रिटेंशन और लाइसेंस पर मकान लेने वालों की पेंशन रोककर प्रबंधन बढ़ा रहा टेंशन
रिटेंशन पॉलिसी से जब कर्मचारियों को मकान दिया जाता है, तो बीएसपी प्रबंधन कर्मचारी से 800000 से लेकर 900000 तक जमा करवाती है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएसपी वर्कर्स यूनियन का आरोप है कि प्रबंधन रिटेंशन और लाइसेंस पद्धति के नाम पर कर्मचारियों के साथ तानाशाही कर रही है। जरूरतमंद रिटायर कर्मियों को रिटेंशन और लाइसेंस में मकान देने के नाम पर तंग किया जा रहा है।
वर्षों से बीएसपी में सेवा देने वाले कर्मचारियों का साथ देने के बजाय अन्याय किया जा रहा है। कुछ कर्मचारी अपने परिवारिक या मेडिकल परेशानियों के कारण बीएसपी के मकान को रिटेंशन या लाइसेंस में लेते हैं। समय पर खाली नहीं करने पर बीएसपी प्रबंधन अपनी तानाशाही प्रवृत्ति से उनके एनपीएस नेशनल पेंशन स्कीम से मिलने वाली राशि को रोक देती है, जो कि पूर्णता गलत है। कर्मचारियों ने यूनियन पदाधिकारियों से परेशानी साझा की।
बैठक में यूनियन के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता, महासचिव खूबचंद वर्मा, अतिरिक्त महासचिव दिल्लेश्वर राव, कार्यकारी महासचिव शिवबहादुर सिंह, उपाध्यक्ष अमित कुमार बर्मन, उप महासचिव सुरेश सिंह, जितेंद्र यादव, नरसिंह राव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नोहर सिंह गजेंद्र, सहायक महासचिव प्रदीप सिंह, सचिव मनोज डडडेना, कन्हैया लाल अहिर्रे, संदीप सिंह, विमल पांडे, सुभाष महाराणा, मंगेश गिरी, राजेश यादव, धनंजय गिरी, उमेश गोस्वामी, रवि शंकर सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
रिटेंशन पॉलिसी के तहत नियम
अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता का कहना है कि रिटेंशन पॉलिसी के माध्यम से जब कर्मचारियों को मकान दिया जाता है, तो उसके लिए बीएसपी प्रबंधन कर्मचारी से 800000 से लेकर 900000 तक जमा करवाती है। इसका किसी प्रकार का भी ब्याज कर्मचारी को बाद में नहीं मिलता है। साथ ही 2 नियमित कर्मचारी का भी हस्ताक्षर गवाह के रूप में लेती है, जिससे यदि रिटायर कर्मी मकान न खाली करे तो इन नियमित कर्मियों पर कार्रवाई की जा सके। साथ ही नया किराया भी वसूलती है।
लाइसेंस के तहत मकान देने के नियम
बीएसपी कर्मी लाइसेंस में क्वार्टर लेते हैं तो उनको 500000 तक की राशि जमा करानी होती है। इसके बाद उनसे प्रति माह अलग से किराया भी लिया जाता है। इस 5 लाख की राशि का कोई ब्याज अंत में नहीं मिलता है।
बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने उठाए सवाल
बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने कहा कि रिटेंशन लेने वाले कर्मचारियों से 8 से 9 लाख तक प्रबंधन द्वारा लिया जा रहा है। गवाह के रूप में दो नियमित कर्मचारियों से भी हस्ताक्षर कराया जा रहा है। इसके पश्चात ऐसे कर्मचारियों का नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस ) के तहत मिलने वाली राशि को रोके जाना बहुत ही गलत है। नेशनल पेंशन स्कीम राष्टीय योजना है। इसका लाभ मिलना हर कर्मचारी का अधिकार है। इसे रोकना बहुत ही गलत है।
बीएसपी वर्कर्स यूनियन इस संबंध में क्षेत्र के सांसद के माध्यम से लोकसभा में प्रश्न उठाएगा, क्या एनपीएस की राशि कोई भी कंपनी अपने किसी भी नियम के तहत रोक सकती है? और अगर इसे रोके जाना गलत है तो इस पर क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
लाइसेंस पद्धति पर भी उठा सवाल
यूनियन ने लाइसेंस पद्धति पर भी सवाल उठाया कि जब 400 स्क्वायर फीट में लाइसेंस में मकान लेने वाले कर्मचारियों को पांच लाख रुपया जमा करवाया जाता है, तो जो 400 स्क्वायर फीट से छोटे मकान के लिए डिपोजिट राशि कम किया जाना चाहिए। जिससे कर्मी लाइसेंस में मकान ज्यादा से ज्यादा ले सकें और अवैध कब्जा पर अंकुश लगे।