CITU Foundation Day: बच्चों ने भी बयां की राष्ट्र निर्माण में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका, कर्मियों के परिवार ने कहा-हर किसी की जिंदगी से जुड़ा रहेगा सेल

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सीटू ने 53वां स्थापना दिवस मनाया। भिलाई सेक्टर-4 स्थित कार्यालय में ध्वजारोहण किया गया। सीटू पदाधिकारियों ने झंडे को सलामी दी। यूनियन के उद्देश्य और सिद्धांत पर अमल करने का संकल्प लिया। हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन-सीटू द्वारा “राष्ट्र निर्माण में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका” विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।

यूनियन की अध्यक्ष सविता मालवीय ने 52 वर्षों में सीटू के सफर पर संक्षिप्त जानकारी दी। परिचर्चा की विशेषता यह थी कि यह परिचर्चा कर्मियों के परिवार के सदस्यों, गैर कर्मियों एवं युवा कर्मियों के लिए आयोजित की गई थी। परिचर्चा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए यूनियन के संगठन सचिव डीवीस रेड्डी ने कहा कि यह परिचर्चा इसलिए आयोजित की गई है, ताकि सार्वजनिक उपक्रमों की आवश्यकता एवं उपयोगिता को हमारे परिवार के सदस्य, युवा कर्मी तथा आम जनता जिस तरह से महसूस कर रहे हैं, उसे अभिव्यक्त कर सकें।

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लोग पैदल तो कुछ लोग बाइक पर क्यों जाते हैं काम पर

कक्षा 7 में पढ़ने वाली श्रीशी प्रुष्टि ने अनोखे अंदाज में सार्वजनिक उपक्रम और निजी नौकरियों के बीच फर्क को समझाया। उन्होने कहा कि वह खुर्सीपार में रहती हैं और उनके आसपास बहुत से लोग सुबह पैदल कहीं जाते हैं, जब वे अपने बड़े पापा से पूछी कि यह लोग कहां जाते हैं। बड़े पापा ने कहा यह नौकरी पर जाते है। उन्होंने बड़े पापा से पूछा कि यह पैदल क्यों जाते हैं, उनके पास बाइक या गाड़ी क्यों नहीं है। वे झोपड़ियों में क्यों रहते हैं। इनके पास पक्के मकान क्यों नहीं है। उनके पापा ने कहा कि वे प्राइवेट में नौकरी करते हैं, उनको कम तनख्वाह मिलती है। सरकारी नौकरियों के जैसी सुविधाएं नहीं मिलती है। इसलिए वे बाईक में ड्यूटी नहीं जा सकते, कच्चे घरों में रहते हैं।


बीएसपी शालाओं में प्रवेश पाने होती थी कड़ी प्रतिस्पर्धा

युवा कर्मी सतीश बंजारे, सुपर्ना चौधरी, माधवी डे ने कहा कि, एक समय था जब केंद्रीय विद्यालय के बाद सबसे अधिक संख्या में स्कूल संचालित करने वाला संगठन भिलाई इस्पात संयंत्र का शिक्षा विभाग था। इसी तरह हमारा अस्पताल सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में गिना जाता था।

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हर घर में हो एक कार

इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र लीलापद जांगडे ने कहा कि मारुति उद्योग लिमिटेड सार्वजनिक उपक्रम था और इस उपक्रम ने ‘हर घर में हो एक कार’ का नारा देकर अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया था कि भारत में एक सामान्य परिवार के लिए भी कार खरीदना संभव हो।

मुंबई जैसे महंगे शहर में भी 40 किलोमीटर का रेल सफर मात्र 10 में

एम. कॉम की छात्रा अर्चना ध्रुव ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा अब तक निर्माण की गई रेल पातों की कुल लंबाई इतनी है कि इससे पूरी दुनिया को 13 बार लपेटा जा सकता है। पूरा भारत भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा निर्मित रेल पर निश्चिंत होकर यात्रा करता है। आईआईटी की छात्रा शशिकला धीरहे ने आम जनता के लिए सार्वजनिक उपक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज मुंबई जैसे शहरो में भी 40 किलोमीटर की रेल यात्रा मात्र 10 में संभव है और कई उच्च आय वाले लोग भी इतने सस्ते और सुरक्षित साधन का उपयोग करते हैं।

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हर किसी की जिंदगी से जुड़ा हुआ है सेल

अधिकांश वक्ताओं ने सार्वजनिक उपक्रमों के महत्व को बताते हुए इस्पात उद्योग के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र जयराज रेड्डी ने कहा कि इस्पात उद्योग सभी उद्योगों की रीढ़ है। बेंगलुरु की निजी कंपनी में कार्यरत नदीम ने विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका पर प्रकाश डाला। सार्वजनिक उपक्रम के विकास में सेल के योगदान को रेखांकित करते हुए माधवी डे ने कहा कि सेल के योगदान से यह कहावत चरितार्थ हुई है कि ‘हर किसी की जिंदगी से जुड़ा हुआ है सेल’। मैं आशा करती हूं कि ‘हर किसी की जिंदगी से जुड़ा रहेगा सेल’।

सार्वजनिक उपक्रम जन उपयोगी सेवाएं, उत्पादन व पर्यावरण का भी रखते हैं ध्यान

अदिति वर्मा, सुचिता प्रुष्टि, प्रियांश प्रुष्टि,हिमांशी महिलांगे, भूमिका जांगडे ने अपने उद्बोधन से समझाया कि किस तरह से सार्वजनिक उपक्रम आम जनता के लिए उपयोगी है। बिजली उत्पादन, उर्जा, शिक्षा सड़क निर्माण जैसी सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रखते हैं। सभा का समापन करते हुए यूनियन के महासचिव एस पी डे ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि वक्ताओं ने बहुत सामान्य सरल भाषा में सार्वजनिक उपक्रम को समझाया।

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