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नक्सली हमले में 32 कांग्रेसियों के खून से झीरम घाटी हुई थी लाल, जख्म आज भी हरा, भूपेश सरकार 25 को मनाएगी झीरम श्रद्धांजलि दिवस

नक्सली हमले में 32 कांग्रेसियों के खून से झीरम घाटी हुई थी लाल, जख्म आज भी हरा, भूपेश सरकार 25 को मनाएगी झीरम श्रद्धांजलि दिवस
  • झीरम श्रद्धांजलि दिवस 25 मई को। छत्तीसगढ़ को शांति का टापू बनाने दिलाई जाएगी शपथ।

सूचनाजी नयूज, रायपुर। झीरम श्रद्धांजलि दिवस के अवसर पर 25 मई प्रदेश के सभी शासकीय-अर्धशासकीय कार्यालय में झीरम घाटी में शहीद हुए जनप्रतिनिधियों, सुरक्षाबलों के जवानों तथा नक्सल हिंसा में वर्तमान तथा विगत वर्षों में शहीद हुए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष 25 मई को झीरम श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।

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प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी झीरम घाटी श्रद्धांजलि दिवस के दिन शहीदों की स्मृति में सभी शासकीय एवं अर्द्धशासकीय कार्यालयों में दो मिनट का मौन रखा जाएगा। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य को पुनः शांति का टापू बनाने के लिए शपथ भी दिलाई जाएगी। झीरम घाटी श्रद्धांजलि दिवस मनाए जाने के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश के समस्त विभाग, राजस्व मंडल के अध्यक्ष, समस्त विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त और कलेक्टरों को पत्र प्रेषित किया है।

झीरम घाटी कांड छत्तीसगढ़ के लिए एक अंतहीन दर्द की तरह अब भी झीरम के जख्म हरे हैं। आंसुओं और दर्द में आज भी झीरम के पीड़ित डूबे हैं। 25 मई 2013 की शाम को हुए इस हमले में 32 लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। हमले में जान गंवाने वाले ज्यादातर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेता थे, जिनकी स्मृतियां ही आज सबके बीच बाकी रह गई हैं।

यह देश का दूसरा सबसे बड़ा माओवादी हमला बताया जाता है। यह हमला बस्तर जिले के दरभा इलाके के झीरम घाटी में कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर हुआ था। 25 मई को प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज कांग्रेसी विद्याचरण, शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और बहुत सारे नेताओं के साथ यात्रा पर थे।