दिल्ली में छाया SAILके स्टील प्लांट, NMDC और खदानों में DASA का मुद्दा

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के लंबित मुद्दों विशेषकर माइंस अधिकारियों का डासा को लेकर अधिकारियों का दल दिल्ली पहुंचा हुआ है। स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेफी के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर व अन्य सदस्यों ने इस्पात सचिव व संयुक्त सचिव इस्पात से चर्चा की है।

सेफी के पदाधिकारियों ने इस्पात सचिव एनएन. सिन्हा, संयुक्त सचिव (इस्पात) अभिजीत नरेन्द्र आदि से इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के अन्य लंबित मुद्दों पर उद्योग भवन नई दिल्ली में विस्तृत चर्चा की। जिसमें मुख्य तौर पर सेल माइंस एवं एनएमडीसी के अधिकारियों को थर्ड पे-रिविजन में डासा (डिफिकल्ट एरिया सर्विस एलाउंस) का भुगतान चालू करने के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 का इंक्रीमेंटल पीआरपी, आरआईएनएल के अधिकारियों के पिछले वर्षों से लंबित प्रमोशन को शीघ्र चालू करना, वीआईएसएल भद्रावती आदि विषयों पर चर्चा की।

आदेशों के अनुसार खदानों में कार्यरत अधिकारियों को उनके बेसिक वेतन का 10% राशि दुर्गम क्षेत्र विशेष भत्ता के रूप में भुगतान किया जाता था। विदित हो कि SAIL व NMDC के खदान आज भी पूर्ववर्ती स्थितियों में प्रचालित हो रही है। इन स्थानों में नगरीय सुविधायें, शिक्षा व चिकित्सीय सुविधायें अत्यंत ही दयनीय है। इन स्थानों में कार्यरत अधिकारीगण शिक्षा व चिकित्सा की सुविधाओं को र्निबाध रूप से प्राप्त करने हेतु अपने परिवार को किसी विकसित शहरों में विस्थापित करने के लिए बाध्य है।

तीसरे पे रिविजन की कमेटी ने बिन्दू क्रमांक 3-16-13/vi/c में कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों को पहले की तरह दुर्गम क्षेत्र विशेष भत्ता प्रदान करने की अनुशंसा की है। परंतु इस्पात मंत्रालय के आदेश क्र. F.No. 3(1)/2022 – Finance दिनांक 29/09/2022 के अनुसार SAIL के अधिकारियों को प्राप्त दुर्गम क्षेत्र विशेष भत्ता को रोक दिया गया है, जिससे कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों में अत्यंत ही निराशा व्याप्त है।

इस संदर्भ में सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने इस्पात मंत्रालय के समक्ष खदान में कार्यरत अधिकारियों के विशेष भत्ता को जारी रखने के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेल और एनएमडीसी की खानें अधिकांशतः दूरस्थ स्थान पर स्थित हैं और चिकित्सा, शिक्षा और टाउनशिप जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं।

वर्तमान में विशेष भत्ते बहाल नहीं होने के कारण खदानों में कार्यरत अधिकारी हतोत्साहित हैं। जिसका प्रभाव कंपनी के निष्पादन पर पड़ सकता है। अतः कंपनी के प्रदर्शन को बेहतर बनाए रखने के लिए माइंस के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु विशेष भत्ता अत्यंत आवश्यक है। अतः इसे पुनः बहाल करने की अपील की।

सेफी चेयरमेन द्वारा सेल में पीआरपी की गणना में इंक्रिमेंटल लाभ को डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुरूप समायोजित करने की अनुशंसा करने का आग्रह किया है। विदित हो कि वित्त वर्ष 2017-18 में सेल ने कर पूर्व कुल हानि 759 करोड़ घोषित किया एवं वर्ष 2018-19 में कर पूर्व कुल लाभ 3338 करोड़ रुपए घोषित किया। जिससे इंक्रिमेंटल लाभ 4097 करोड़ रूपये पर आधारित पी.आर.पी. की गणना करने की मांग जो कि सेल में हुए टर्नअराउंड का लाभ, सभी अधिकारियों को इंक्रिमेंटल पी.आर.पी. देकर प्रोत्साहित किया जा सकता है।
आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों के पिछले वर्षों से लंबित प्रमोशन को शीघ्र चालू करने हेतु भी विस्तृत चर्चा की गई। सेफी ने इस्पात सचिव को अवगत कराया कि पिछले कई वर्षों से आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों के प्रमोशन को रोका गया है, जिसे अविलंब चालू कराना अति आवश्यक है। सेफी ने वी.आई.एस.एल. भद्रावती में निवेश हेतु अपील की जिससे इस 100 वर्ष पुरानी सेल की इकाई में मार्डनाइजेशन व एक्सपांशन किया जा सके।
सेफी प्रतिनिधि मंडल की ओर से चेयरमेन सेफी नरेन्द्र कुमार बंछोर, सेफी महासचिव अबकाश मलिक, सेफी कोषाध्यक्ष लोकनाथ, एन.एम.डी.सी. ओए महासचिव डा. रोहित एवं उपाध्यक्ष हलधर पटेल उपस्थित थे।

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