अग्निपथ योजना के खिलाफ भिलाई में प्रदर्शन, बेरोजगार चौक पर खड़े होकर बेरोजगारी पर सरकार को कोसा
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की सामाजिक प्रतिष्ठा एक भूतपूर्व सैनिक की है, लेकिन अग्निपथ योजना द्वारा 4 वर्ष पश्चात जिन 75% सैनिक निकाल दिए जाएंगे, उन्हें क्या कहा जाएगा भूतपूर्व सैनिक या निष्कासित सैनिक?
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन (सीटू) व स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर बेरोजगार चौक सिविक सेंटर पर अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। वक्ताओं ने कहा कि अग्निपथ योजना के अग्नि को अगर नहीं रोका गया, तो हम सब इसके आग में जलकर भस्म हो जाएंगे। जिन नीतियों का अब तक सरकारी प्रतिष्ठानों और सार्वजनिक उपक्रमों में प्रयोग हो रहा था, उसे अब सेना में प्रयोग करने की विध्वंसकारी कोशिश शुरू हुई है।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने का अरमान, तैयार नहीं है सहने अग्नीपथ का बाण
माकपा नेता डीवीएस रेड्डी ने कहा कि 4 वर्ष के लिए भारतीय सेना में भर्ती होने वाले वीरों का दर्जा (status) क्या होगा? क्या उद्योगों में जिस तरह से फिक्सड टर्म एम्पलायमेंट लाया गया है, उसी तर्ज पर सेना में भी संविदा सैनिकों की भर्ती होगी? भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की सामाजिक प्रतिष्ठा एक भूतपूर्व सैनिक की है, लेकिन अग्निपथ योजना द्वारा 4 वर्ष पश्चात जिन 75% सैनिक निकाल दिए जाएंगे, उन्हें क्या कहा जाएगा भूतपूर्व सैनिक या निष्कासित सैनिक? मातृभूमि के लिए त्याग, तपस्या और बलिदान के अरमानों के साथ सेना में भर्ती होने वाले नौजवानों का इस तरह का अपमान राष्ट्र स्वीकार नहीं करेगा।
बिगड़ सकता है सेना में सामुदायिक संतुलन
वरिष्ठ माकपा नेता राम निहोर ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था के तहत भारतीय सेना में सभी प्रांतों एवं क्षेत्रों से भर्ती होती है। जैसे पंजाब रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, यूपी रेजीमेंट, मद्रास रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट आदि। किंतु अग्निपथ योजना में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। इस योजना के पश्चात सेना में सामुदायिक संतुलन बिगड़ जाएगा। ऐसे सीमावर्ती प्रांतों से नौजवान अधिक रहेंगे, जहां नौकरियों के अन्य साधन कम है एवं सेना में भर्ती होने हेतु आवश्यक प्रशिक्षण के साधन उपलब्ध हैं।
पूर्व थल सेना प्रमुख का बयान गंभीर संकेत
अताउर्रहमान ने कहा कि पूर्व थलसेना प्रमुख एवं वर्तमान केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह द्वारा दिए गए इस बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए कि इस योजना में वे शामिल नहीं थे। इस योजना के धरातल पर आने के पश्चात इसकी वास्तविकता का पता चल पाएगा। जरा विचार कीजिए, कि ऐसे मंत्री जो पूर्व सेना प्रमुख भी रहे है। इस योजना की वास्तविकता से अनभिज्ञ क्यों है?
सेना में सवा लाख से अधिक पद रिक्त क्यों?
सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खातरकर ने कहा कि सेना में सवा लाख से अधिक पद रिक्त है। ऐसे में रिक्त पदों को ना भरकर अग्निपथ योजना के नाम पर अस्थाई सैनिकों की भर्ती के पीछे का मकसद है रक्षा बजट में कटौती। क्या इस तरह की कटौती राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं है?
ये खबर भी पढ़ें: सेल के कर्मचारी रात गुजारते हैं मौत के बेड पर…
सेना में निर्मित हो सकती है अस्थिरता
एमआर पाटिल बोल-नौसेना एवं वायु सेना में उच्च उत्कृष्टता की आवश्यकता होती है जिसे कठिन चयन प्रक्रिया से गुजर कर भर्ती होने वाले नौजवान कई वर्षों के अनुभव से हासिल करते हैं। क्या 4 वर्ष में तैयार हुए अनुभवी उत्कृष्ट सैनिकों को हटाकर नए सैनिक भर्ती करने से अस्थिरता पैदा नहीं होगी। क्या इस तरह की अस्थिरता राष्ट्र हित में है।
बार-बार ठेका कर्मियों को बदलने से उत्पन्न अस्थिरता का एहसास है औद्योगिक कर्मियों को
सीटू महासचिव एसपी डे ने कहा कि उद्योग में कार्य करने वाले सभी कर्मियों को इस बात का एहसास है कि उच्च दक्षता की आवश्यकता वाले उत्पादन प्रक्रिया में अल्प अंतराल में ठेका कर्मियों को बदलने से किस तरह की खतरनाक अस्थिरता पैदा होती है। क्या इस तरह की खतरनाक अस्थिरता सेना में स्वीकार की जा सकती है? इसी तरह के कई सवाल है जिस पर देश के हर नागरिक को चिंतन करना चाहिए और इस योजना को वापस करवाने के लिए हर स्तर पर विरोध और प्रयास करना चाहिए।