सेल में बढ़ती दुर्घटनाओं की हकीकत जानने सीटू का राष्ट्रीय नेतृत्व पहुंचा बीएसपी, खामियां उजागर, घटनाक्रम की जानकारी तक नहीं मिली
प्रतिनिधि मंडल में एसडब्लूएफआई सुरक्षा उप समिति के सदस्य प्रद्युत मुखर्जी, एसपी डे, लखनलाल ठाकुर के अलावा एचएसईयू अध्यक्ष सविता मालवीय, सहायक महासचिव जोगा राव एवं अजय सोनी शामिल थे।
स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों ने कार्यवाहक अधिशासी निदेशक से की मुलाक़ात।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सेल के विभिन्न इकाइयों में पिछले कुछ दिनों से दुर्घटनाओं में आई वृद्धि को लेकर स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया गंभीर हो गया है। दुर्घटनाओं में अचानक आई इस वृद्धि के कारणों को जानने एवं रोकने के लिए प्रबंधन से आवश्यक उपाय की मांग करने के लिए सभी इकाइयों के दुर्घटना स्थलों का दौरा करने का निर्णय लिया। इसी कड़ी में एसडब्लूएफआई सुरक्षा उपसमिति द्वारा मंगलवार को भिलाई इस्पात संयंत्र का दौरा किया गया। कार्यवाहक अधिशासी निदेशक (संकार्य) एसएन अबिदी से भेंट की गई। स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इस्पात उद्योग में सीटू संबंद्धित यूनियनों एवं स्वतंत्र यूनियनों का फेडरेशन है।प्रतिनिधि मंडल में एसडब्लूएफआई सुरक्षा उप समिति के सदस्य प्रद्युत मुखर्जी, एसपी डे, लखनलाल ठाकुर के अलावा एचएसईयू अध्यक्ष सविता मालवीय, सहायक महासचिव जोगा राव एवं अजय सोनी शामिल थे।
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सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली की हो समीक्षा
प्रतिनिधि मंडल का मानना है कि सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली की समीक्षा होनी चाहिए, क्योंकि दुर्घटना को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है सूचनाओं का आदान-प्रदान (feedback) और इस मामले में स्पष्ट कमी दिखी। दुर्घटना स्थलों का दौरा करने के पश्चात प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि कहीं दुर्घटना की वास्तविक घटनाक्रम की स्पष्ट जानकारी किसी के पास उपलब्ध नहीं है। कहीं एक तरह की दुर्घटना की पुनरावृत्ति हो रही है तो संवेदनशील प्रचालन कार्यों में न्यूनतम मैनपावर नहीं है।
1 जून के हादसे की वास्तविक घटनाक्रम की नहीं है किसी के पास जानकारी
1 जून की दर्दनाक अग्नि दुर्घटना के बारे में कोई न तो वास्तविक घटनाक्रम की जानकारी दे पाया और न ही आग लगने के कारण के बारे में बता पाया, जिससे स्पष्ट है कि सूचना आदान-प्रदान प्रणाली (Feedback system) काफी कमजोर है। ज्ञात हो कि 1 जून को ब्लास्ट फर्नेस क्रमांक-7 के स्लैग ग्रेन्यूलेशन प्लांट में आग लगने से एक ठेका कर्मी की मृत्यु हो गई थी और एक ठेका कर्मी बुरी तरह झुलस गया था।
पाइपलाइन कलर कोड का नहीं हो रहा अनुपालन
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी गौर किया कि मानक कलर कोड के अनुसार सभी पाइपलाइन का कलर नहीं है। ज्ञात हो कि मानक पाइपलाइन कलर कोड के अनुसार गैस लाइन, एयर लाइन, ऑक्सीजन लाइन, अग्निशमन जल लाइन, कम्प्रेस्ड एयर लाइन, ज्वलनशील रसायनिक द्रव्य लाइन का रंग होना चाहिए, किन्तु ना तो इसका कड़ाई से पालन हो रहा है और ना ही कर्मचारियों के जानकारी के लिए इसे कहीं प्रदर्शित किया गया।
हॉट मेटल हैंडलिंग के दौरान हादसों की पुनरावृत्ति को लेकर उठाया सवाल
प्रतिनिधिमंडल ने हॉट मेटल हैंडलिंग के दौरान होने वाले हादसों के पुनरावृति पर भी सवाल उठाया। प्रतिनिधिमंडल ने इस बात को प्रबंधन के संज्ञान में विशेष रूप से लाया कि एसएमएस-3 में जिन कार्यों को आउट सोर्स में दिया गया है, उनमें हॉट मेटल छलकने, लेडल पंचर, क्रेन हॉयस्ट फेल, लिमिट स्विच फेल आदि की घटनाएं बढ़ी है। एसएमएस-2 में भी जो खतरनाक घटनाएं हुई है, उसका मुख्य कारण अनुरक्षण कार्यों में अनुभवी कुशल स्थाई कर्मियों का न होना है।
विध्वंसक हो सकती था 4 जून का हादसा
सीटू के राष्ट्रीय नेता के साथ कार्यकारिणी की बैठक के दौरान स्टील जोन के सचिव कुंज बिहारी मिश्र ने जानकारी दी कि सीटू के कार्यकाल के दौरान हॉट मेटल क्रेन के बूम के दिशा को बदलने का सुझाव दिया गया था। उस सुझाव को मानने के कारण हादसे के दौरान लेडल गिरने के पश्चात हॉट मेटल उस तरफ बहा जहां कोई कर्मी नहीं बैठते हैं। यदि उल्टे तरफ बहता तो भयंकर आगजनी हो सकती थी, जिसमें तत्काल कई कर्मियों की जाने जा सकती थी।
संवेदनशील प्रचालन एवं अनुरक्षण कार्यों में स्थाई कर्मियों की नियुक्ति सुनिश्चित हो
प्रतिनिधिमंडल ने प्रबंधन से यह मांग की है कि सभी संवेदनशील प्रचालन एवं अनुरक्षण कार्यों की पहचान कर सूचीबद्ध किया जाए एवं उसमें ऐसे कार्यों में आवश्यक योग्यता वाले स्थाई कर्मियों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
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