की गणना हुआ करती थी। अर्थात संयंत्र चलाने के लिए जितना मैनपावर की आवश्यकता थी, उसे स्वीकृत पोस्ट माना जाता था। जिसे एस संबोधित करते थे। उसे सैंक्शनिंग मैनपॉवर के बावजूद जितने कर्मी सेवारत रहते थे। उन्हें पोजीशन में माना जाता था, जिसे पी से संबोधित करते थे।
सैंक्शनिंग मैन पावर में से पोजीशन मैन पावर को घटाने के बाद जितने पद रिक्त रहते थे। उन्हें वैकेंसी माना जाता था, जिसे वी से संबोधित करते थे एवं वैकेंसी पदों को भरने के लिए समय-समय पर भर्ती किया जाता था। किंतु नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी में जिन प्रावधानों को किया गया है। उसने सब कुछ उलट पलट कर रख दिया है, जिसमें बहुत से सुधार की आवश्यकता है।
कर्मियों का समर्थन हासिल होने पर किया जाना चाहिए कर्मियों के पक्ष में कार्य
सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि कर्मियों के समर्थन से चुनाव जीतने के बाद कर्मियों के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा काम किया जाना चाहिए। किंतु जिन नीतियों एवं पॉलिसी को श्रमिक वर्ग से जुड़े संगठनों द्वारा विरोध करना चाहिए। वे श्रमिकों के बहुमत हासिल करने के बाद जीते हुए श्रमिक संगठन द्वारा प्रबंधन के साथ मिलकर श्रमिक वर्ग के खिलाफ किसी भी किस्म के नीतियों अथवा पॉलिसी पर समझौता करना दुर्भाग्य जनक है, क्योंकि इसका घातक परिणाम पूरे मजदूर वर्ग को झेलना पड़ता है।