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EPS 95 पेंशनर्स सरकार को भरते थे Super Tax, आज पाई-पाई को मोहताज, पेंशनभोगी वोट बैंक भी नहीं…

EPS 95 पेंशनर्स सरकार को भरते थे Super Tax, आज पाई-पाई को मोहताज, पेंशनभोगी वोट बैंक भी नहीं…
  • ईपीएस पेंशनभोगी वर्तमान में राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक नहीं हैं।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) की आस अब भी बरकरार है। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए को बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। लेकिन, सरकार और ईपीएफओ की तरफ से भाव तक नहीं दिया गया।। इस बात को लेकर पेंशनर्स खासा नाराज चल रहे हैं। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के पोस्ट से विरोध दर्ज कराया जा रहा है। वहीं, पेंशनभोगियों की पीड़ा बयां की जा रही है।

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ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) आंदोलन के एक सक्रिय सदस्य Vilas Ramchandra Gogawale ने फेसबुक पर एक पोस्ट पर कमेंट करते हुए अपना दर्द बयां किया। लिखा-एक हमारा भी जमाना था। सभी EPS 95 पेंशनर्स खुद मेहनत करके सरकार को सुपर टैक्स भी भरते थे। समाज में हमारी इज्जत होती थी। समाज में प्रतिष्ठा थी।

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आज सरकार के पास हर पेंशनर्स के कम से कम पचीस तीस लाख जमा है। इन्हीं जमा हुई खुद की राशि में का कुछ हिस्सा सरकार को मांगते हैं, हम भीख नहीं मांगते। यह बात सरकार को समझ नहं आती। यह ताज्जुब की बात है।

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पेंशनभोगी राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक नहीं

एक अन्य पेंशनर्स ने ईपीएस न्यूनतम पेंशन पर अपना पक्ष रखा। लिखा-ईपीएस पेंशन (EPS Pension) में वृद्धि की संभावना बहुत कम है, जो एक स्व-वित्तपोषित पेंशन योजना है। यदि पेंशन फंड का प्रदर्शन अच्छा है, तो वार्षिक बोनस ही एकमात्र संभावना है।

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सरकारी समर्थन से न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) में वृद्धि एक व्यक्तिपरक संभावना है। यह सरकार की प्राथमिकता और उदारता पर निर्भर करता है। ईपीएस पेंशनभोगी वर्तमान में राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक नहीं हैं।

चुनाव के समय ही सबसे ज्यादा आरोप

रामकृष्ण पिल्लई ने लिखा-चुनाव का समय है। चुनाव के समय में ही सबसे ज़्यादा आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं। धोखाधड़ी से लेकर लूटपाट और छेड़छाड़ से लेकर बलात्कार तक। उनके पास क्या बचा है?

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