कोयला सेक्टर में याराना और स्टील में पास मत आना…ट्रेड यूनियनों का यही फसाना…
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के कर्मचारियों के आधे-अधूरे वेतन समझौते पर बढ़ता ज रहा है विवाद।
अज़मत अली, भिलाई। सीटू, बीएमएस, एचएमएस और एटक का याराना आपको देखना है तो कोल इंडिया में देख सकते हैं। कर्मचारियों के हक के लिए ये चारों यूनियनों एक मंच पर हैं। प्रबंधन से बात करने से पहले और बाद में भी एक साथ हैं। कर्मचारियों के वेतन समझौते पर प्रबंधन ने महज तीन प्रतिशत एमजीबी देने का ऑफर दिया, जिसे चारों यूनियनों ने खारिज कर किया। प्रबंधन के इस रवैये से तिलमिलाए चारों यूनियनों ने एकजुटता दिखाते हुए कोयला मंत्री प्राह्लाद जोशी को पत्र लिखा। मुलाकात का समय मांगा है। प्रबंधन के रवैये की शिकायत के साथ आंदोलन का दम भर दिया है। यह आंदोलन किसी दिन भी हड़ताल का रूप ले सकता है।
दूसरी तरफ यही चारों यूनियनें स्टील सेक्टर में दूरी बनाए हुए हैं। एक जनवरी 207 से लंबित वेतन समझौते का एमओयू 2021 में हुआ, लेकिन आज तक 39 माह का बकाया एरियर का भुगता नहीं हो सका। पे-स्केल पर अमल नहीं हो रहा। एलाउंस को लेकर नाराजगी है। एमओयू पर सीटू और बीएमएस ने साइन नहीं किया। एटक और एचएमएस के साथ इंटक ने साइन किया है। यहां एक मंच पर यूनियनें नहीं आ सकीं। विवाद हुआ तो इस्पात मंत्री से मुलाकात के लिए कोई आगे तक नहीं आया। जो अकेले आया, उसे समय नहीं मिला।
बता दें कि कोल इंडिया के कामगारों का वेतन समझौता करने के लिए जेबीसीसीआई की बैठक हैदराबाद में तीन दिन पूर्व हुई। बैठक विफल होने के बाद श्रमिक संगठनों ने कोल इंडिया प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एचएमएस, सीटू, एटक और बीएमएस ने संयुक्त रूप से कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी को चिट्ठी लिखकर कोल इंडिया प्रबंधन के रवैये की शिकायत की है। चिट्ठी में लिखा गया कि जेबीसीसीआई-11 के गठन के बाद से अब तक इसकी पांच बैठकें प्रबंधन एवं ट्रेड यूनियन के मध्य हो चुकी है।
किन्तु इस बेठकों से कोई सकारात्मक परिणाम अब तक नहीं निकल पाया है। ऐसे में कोल इंडिया के कामगार खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और आक्रोशित भी हैं। यदि मजदूरों का आक्रोश बढ़ता रहा तो आगे चलकर यह औद्योगिक अशान्ति का रूप भी धारण कर सकता है। इसलिए उद्योग में शांति कायम रहे तथा वेतन समझोता-11 भी समय पर तथा सम्मानजनक रूप में पूर्ण हो सके।