Exclusive News: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बंटवारे में एटक का रजिस्ट्रेशन पेपर गायब, अब खुला राज
अज़मत अली, भिलाई। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बंटवारे में ट्रेड यूनियन एटक का रजिस्ट्रेशन पेपर कहीं गुम हो गया है। 22 साल पहले हुए बंटवारे में छत्तीसगढ़ की ट्रेड यूनियनों का पेपर मध्य प्रदेश के इंदौर कार्यालय से रायपुर शिफ्ट किया गया था। इसी दौरान एटक का पेपर कहीं गुम हो गया है। इसका राज अब खुला है। श्रम विभाग के होश उड़े हुए हैं। यूनियन भी तनाव में है।
भिलाई स्टील प्लांट में मान्यता प्राप्त यूनियन का चुनाव होने वाला है। इसके लिए केंद्रीय श्रम विभाग ने एटक से रजिस्ट्रेशन पेपर जमा करने को कहा। यूनियन द्वारा 4 दिसंबर 1992 में राज्य श्रम विभाग के रजिस्ट्रार द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन पेपर की द्वितीय कॉपी को जमा किया गया। केंद्रीय श्रम विभाग ने इसकी जांच के लिए राज्य श्रम विभाग के पास भेजा। वहां इस तारीख को जारी कोई पेपर का साक्ष्य ही नहीं मिला। जबकि रजिस्टर पर 31 अक्टूबर 1992 को जारी द्वितीय कॉपी का जिक्र है।
ये भी पढ़ें—कम्युनिकेशन गैप खत्म करने सभी यूनियन नेताओं के साथ हर महीने बैठेंगे जीएम, जीएम, ईडी और डायरेक्टर इंचार्जhttps://suchnaji.com/gm-cgm-ed-and-director-incharge-will-sit-every-month-with-all-trade-union-leaders-to-end-the-communication-gap/
दोनों ही कॉपी पर द्वितीय सर्टिफिकेट लिखा हुआ है। अगर, किसी एक पर तृतीय लिखा होता तो विवाद हल हो गया होता। यह पेपर कहां गया, इसको लेकर माथापच्ची हो रही है। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के बंटवारे के समय पेपर कहीं गुम हुआ है।
ये भी पढ़ें—सेल के इस स्टील प्लांट में प्रबंधन ने खोली गाड़ी रिपेयर और पंक्चर की दुकान
बता दें कि अगर, पेपर नहीं मिला तो एटक को नया रजिस्ट्रेशन कराना पड़ सकता है। इसके लिए यूनियन के नाम में बदलाव भी करने की जरूरत पड़ेगी। एटक नाम बदलने को तैयार नहीं है। पेपर ही खोजवाने में जुटा हुआ है।
भिलाई स्टील मजदूर सभा-एटक का 1961 में हुआ रजिस्ट्रेशन
महासचिव विनोद कुमार सोनी ने बताया कि भिलाई स्टील मजदूर सभा-एटक का 1961 में रजिस्ट्रेशन हुआ था। बीएसपी की पहली यूनियन एटक ही है। भिलाई स्टील मजदूर सभा का रजिस्ट्रेशन नंबर 445 और खदान एटक का 412 है। इस रजिस्ट्रेशन की द्वितीय कॉपी चार दिसंबर 1992 में ली गई थी। वही, आज तक चल रहा है। एक ही रजिस्ट्रार की साइन, मुहर लगे दो सर्टिफिकेट जारी होने की बात सामने आ रही है। 31 अक्टूबर 1992 को सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारी ने ही चार दिसंबर 1992 को हमें सर्टिफिकेट दिया। चार दिसंबर को जारी होने वाली कॉपी का रिकार्ड विभाग के पास नहीं है। लेकिन दोनों सर्टिफिकेट पर द्वितीय कॉपी लिखा है। इसी को संज्ञान में लेकर केंद्रीय श्रम विभाग ने सवाल उठाया है।