साहब और नेताजी जनरल शिफ्ट तक सीमित, ठेकेदारों का बंगलों पर है आना-जाना, सेल में खाक थमेगा ठेका मजदूरों का शोषण
कर्मचारियों का कहना है कि अगर यह नेता तीनों शिफ्ट ड्यूटी करते तो इन्हें तकलीफ का पता होता। गिनती में तो भिलाई इस्पात संयंत्र में कर्मचारी हैं, लेकिन इन नेताओं के काम का भार एक आम कर्मचारी पर ही पड़ रहा है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड सेल के कर्मचारियों का दर्द कम नहीं हो रहा है। शोषण रोकने की बात हर बार होती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह सिर्फ शब्दों तक सीमित है। शाम ढलने के बाद कार्यस्थल पर कर्मचारियों का कष्ट बढ़ जाता है। इसे देखने और सुधारने वाला कोई नहीं। ज्यादातर श्रमिक नेता और एक्जीक्यूटिव जनरल शिफ्ट तक सीमित हैं। वहीं, ठेका मजदूरों का शोषण रोकने के लिए तमाम दावे सिर्फ कागजी कवायद तक रह जाते हैं। पीड़ित कर्मचारियों का कहना है कि बंगलों पर ठेकेदारों का आना-जाना है। ऐसे में खाक शोषण रूकेगा। पिछले दिनों सांसद विजय बघेल बीएसपी दौरे पर पहुंचे तो मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया। शौचालय में जाकर सांसद ने निरीक्षण किया था। मजदूरों की समस्याओं के समाधान का निर्देश दिया था।
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कर्मचारियों का कहना है कि जनरल शिफ्ट में श्रमिक नेताओं की ड्यूटी रहती है। इन्हीं लोगों ने संयंत्र की सुविधाओं का बंटाधार कर दिया है। भिलाई इस्पात संयंत्र के ज्यादातर ट्रेड यूनियन के लीडर जनरल शिफ्ट में आते हैं। संयंत्र में अपने मातहत अधिकारी को चेहरा दिखाकर निकल जाते हैं, जिसका परिणाम कर्मचारियों की सुविधाओं से कोई लेना देना नहीं रहता। कर्मचारियों का कहना है कि अगर यह नेता तीनों शिफ्ट ड्यूटी करते तो इन्हें तकलीफ का पता होता। गिनती में तो भिलाई इस्पात संयंत्र में कर्मचारी हैं, लेकिन इन नेताओं के काम का भार एक आम कर्मचारी पर ही पड़ रहा है, क्योंकि यह नेता ड्यूटी नहीं करते…। और कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जो अधिकारियों की सेवा कर जनरल शिफ्ट में जगह बना कर अपना समय काट रहे हैं।
कई विभागों में अभी भी नहीं है लेडीज टॉयलेट
खासकर मॉडेक्स यूनिट में महिला कर्मचारियों की ड्यूटी होती है, उनके लिए काफी लंबे समय से लेडीज टॉयलेट की मांग की जाती रही। वह भी कुछ विभागों में बड़ी मुश्किल से बन पाए हैं। बुनियादी सुविधाओं को लेकर जो भी प्रतिनिधि सवाल करते हैं, वह प्रबंधन के टारगेट पर आ जाते हैं। चाहे वह सुरक्षा संबंधित हो या रेस्ट रूम या कैंटीन से संबंधित…। सभी जगह सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति…।
मुखर होकर बोलने वाले श्रमिक नेताओं पर प्रबंधन करता है कार्रवाई
बीएसपी कर्मचारियों का कहना है कि शोषण रोकने के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है। लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लग रही है। सांसद विजय बघेल के दौरे से जहां प्रबंधन सीरियस दिखा। वहीं, ठेका मजदूरों को लेकर कोई फर्क नहीं पड़ा। लोकल मजदूरों का सबसे ज्यादा शोषण हो रहा है। इसके लिए वर्षों से संघर्ष जारी है। शोषण न रुकने का कारण बीएसपी के मजदूर बताते हैं कि बंगलों पर कई ठेकेदारों का आना-जाना रहता था।
ठेका मजदूर भिलाई के आसपास के गांव से बड़ी संख्या में मजदूरी करने आते हैं। लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया गया। उनके लिए मुखर होकर जो यूनियन लीडर संघर्ष कर रहे हैं, उन पर प्रबंधन लगातार कार्यवाही कर रहा है। जनप्रतिनिधियों की ओर से मुद्दा उठता भी है तो वह तात्कालिक होते हैं, लेकिन संघर्ष कर इनके लिए एक व्यवस्था बनाने की कोई भी मांग नहीं कर रहा है। हजारों करोड़ का फायदा देने वाला संयंत्र और उसके कर्मचारियों की यह दुर्दशा। आखिर इस पर कौन सवाल करेगा, लगातार हो रही दुर्घटनाएं और मौत पर कौन बोलेगा?