- कोल इंडिया के तर्ज पर सेल के अंदर भी कर्मी अपनी ताकत को पहचान कर अपने हिस्से के संघर्ष को करते हुए आंदोलन में उतरते हैं तो निश्चित रूप से बोनस के लिए हुए कार्मिक विरोधी फॉर्मूला को बदला जा सकता है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल बोनस (SAIL Bonus) का मुद्दा हर स्तर पर छाया हुआ है। सेल (SAIL) के सभी प्लांट में कर्मचारी यूनियनों की तैयारियों ने प्रबंधन को भी तनाव में डाल दिया है।
छोटे-छोटे स्तर पर कर्मियों के बीच सीटू (CITU) के बैठकों का सिलसिला चल रहा है। इसी दौरान बैठक में चर्चा करते हुए कर्मियों ने पूछा कि 8 फरवरी 2023 को हुए एग्रीमेंट के कारण ही प्रबंधन ने खाते में 23000 बोनस डाल दिया है तो क्या इस फॉर्मूले को बदल पाना संभव है।
इस पर सीटू नेता (CITU Leaders) ने कहा पिछले दिनों कोल इंडिया में हुए एग्रीमेंट पर भी वहां के प्रबंधन ने एक तरफा रोक लगाने का प्रयास किया था, जिसके विरोध में कर्मियों को एकत्रित कर सभी यूनियनों ने एक स्वर में तीन दिन की हड़ताल का आह्वान किया था। जिसकी ताकत को देखते हुए कोल इंडिया प्रबंधन को झुकना पड़ा।
यदि सेल के अंदर भी कर्मी अपनी ताकत को पहचान कर अपने हिस्से के संघर्ष को करते हुए आंदोलन में उतरते हैं तो निश्चित रूप से बोनस के लिए हुए कार्मिक विरोधी फॉर्मूला (Formula) को बदला जा सकता है।
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बस हमें इस बात को मजबूती से समझना होगा कि बिना संघर्ष किया कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। अर्थात हमारे सामने अपने हक को पाने के लिए संघर्ष ही एकमात्र हथियार है।
लगातार हो रही है द्विपक्षीय वार्ता समिति को कमजोर करने की साजिश
चर्चा के दौरान कर्मियों ने पूछा कि किसी अन्य पीएसयू में इस तरह का एक तरफा फैसला हुआ है क्या? यदि नहीं तो फिर सेल प्रबंधन इतनी बेतुके तरीके से क्यों पेश आता है। इस पर सीटू नेता ने कहा कि लंबे संघर्ष एवं कुर्बानियां के बाद 70 के दशक में NJCS का गठन किया गया था, जिसमें वेतन समझौते एवं कर्मियों से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा कर समाधान निकाला जाता रहा है।
किंतु मौजूदा केंद्र सरकार ने जिस तेजी के साथ श्रम कानून को बदलकर उसे उद्योगों पर लागू करवा रही है, उससे आने वाले दिनों में द्विपक्षीय वार्ता समिति भी खतरे में पड़ जाएगा। इस वेतन समझौता में अफॉर्डेबिलिटी क्लास (Affordability Class) लागू करना, 39 महीने का एरियर नहीं देना, ग्रेच्युटी सीलिंग कर देना आदि बदलाव की झलक है।
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क्या अराजकता पैदा करने की कोशिश हो रही है सेल में
सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी का कहना है कि 70 महीना बीत जाने के बावजूद सेल में अभी तक वेतन समझौता को पूर्ण नहीं किया जा सका। सर्वसम्मति की परिपाटी को खत्म करते हुए बहुमत का खेल शुरू किया गया।
वेतन समझौता के लिए बहुमत बनाकर जिस एमओयू पर हस्ताक्षर करवाया गया, उसमे तय किए गए मुद्दों को भी अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।
39 महीने का एरियर्स अभी भी बकाया है, रात्रि पाली भत्ते पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। हाउस रेंट अलाउंस मुद्दा अभी भी लंबित है। संयंत्र में नई भर्ती पर रोक लगा हुआ है।
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वहीं, विभागों को आउटसोर्स किया जा रहा है। इन सबके बीच कर्मियों को पहले से प्राप्त सुविधाओं से लेकर मिलने वाले बोनस में की जा रही कटौती से ऐसा महसूस होता है कि केंद्र सरकार से लेकर सेल प्रबंधन तक सब मिलकर सुनियोजित तरीके से जानबूझकर सेल के अंदर अराजकता की स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है, ताकि सेल को विखंडित किया जा सके अथवा बेचा जा सके।
इन सबके बीच सेल के सभी इकाइयों में कर्मियों की सुविधाओं को बनाए रखने एवं सेल को विखंडित होने से बचाने के लिए कर्मियों के बीच सीधी बातचीत कर फीडबैक लेने एवं कर्मियों को आंदोलन के लिए तैयार करने का अभियान शुरू हो चुका है।