नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी से चार्जमैन का पद हमेशा के लिए समाप्त, कर्मचारियों ने की बगावत
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट में नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी-एनईपीपी को लागू कर दिया गया है। वरिष्ठता सूची को डिस्प्ले किया गया है। प्रबंधन ने इस पर आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया है। 27 मई तक कार्मिक विभाग में कर्मचारी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
रेल मिल, कोक ओवन सहित कई विभागों में इसे लागू करते ही विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। समझौता पत्र पर हस्ताक्ष करने वाली इंटक यूनियन और उसके नेता कर्मचारियों के निशाने पर है। खास यह कि हस्ताक्षर करने वाली यूनियन के कुछ नेता भी इसके खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं।
इस पूरे मामले को सीटू ने लपक लिया है। संगठन सचिव टी. जोगाराव का कहना है कि चार्जमैन का पद हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। 23 से 28 जून 2021 तक वेतन समझौते की महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी। बैठक लगातार 6 दिनों तक चली, लेकिन इस बीच 25 जून को प्रबंधन की तरफ से मान्यता प्राप्त यूनियन को बुलाया जाता है और यूनियन इस पॉलिसी पर साइन करती है।
सीटू सभी रेल मिल कर्मियों से यह जानना चाहता है कि क्या यह पॉलिसी आप कर्मियों को स्वीकार्य है। इस पॉलिसी पर जिन यूनियन लीडरों ने साइन किया है। साइन करने से पहले इसमें से किसी ने भी आप से बातचीत की है या इसके फायदे नुकसान के बारे में आपसे बैठकर चर्चा की है। अगर नहीं किया है तो फिर आपके सहमति के बिना आपके पदनाम में परिवर्तन कैसे किया जा सकता है। आपके विभाग के जिस पदाधिकारी ने इस एनईपीपी में साइन किया है, उनसे सवाल करें।
कर्मचारी, प्रबंधन और यूनियन से पूछ रहे सवाल
-प्रबंधन का कहना है मान्यता यूनियन के विभागीय लीडरों ने लोगों से चर्चा की है और बहुमत के आधार पर इसे लागू किया जा रहा है।
-कर्मचारियों के तरफ से सवाल पूछे जा रहे हैं कि इससे कितने लोगों को फायदा हो रहा है। कितने लोगों को नुकसान हो रहा है।
-कितने लोगों का सीनियरिटी लॉस हो रही है। वहीं, कर्मचारियों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि मौजूदा चार्जमैनों के सेवानिवृत्त होने के साथ ही चार्जमैन पद समाप्त कर दिया जा रहा है। अभी जो वर्तमान में चार्जमैन हैं, वह अंतिम चार्जमैन होंगे।
-अगर चार्जमैन अनुपस्थित रहता है तो उनकी जगह वरिष्ठ कर्मचारी उनका काम करेंगे। पॉलिसी से कर्मचारियों को किसी भी तरह का फायदा नहीं हो रहा है।
-समझौता पत्र के 9 पेज को जरूर पढ़ें, क्योंकि प्रबंधन इसकी कॉपी भी उपलब्ध नहीं करा रहा था।
-कार्मिक विभाग कहता है कि ऊपर से आदेश आया है यूनियन कि सहमति से साइन हुआ है। विभाग प्रमुख ने दस्तखत कर इसे लागू करने के लिए मंजूरी दे दी है। इसीलिए आदेश निकाला जा रहा है।
दस्तखत करने वाले यूनियन के पदाधिकारी ही नहीं मानते हैं इस पॉलिसी को
जोगा राव का कहना है कि जिस यूनियन ने इस एनईपीपी में साइन किया है। उन्हीं के नीचे के पदाधिकारियों को इसके बारे में जानकारी नहीं थी। ज्यादातर विभागों में उनके विभागीय पदाधिकारी ही इसके विरोध में हैं। उनका कहना है कि ऊपर के पदाधिकारी दस्तखत करने से पहले अपने निचले स्तर के पदाधिकारी एवं सामान्य कार्यकर्ताओं से भी चर्चा नहीं किए हैं। इसके लागू होने से उन्हें भी नुकसान हो रहा है।
तीन साल प्रमोशन के नाम पर झांसा का दिया जा रहा है कर्मियों को
-विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि A से B एवं B से C क्लस्टर में 3 साल में प्रमोशन सिर्फ एक झांसा है। मान्यता यूनियन द्वारा जारी बयान में यह कहा गया है कि A क्लस्टर में 224 कर्मी हैं। B क्लस्टर में 4228 कर्मी हैं, जिन्हें इस पॉलिसी से लाभ मिलेगा।
-वास्तविकता यह है कि इन कर्मियों में अधिकांश कर्मियों के पास आईटीआई या डिप्लोमा इंजीनियर की तकनीकी योग्यता है, जिसके कारण वे पहले से ही 3 वर्ष में पदोन्नति के हकदार हैं।
-ज्ञात हो कि 2016 में ‘सेल’ कारपोरेट कार्यालय से जारी पदोन्नति नीति के अनुसार 4 अक्टूबर 2008 के पश्चात संयंत्र में भर्ती होने वाले सभी कर्मी जिनके पास तकनीकी योग्यता है, वे A क्लस्टर से B क्लस्टर तथा B क्लस्टर से C क्लस्टर में 3 वर्ष में अपग्रेड होने की पात्रता रखते हैं।
-मान्यता यूनियन द्वारा हस्ताक्षर किए गए समझौता से सिर्फ उन कर्मियों को लाभ होगा, जो अनुकंपा नियुक्ति के तहत संयंत्र में भर्ती हुए हैं। जिनके पास कोई तकनीकी योग्यता नहीं है। ऐसे कर्मियों की संख्या लगभग 250 है।
नहीं मालूम रेल मिल में कितनों को मिलेगा 3 साल में प्रमोशन
सीटू नेता ने कहा कि रेल मिल में कितने कर्मचारीयों को एनइपीपी लागू होने के बाद 3 साल में प्रमोशन मिल रहा है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। न ही प्रबंधन और न ही दस्तखत करने वाले यूनियन नेता रेल मिल में इस बात का खुलासा कर पा रहे हैं कि कितने कर्मियों को इस पालिसी के लागू होने के बाद फायदा होगा। कितने कर्मी अपनी सीनियारिटी को खो देंगे। ऐसे में इस पॉलिसी को क्यों थोपा गया है।
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