झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस की समस्याओं का बोकारो प्रबंधन के सामने खुला पिटारा, कई मुद्दे हल करने का वादा, सोनू और रामकेश की वापसी पर चर्चा
बोकारो से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर खदानों में बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे कर्मचारियों का दुखड़ा सार्वजनिक रूप से सबके सामने आया।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। आरएमडी टूटने के बाद झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस की पहली बैठक में समस्याओं का पिटारा खुला। कर्मचारियों की बातों को सुना गया और सेकंड आफ में प्लांट विजिट कराया गया। ईडी पीएंडए और ईडी माइंस की मौजूदगी में कर्मचारी प्रतिनिधियों ने प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी। खामियों की बखिया उधेड़ी। बोकारो से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर खदानों में बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे कर्मचारियों का दुखड़ा सार्वजनिक रूप से सबके सामने आया। सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ 10 प्रतिशत के बजाय आठ प्रतिशत दासा दिए जाने पर सभी यूनियनों ने खुलकर आवाज उठाई।
बुधवार को बोकारो में आयोजित बैठक में प्रबंधन ने बचाव में कुछ बोलना शुरू किया तो यूनियनों ने दस्तावेज प्रस्तुत किए। प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि वेज रिवीजन के बाद से ऐसा किया गया है। वहीं, यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन है कि 10 प्रतिशत से कम दासा दे ही नहीं सकते हैं। ऐसे में कर्मचारियों को आठ प्रतिशत किस आधार पर दिया जा रहा है। आर्थिक रूप से नुकसान क्यों कराया जा रहा है।
वहीं, लोडिंग में स्थाई कर्मचारी के बजाय ठेका मजदूरों को लगाने का भारी विरोध किया गया। प्रबंधन को चेतावनी दी गई कि इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। ठेका मजदूरों से काम नहीं करवाने देंगे। उत्पादन लक्ष्य कर्मचारी ही हासिल करेंगे। पिछला उत्पादन लक्ष्य 4.6 एमटी का था। इसका 88 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जा चुका है। किरूबुरू, मेघातुबुरू, चिड़िया और गुआ माइंस के कर्मचारी और अधिकारी वर्ग के प्रतिनिधि बोकारो पहुंचे हुए हैं। बैठक में ईडी माइंस जयदीप दासगुप्ता, ईडी पीएंडए संजय कुमार, किरूबुरू के सीजीएम कमलेश राय, डीजीएम पीएंडए अमित कुमार विश्वास, झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के पीएंडए एस पंडा, किरूबुरू के सीएमओ डाक्टर मुन्ना कुमार उपस्थित रहे।
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ किरूबुरू से अनिल शर्मा-उपाध्यक्ष, राजेंद्र सिंधरिया-महामंत्री, सुनील कुमार पासवान-संयुक्त महामंत्री, एचएमएस से आरसी प्रधान, सीटू से बदन गिरी, इंटक चौबे गुट से कर्नेश जराई, इंटक दुबे गुट से नीतिन कुमार, सरोज पांडेय मौजूद रहे। वहीं, मेघातुबुरू से झारखंड मजदूर संघर्ष संघ से उपाध्यक्ष अमरनाथ यादव, सचिव इंतखाब आलम, इंटक चौबे गुट बिरबल कुमार, धीरज कुमार के अलावा अन्य यूनियनों से वीर सिंह मुंडा, घटवारी, जी.फिलमौन, भोलादास, अमित झा आदि मौजूद रहे।
एनजेसीएस, निलंबन और घर वापसी का मुद्दा
स्थानीय यूनियन नेताओं ने नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री-एनजेसीएस को लेकर सवाल उठाया। कहा-एनजेसीएस में रिटायर्ड सदस्यों को शामिल क्यों किया गया है। वर्तमान में जो कर्मचारी हैं, उन्हें ही एनजेसीएस का सदस्य बनाया जाए। कर्मचारियों की पीड़ा को समझने वाला ही एनजेसीएस में शामिल हो। साथ ही माइंस से एनजेसीएस में हिस्सेदारी की मांग की गई। सेल इकाइयों में हड़ताल के दौरान निलंबित, ट्रांसफर और सजा की मार झेल रहे कर्मचारियों की तत्काल बहाली की मांग की गई। बोकारो के कर्मचारी आर सोनी को भद्रावति, बीएसपी के रामकेश मीणा को चेन्नई भेजने पर आपत्ति दर्ज कराई गई। इन्हें तत्काल पुराने कार्यस्थल पर लाने की मांग की गई। इसी तरह निलंबित कर्मचारियों की बहाल का भी मुद्दा उठाया गया।
मीटिंग से जुड़ी इन बातों को भी जानिए
-आरएमडी टूटने के बाद पहली बार प्रबंधन और कार्मिक प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई।
-एटक को छोड़कर आठ यूनियनों के प्रतिनिधिया शामिल हुए। हर यूनियन से तीन-तीन प्रतिनिधि पहुंचे थे।
-दासा 10 प्रतिशत के बजाय 8 प्रतिशत क्यों दिया जा रहा है। इसके खिलाफ खुलकर आवाज उठाई गई।
-जीएम पीएंडए हरिमोहन झा ने श्रमिक नेताओं को जानकारी दी कि पे-रिवीजन के बाद 8 प्रतिशत हो गया है।
-खदान में नियमति कर्मचारियों की भर्ती की जाए। ठेका मजदूरों को भी मेडिकल, आवास की सुविधा दी जाए।
-अस्पताल के डाक्टरों का रवैया ठीक नहीं है। दवाइयां नहीं मिल रही है। डाक्टरों के बीच गुटबाजी है। स्त्री रोग विशेषज्ञ की भर्ती की जाए।
-2500 नियमित कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन साढ़े 400 ही बचे हैं। स्थायी कर्मचारियों का काम ठेका मजदूरों से लिया जा रहा है।
-भर्ती में स्थानीय को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। ऑल इंडिया स्तर पर भर्ती होने से ये वंचित हो रहे।
-सिविल वर्क आधा-अधूरा होता है। क्रमबद्ध तरीके से काम नहीं करते हैं।