SAIL ने 6000 करोड़ के प्रॉफिट पर दिया था 21 हजार बोनस, अबकी 12015 करोड़ का मुनाफा तो मिलेगा…

सेल के बोनस फॉर्मूले पर प्रबंधन ने दावा किया था कि इस बार फॉर्मूला बना है। बीएमएस के उद्योग प्रभारी व एनजेसीएस सदस्य डीके पांडेय ने प्रबंधन से बोनस फॉर्मूले की कापी मांग ली। बार-बार मांगने पर भी आज तक किसी के हाथ नहीं लगी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (SAIL) के कर्मचारियों में बोनस को लेकर गुदगुदी शुरू हो चुकी है। जमशेदपुर से एक खबर आई कि अमेरिकन कंपनी टिमकेन साढ़े 18 प्रतिशत बोनस कर्मचारियों को देने जा रही है। टाटा भी पूर्व फॉर्मूले के तहत बेहतर बोनस अदा करेगी, जिस पर सहमति बनी हुई है। इधर-सेल में बोनस को लेकर कोई सांस-डकार तक नहीं आ रही।

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सितंबर तक बोनस अदा किया जाना है। ट्रेड यूनियनों ने प्रबंधन को अब तक मांग पत्र नहीं सौंपा है। सेल के करीब 56 हजार कर्मचारियों को बोनस के रूप में पिछी बार 21 हजार रुपए मिले थे। सेल ने 6 हजार करोड़ का मुनाफा कमाने पर 21 हजार रुपए बोनस दिया था। इस बार ऐतिहासिक 12015 करोड़ का मुनाफा हुआ है। ऐसे में बोनस की राशि बढ़नी तय है। लेकिन राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हिमांशु बल ने आशंका जता दी है।

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उनका कहना है कि प्रबंधन हमेशा दांव खेलता है कि कम से कम बोनस दिया जाए। पहली तिमाही में प्रॉफिट आएगा। इसके बाद दूसरी तिमाही को संकट से जूझता दिखाया जाएगा। सरकार स्टील पर ड्यूटी बढ़ा चुकी है। बाहर जाने वाले स्टील का रेट बढ़ गया। कोयले का रेट ज्यादा है। ऐसे में कंपनी अपना दुखड़ा कर्मचारियों के मामले में सुनाने से पीछे नहीं हटेगी। वैसे, इस बार 21 हजार से अधिक ही बोनस मिलेगा। सेल के पास एकमात्र प्रोडक्शन और प्रॉफिट का अनुपात है। इसी आधार पर बोनस मिलता रहा है। इस बार नया फॉर्मूला आएगा या नहीं, यह तो बैठक में ही पता चलेगा।

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बीएमएस मांगती रही बोनस फॉर्मूले की कापी नहीं मिली

सेल के बोनस फॉर्मूले को लेकर प्रबंधन ने एमओयू बैठक में दावा किया था कि इस बार फॉर्मूला बना है। इस पर बीएमएस के उद्योग प्रभारी व एनजेसीएस सदस्य डीके पांडेय ने प्रबंधन से बोनस फॉर्मूले की कापी मांग ली। बार-बार मांगने पर भी आज तक किसी के हाथ नहीं लगी। एमओयू पर साइन करने वाले एचएमएस नेता राजेंद्र सिंह ने कहा-प्रबंधन ने बोनस का फॉर्मूला तय करने का आश्वासन दिया था। यह कब तय किया जाएगा, इस बारे में अब तक प्रबंधन स्पष्ट नहीं कर सका है।

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जानिए, अब तक लागू बोनस स्कीम का फार्मूला

उत्पादन और लाभ पर एकमुश्त राशि देने के लिए साल 2011 में परफॉर्मेंस इंसेंटिव स्कीम एसपीआईएस बनाई गई। असीमित उत्पादन और असीमित लाभ के बावजूद सेल कर्मियों को सालाना एक्सग्रेशिया 20 हजार से अधिक 2020 तक नहीं हो सकता था। 2021 में यह राशि 21 हजार तक पहुंची। सेल में 2011 से अब तक लेबर प्रोडक्टिविटी में 164% की वृद्धि हुई है। वर्ष 2011 में लेबर प्रोडक्टिविटी 241 टन क्रूड स्टील प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष थी। वह अब बढ़कर करीब 400 तक पहुंच चुकी है।

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टाटा में 1956 से आज तक नहीं हुआ प्रदर्शन

टाटा में अधिकारी, कर्मचारियों को तय फॉर्मूले के तहत वेतन भत्ता और बोनस मिलता है। कर्मचारियों के सभी मुद्दों का हल कमेटी द्वारा होता है। यही वजह है कि 1956 के बाद टाटा स्टील में हड़ताल, घेराव, प्रदर्शन तक नहीं हुआ। वहीं, सेल में यूनियन नेताओं, पर्सनल विभाग, आईआर विभाग के अधिकारियों की विशाल फौज होने के बावजूद रोज किसी न किसी यूनिट में प्रदर्शन, घेराव होते रहता है। साल मे एक दो बार हड़ताल भी बुलाई जाती है। डीपीई, सरकार, दूसरे महारत्न पीएसयू में एक्स कर्मियों को वेतन भत्ता मद में मिले लाभ भी यहां कर्मियों को नहीं दिया जाता है।

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