EPS 95 पेंशनभोगी श्रम मंत्री को हराने की बिछा रहे बिसात, NOTA की बात

पेंशनर्स बोले-सब तय करो और लोकसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल करें, ताकि सरकार को मालूम पड़े कि उम्मीदवार थोड़े वोट से क्यों गिरे।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन पर रार बरकरार है। सरकार और पेंशनर्स के बीच रस्साकसी चल रही है। पेंशन 1000 रुपए की रकम को 7500 रुपए करने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार की तरफ से आश्वासन दिया जा रहा है। अब तक कोई रिजल्ट सामने नहीं आया है।

पेंशनर्स Gautam Chakraborty ने अपने मन की बात सोशल मीडिया पर साझा किया। लिखा-आदर्श आचार संहिता शुरू होने से पहले अंतिम कैबिनेट बैठक 12 मार्च को समाप्त हुई थी। गरीब,बुजुर्ग, मरते EPS 95 पेंशनरों की मांग पर कोई फुसफुसाहट नहीं हुई। मुद्दा विचारणीय तालिका तक नहीं पहुंचा।

अलवर में NAC की छतरी में हमारे भाई-बहनों के लिए काम होगा, श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव के खिलाफ जनमत संग्रह करना, जो वहां से फिर से चुनाव की मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया की मदद इस झूठे के खिलाफ आवाज उठेगी। यह घातक साबित होगी और हमारे साथ उसके अन्याय और हमारे साथ उनके झूठे वादे चुनाव के कुछ हफ्तों में मतदाताओं के सामने बहुत अच्छी तरह से उजागर होंगे।

श्रम मंत्री को हराने की चाल

गुस्सा इतना की पेंशनर्स ने कहा-ईपीएस योगदान, पेंशनभोगी और उनके परिवार के सदस्य श्रम मंत्री को हार का सामना करा सकते हैं। राजस्थान से हारने वाले एकमात्र भाजपा उम्मीदवार बन जाए तो पेंशनर्स को तसल्ली होगी।

इसके बाद, एक पेपर की तरह, वह राज्यसभा मार्ग से होकर मंत्री परिषद तक जाएंगे। ये सब हमारे मधुर बदला होगा, कानूनी तौर पर लिया गया, इस धोखाधड़ी के खिलाफ।

सरकार के खिलाफ नोटा का हथियार बनाने का दांव

वहीं, Mukund Pingale ने नोटा को लेकर पोस्ट किया। पेंशनर्स को सरकार के खिलाफ खड़ा करने का मैसेज साझा किया। लिखा-मुझे अभी लगता है कि ये सरकार से उम्मीद मत करो कि सरकार ईपीएस की पेंशन बढ़ाएगी।

अभी सब पेंशनर्स उनके परिवार,उनके दोस्त सबने तय करो और लोकसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल करें। ताकि सरकार को मालूम पड़े कि अपने उम्मीदवार थोड़े वोट से क्यों गिरे।

अगर NOTA का इस्तेमाल ना होता तो अपना उम्मीदवार जीत जाता। इतनी तो हम सब पेंशनर्स में ताकत है। जो हमे इस्तेमाल करनी होगी, तो हो जाओ तैयार…। सभी ने NOTA का इस्तेमाल करना है। और सबको प्रोत्साहित करना है।

(नोट: पेंशनर्स का यह व्यक्तिगत विचार है, जिसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया है।)