सेल में आंदोलन करने वाले कर्मियों के निलंबन, स्थानांतरण और सजा के आदेश को वापस लेने सभी इकाइयों में सीटू ने किया प्रदर्शन
सीटू महासचिव एसपी डे ने कहा कि 9 नवंबर 2020 से आभासी बैठक द्वारा शुरु की गई वेतन वार्ता में अप्रैल 2021 तक कोई प्रगति नहीं दिखा, बल्कि हठधर्मिता के साथ प्रबंधन की नकारात्मक शर्तों पर चर्चा केन्द्रित रही।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सीटू एवं स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया-एसडब्ल्यूएफआई के आह्वान पर सेल के सभी इकाईयों में प्रदर्शन कर वेतन समझौता वार्ता के दौरान प्रबंधन द्वारा आंदोलनरत कर्मियों पर की गई विद्वेषपूर्ण कार्रवाई से संबंधित निलंबन, दंड एवं स्थानांतरण आदेश वापस लेने की मांग की गई। भिलाई एवं राजहरा माइंस में भी सीटू द्वारा प्रबंधन के माध्यम से सेल चेयरमैन सोमा मंडल को पत्र लिखकर सभी निलंबन, दंड एवं स्थानांतरण आदेश वापस लेने की मांग की गई है।
प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण फूटा था कर्मियों का आक्रोश
सीटू महासचिव एसपी डे ने कहा कि 9 नवंबर 2020 से आभासी बैठक द्वारा शुरु की गई वेतन वार्ता में अप्रैल 2021 तक कोई प्रगति नहीं दिखा, बल्कि हठधर्मिता के साथ प्रबंधन की नकारात्मक शर्तों पर चर्चा केन्द्रित रही। भिलाई सहित सेल के सभी इकाईयों में कर्मियों का स्वतःस्फूर्त आंदोलन शुरु हो गया। सेल कर्मियों के ज्वलंत मांगों पर सकारात्मक रूख अपनाने के बदले प्रबंधन द्वारा कर्मियों का सामूहिक निलंबन के साथ उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, जिसके परिणाम स्वरूप आंदोलन अंततः 30 जून 2021 की हड़ताल में परिवर्तित हुआ।
न्यायोचित मांगों को लेकर आंदोलन करना अपराध नहीं
सीटू अध्यक्ष सविता मालवीय का मानना है कि अपने न्यायोचित मांगों को लेकर धरना, प्रदर्शन हड़ताल आदि को अपराध नहीं माना जा सकता है। यह सब सामूहिक प्रतिरोध के प्रति प्रबंधन के असहिष्णुता को दर्शाता है। कर्मियों को यूनियन गतिविधियों के लिए दण्डित करना कर्मियों के संगठित होने के संवैधानिक अधिकार को नकारना है।
बाधाओं के बावजूद कर्मियों ने रचा कीर्तिमान
संगठन सचिव डीवीएस रेड्डी का कहना है कि श्रम शक्ति की अत्यंत कमी, स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता तथा कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी कर्मियों ने सभी बाधाओं को पार करते हुए उत्पादन को बनाए रखा। कोरोना महामारी एवं लगातार दुर्घटनाओं के दौर में सेल ने वित्त वर्ष 21-22 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ लाभ अर्जित किया है।
