Privatization Of FSNL: 43 साल से मुनाफा कमाने वाली एफएसएनएल की संपत्ति कर्मचारी हैं, आज इन्हीं का भविष्य अंधकारमय
हजारों नियमित एवं ठेका श्रमिकों का जीवन यापन एफएसएनएल पर निर्भर है। निजीकरण से श्रमिकों व उनके परिवारों के रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड-एफएसएनएल पर संकट छाया हुआ है। मुनाफा कमाने के बावजूद इसे बेचने पर सरकार तुली हुई है। कर्मचारी और अधिकारी इसको बचाने की हर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है। राजनीतिक, सामाजिक और कर्मचारी संगठनों ने भी एफएसएनएल को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
एफएसएनएल भिलाई के कार्मिकों ने अपना दर्द सूचनाजी.कॉम से साझा किया। सरकार की सोच और परिवार पर छाए संकट को लेकर अपना दुखड़ा सुनाया है। वरिष्ठ कार्मिक अशोक मिश्र बताते हैं कि सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण का निर्णय केंद्र सरकार के द्वारा विभिन्न कारणों को ध्यान में रखकर लिया जाता है। फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड के निजीकरण की प्रक्रिया के कारण वर्तमान में कार्यरत कर्मियों का भविष्य अधर में अटका हुआ है।
भारत सरकार को अपनी संपत्ति को निजी हाथों में बेचने का पूर्ण अधिकार है, किन्तु सेवारत कर्मियों को विस्थापित कर अन्य उपक्रमों में समायोजित करने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए। कर्मचारियों से सम्बंधित स्पष्ठ गाइडलाइन जारी करके निजीकरण के संशय को दूर किया जाना चाहिए। फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड एक लाभदायक उपक्रम है और इसका भविष्य भी उज्जवल है। अतः इसका निजीकरण फायदेमंद सौदा नहीं होगा।
ठेका श्रमिक पंकज कुमार साहू का कहना है कि हजारों नियमित एवं ठेका श्रमिकों का जीवन यापन एफएसएनएल पर निर्भर है। इसके निजीकरण से श्रमिकों एवं उनके परिवारों के रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा।
पर्सनल डिपार्टमेंट की कनिष्ठ प्रबंधक सुनीता पंडित ने कहा कि एफएसएनएल, जो सदैव से ही मुनाफे में रहा है, जिसकी वजह से सरकार पर कभी भी कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। उस कंपनी को बेचने का निर्णय क्यों लिया गया? यह समझ से परे है। कौन इस तरह का सुझाव देता है, जो देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
एफएसएनएल के बसंत बहरे बताते हैं कि फेरो स्कैप निगम लिमिटेड विगत 43 साल से लाभप्रद कंपनी है, जिसका सरकार द्वारा निजीकरण करना उचित नहीं है। मनीष कुमार ने भविष्य की चिंता व्यक्त की।
कहा-FSNL एक पूर्ण सेवा प्रदाता संगठन है, जिसकी मुख्य संपत्ति उसके कर्मचारी हैं और इन्हीं कर्मचारियों का भविष्य आज अंधकारमय है। क्या यही सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करने का तरीका है? एफएसएनएल के पास कोई भी स्थायी सम्पत्ति नहीं। अतः इसका विनिवेश करना सही नहीं है।