बीएसपी की शिक्षा नीति ने कर्मचारियों के बच्चों को धकेला प्राइवेट स्कूलों की तरफ…गंवा रहे मोटी रकम, प्रबंधन बोला-होने जा रही भर्ती
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने और प्लानिंग की जानकारी लेने के लिए सीटू के पदाधिकारियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। सीटू नेताओं ने कहा कि बीएसपी कर्मी हों या आमजन सभी की आकांक्षा रहती है कि उनके बच्चों की पढ़ाई बेहतर तरीके से हो। इसी उद्देश्य के तहत सीटू की टीम शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की और कहा कि कालांतर में बीएसपी स्कूलों में जिस तरह की व्यवस्था निर्मित हो गई है, वह बीएसपी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के पालको को बेचैन कर रही है। इसीलिए इस व्यवस्था को जल्दी से जल्दी चुस्त-दुरुस्त किया जाए। बैठक में सहायक महासचिव एसएसके पनिकर, डीवीएस रेड्डी, टी. जोगा राव, रुखम सिंह तारम, एसपी डे शामिल थे।
शिक्षकों की कमी के कारण हो रही है अव्यवस्था
सीटू की टीम ने कहा कि प्रबंधन नॉन वर्क्स एरिया में कर्मियों को कम करने के पॉलिसी के तहत बहुत पहले से ही बीएसपी के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती लगभग बंद कर दी है एवं उनके स्थान पर सेवानिवृत्त शिक्षक एवं 2 साल के लिए ट्रेनिंग के नाम पर नौजवान शिक्षकों को ले रही है। किंतु इस बार यह व्यवस्था भी चरमरा जाने के कारण स्कूलों में अफरा-तफरी का माहौल है, जिसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है, क्योंकि शिक्षकों की कमी के कारण अधिकांश स्कूलों में बच्चों के क्लास एक दिन छोड़कर एक दिन लग रहा है। जिसे शीघ्र ठीक करने का आश्वासन भिलाई इस्पात संयंत्र के शिक्षा विभाग ने सीटू की टीम को दिया।
बीएसपी शिक्षा नीति ने लोगों को धकेला निजी स्कूलों की ओर
लगातार सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों के बदले स्थाई शिक्षकों की भर्ती पर पूरी तरह से रोक लगाने के कारण 2 साल के लिए भर्ती होने वाले ओईटीपी एवं ईटीडीएस शिक्षक हमेशा ही 2 साल बाद उनके नौकरी खत्म हो जानने के मानसिक दबाव में कार्य करते हैं। हर 2 साल में शिक्षकों को बदलने की व्यवस्था को देखते हुए पालक भी बीएसपी स्कूलों को लेकर हमेशा संशय की स्थिति में रहते हैं, जिसके नतीजे स्वरूप पालक अपने बच्चों को मोटी फीस देकर निजी स्कूलों में भर्ती कराने के लिए मजबूर होते।
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शिक्षा बजट में नहीं होनी चाहिए कोई कटौती
सीटू नेताओं ने कहा कि उच्च प्रबंधन के साथ बातचीत में प्रबंधन अक्सर यह बोलती है कि शिक्षा, सुरक्षा, टाउनशिप, अस्पताल व्यवस्था, परिजनों से जुड़े हुए कोई भी वेलफेयर के कार्य में बजट की कोई समस्या नहीं है। किंतु शिक्षा व्यवस्था में स्थाई शिक्षकों को भर्ती करने के मामले में खुलकर बजट खर्च करने की बात नजर नहीं आती है। इसीलिए सीटू की यह मांग है कि शिक्षा व्यवस्था में बजट की कमी ना होने की बात जुमला ना होकर वास्तविक धरातल पर दिखे, क्योंकि हर पालक अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर रहता है। बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा गड़बड़ती है तो बच्चों का भविष्य खराब हो जाएगा। इसीलिए कमाई का बड़ा हिस्सा देकर भी निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए मजबूर होते हैं।
कर्मी से अधिकारी बने शिक्षक नहीं लेते हैं क्लास
सीटू के संज्ञान में यह बात भी लगातार आ रही है कि कर्मचारी से अधिकारी बने शिक्षक या तो नाममात्र के लिए क्लास लेते हैं वरना क्लास ही नहीं लेते, जबकि ई-जीरो पॉलिसी में यह स्पष्ट दर्ज है कि कर्मी रहते हुए कर रहे कार्य को अधिकारी बनने के बाद भी करते रहना है। इसीलिए उच्च शिक्षा अधिकारी को इस विषय पर भी ध्यान देना होगा कि कर्मी से अधिकारी बने शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं, ताकि बच्चों एवं स्कूल दोनों का फायदा हो सके।
शिक्षा अधिकारी ने कहा जल्द आ जाएंगे नए शिक्षक
चर्चा के दौरान शिक्षा अधिकारी ने कहा कि किन्हीं अपरिहार्य कारणों से शिक्षकों की नियुक्ति में देरी हुई है। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। जल्द ही शिक्षकों का इंटरव्यू लेकर ट्रेनिंग वाले टीचर एवं सेवानिवृत्त टीचरों को नियुक्त किया जाएगा, जिससे शिक्षकों की कमी वाली समस्या दूर हो जाएगी।