सेल कर्मचारी अगले प्रमोशन के लिए अपात्र, गुलामी पर हुआ हस्ताक्षर
सीटू का इंटक पर पलटवार, कहा-कर्मियों व यूनियनों का सामना करने से बचते-बचाते इंटक अब ले रहा झूठ का सहारा
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी-एनईपीपी को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं। इस प्रमोशन पॉलिसी में अगले प्रमोशन के लिए कर्मचारी अपात्र हो जाएंगे, ऐसा दावा किया जा रहा है। पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू का दावा है कि इंटक ने गलत समझौता किया है। सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खातरकर का कहना है कि प्रमोशन के समय पिछले 3 वर्ष के मूल्यांकन में किसी भी कर्मी को किसी भी वर्ष सी मिलने पर वह अगले प्रमोशन के लिए अपात्र हो जाएगा। इसी तरह पिछले 3 सालों तक किसी भी कर्मी को लगातार बी मिलने पर उस कर्मी के अगले प्रमोशन के लिए अपात्र होने की शर्त जोड़ना कर्मियों के गुलामी पर हस्ताक्षर करना है। इसे इंटक ने जाने-अनजाने में कर दिया है। अब उस गलती को मानने तथा उस पर पुनः समीक्षा कर उसे बदलने के बजाय उसे जायज ठहराना कर्मियों की प्रबंधन के सामने गुलामी की स्थिति बनाने के सिवाय कुछ भी नहीं है।
नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी-एनईपीपी का विवाद बढ़ता जा रहा है। सीटू ने इंटक पर पलटवार किया है। कहा-25 जून 2021 को तत्कालीन मान्यता यूनियन इंटक एवं प्रबंधन के बीच हुए एनईपीपी समझौते को लागू करने के साथ ही पैदा हुए विसंगतियों के कारण संयंत्र के कर्मियों को नुकसान हो रहा है। कर्मियों व यूनियनों का सामना करने से बचते-बचाते इंटक अब झूठ का सहारा लेकर अन्य यूनियनों पर हमला करते हुए अनर्गल प्रचार करना शुरू कर दिया है।
हर जगह मिल रहा है मुंहतोड़ जवाब
सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खातरकर ने कहा कि रेल मिल ही नहीं इंटक को संयंत्र के अंदर हर विभाग से नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी पर मुंहतोड़ उत्तर मिल रहा है। सभी विभागों के कर्मियों ने लिखित में इस पॉलिसी को न लागू करने की बात प्रबंधन के सामने रखी है। यहां तक कि इनके कोषाध्यक्ष के कार्यरत विभाग रोल टर्निंग शॉप में भी इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है, जिसके चलते वहां के विभाग प्रमुख ने उनके विभाग में इसे लागू करने पर अपनी सहमति नहीं दी है।
सीटू के सहायक महासचिव टी. जोगाराव ने कहा कि नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी को बिना पढ़े अथवा बिना सोचे समझे हस्ताक्षर करने का ही नतीजा है कि आज एक तरफ कर्मी बुरी तरह से फंस रहे हैं। वहीं, हस्ताक्षर करने वाले यूनियन के जमीनी स्तर के नेता खुद ही इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं। इंटक के बड़े नेता मजबूरी में इस पॉलिसी को जायज ठहरा रहे हैं।
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इंटक के कार्यकाल में रुका कर्मियों का 3 डीपीसी
इंटक के द्वारा दिए गए बयान पर ही सवाल खड़ा करते हुए सीटू नेता जोगाराव ने सवाल किया कि दिसंबर 2020 तथा जून 2021 एवं दिसंबर का डीपीसी नहीं होने की बात कहने वाले इंटक नेता इस बात का जवाब दे कि उनके कार्यकाल में जब डीपीसी रुक रहा था तथा कर्मी प्रमोशन से वंचित हो रहे थे तो वह किस बात का इंतजार कर रहे थे। सीटू इस बात को पहले ही कह चुका है कि डीपीसी को प्रबंधन एवं तत्कालीन मान्यता यूनियन ने जानबूझकर रोका था, ताकि कर्मियों के बीच असंतोष बढ़ सके। उसका फायदा उठाकर सुनियोजित तरीके से नई नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी को ला सके, ताकि प्रबंधन यूनियन का सहारा लेकर अपनी मर्जी के शर्तों को डालकर कर्मियों पर अपना शिकंजा कस सके।
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प्रमोशन व पदनाम के अंतर को नहीं समझ पा रहा है इंटक
इंटक नेताओं ने रेल मिल में 229 कर्मियों को प्रमोशन मिलने की बात कही है। इस पर सीटू नेता केके देशमुख ने कहा कि प्रमोशन मिलने का मतलब केवल पदनाम बदलना नहीं होता है। प्रमोशन मिलने का मतलब क्लस्टर चेंज होने पदनाम बदलने के साथ-साथ आर्थिक लाभ मिलना होता है। अर्थात यदि किसी को प्रमोशन मिलेगा तो वह कर्मी अगले क्लस्टर में जाएगा, जिसमें उसका पदनाम बदलेगा। साथ में उसका वेतन में वृद्धि होगा, किंतु इंटक के नेता इस अंतर को समझे बिना ही पदनाम बदलने को ही प्रमोशन बता रहे हैं।
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आधे से ज्यादा कर्मियों ने किया इस पॉलिसी का विरोध
सीटू नेता ने कहा कि प्रबंधन से आंकड़े लेकर बयानबाजी करने वाले यूनियन को यह मालूम होना चाहिए कि रेल मिल में 10 कर्मी नहीं, बल्कि 2 दिन के अंदर 385 कर्मियों ने सामूहिक रूप से इस पॉलिसी का विरोध करते हुए विभाग प्रमुख के नाम पर पत्र दिया है, जिसे विभाग प्रमुख के समक्ष विभाग के कार्मिक अधिकारी ने रिसीव करके लिया है। इसके अलावा कई कर्मियों ने सीधे अपने विरोध को कार्मिक विभाग में दर्ज करवाया है। किंतु कहीं ना कहीं कार्मिक अधिकारी भी शायद विरोध करने वाले कर्मियों की संख्या को लेकर इंटक को गुमराह कर रहे हैं, जिसके कारण इंटक इस तरह की गलत बयानबाजी कर रही है।
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कर्मियों के गुलामी पर किया गया है हस्ताक्षर
सीटू नेता अशोक खातरकर का कहना है कि प्रमोशन के समय पिछले 3 वर्ष के मूल्यांकन में किसी भी कर्मी को किसी भी वर्ष सी मिलने अथवा पिछले 3 सालों तक किसी भी कर्मी को लगातार बी मिलने पर उस कर्मी के अगले प्रमोशन के लिए अपात्र होने की शर्त जोड़ना कर्मियों के गुलामी पर हस्ताक्षर करना है, जिसे इस यूनियन ने जाने-अनजाने में कर दिया है। अब उस गलती को मानने तथा उस पर पुनः समीक्षा कर उसे बदलने के बजाय उसे जायज ठहराना कर्मियों की प्रबंधन के सामने गुलामी की स्थिति बनाने के सिवाय कुछ भी नहीं है।
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