महिला नेता का ठेकेदार ने पकड़ा हाथ, मामला पहुंचा थाने, बदतमीजी और श्रमिक नेताओं पर बीएसपी कार्रवाई के खिलाफ सीटू खोलने जा रहा मोर्चा

बैठक में प्रबंधन द्वारा हाल ही में बनाई गई टास्क फोर्स पर भी चर्चा की गई। यूनियन का यह मानना है कि इस तरह के टास्क फोर्स का कोई औचित्य नहीं है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हिंदुस्तान स्टील एम्प्लाइज यूनियन (सीटू) की कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को हुई। भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार हो रही प्राणघातक दुर्घटनाओं, खतरनाक घटनाओं, वेतन समझौता के लंबित मामलों, ठेका कर्मियों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार, ठेकेदारों द्वारा किए जाने वाले मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने पर ठेका नेताओं पर दंडात्मक कार्यवाही विषयों पर गंभीर चर्चा की गई। साथ ही आगे की रणनीति भी तय की गई।

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ठेका कर्मियों के समस्याओं पर हुई विशेष चर्चा

बैठक में ठेका कर्मियों के ज्वलंत समस्याओं पर विशेष रूप से चर्चा हुई, जिसमें यह बात सामने आई कि भिलाई इस्पात संयंत्र में अधिकांश जगहों में ठेकेदारों द्वारा ठेका कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है, और जब ठेका कर्मियों द्वारा विरोध किया जाता है, तो उन्हें काम से निकाल दिया जाता है। किंतु प्रबंधन द्वारा मुख्य नियोक्ता होने के नाते ठेकेदारों पर कार्यवाही ना कर उनका प्रतिरोध करने वाले ठेका यूनियन के नेताओं पर कार्यवाही की जाती है।

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निष्कासन, आर्थिक दंड के बाद महिला ठेका नेता के साथ ठेकेदार द्वारा बदतमीजी

बैठक में यह बात उभर कर सामने आई कि सीटू के हस्तक्षेप के पश्चात भिलाई प्रशिक्षु कल्याण समिति द्वारा सेक्टर-9 अस्पताल के ठेका कर्मचारियों को पूरा भुगतान करना पड़ रहा है। कोई भी ठेका कर्मी ठेकेदार को पैसा वापस नहीं करता है, जिसके कारण ठेकेदार किसी ना किसी बहाने से नेतृत्वकारी ठेका कर्मियों को परेशान करके निकालने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में सबसे पहले ठेका यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्योति निर्मलकर को स्वेच्छाचारी तरीके से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद भिलाई इस्पात प्रबंधन ने ठेका के नेतृत्वकारी योगेश सोनी एवं कमलेश चोपड़ा जो बीएसपी कर्मी भी है, पर कथित जांच कार्यवाही पश्चात, आर्थिक दंड थोपने की अनुशासनात्मक कार्रवाई किया है। इसके अलावा कुछ दिन पूर्व ठेकेदार द्वारा महिला नेता का हाथ पकड़ लिया गया था, जिसके खिलाफ प्रबंधन को शिकायत करने पर भी प्रबंधन द्वारा ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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ठेका के नेताओं पर हुए सभी कार्रवाइयों का होगा कड़ा विरोध

बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि हिन्दुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन के नेताओं पर होने वाले हमले एवं कार्रवाई का कड़ा विरोध किया जाएगा, जिसमें उचित प्राधिकारी के पास शिकायत, प्रदर्शन सहित कानूनी कार्रवाई भी शामिल है।

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एरियर्स, स्केल सहित वेतन समझौता के लंबित विषयों पर चर्चा

बैठक में यह मांग उठी कि वेतन समझौता के पश्चात 39 माह का एरियर्स, पे स्केल पर बनी उप समिति में पे स्केल पर बनी सहमति को तत्काल लागू किया जाना चाहिए। पूर्ण एनजेसीएस बुलाकर सभी लंबित मुद्दों को तत्काल निराकरण किया जाना चाहिए। बैठक में यह मांग भी उठी कि, पे स्केल निर्धारण के पश्चात वेतन में होने वाली बढ़ोतरी का भी एरियर्स मिलना चाहिए। इस संबंध में स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की 20 एवं 21 जून को कोलकाता में बैठक होगी, जिसमें लंबित मांगों को हासिल करने के लिए संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी।

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प्रबंधन द्वारा बनाई गई विशेष टास्क फोर्स अव्यवहारिक

बैठक में प्रबंधन द्वारा हाल ही में बनाई गई टास्क फोर्स पर भी चर्चा की गई। यूनियन का यह मानना है कि इस तरह के टास्क फोर्स का कोई औचित्य नहीं है। ज्ञात हो कि उक्त टास्क फोर्स में यूनियन के महासचिव एसपी डे को भी शामिल किया गया है। महासचिव ने बैठक में जानकारी दी कि इस बारे में ना तो उनसे कोई सहमति ली गई और न ही 1 दिन पूर्व 10 जून 2022 को निदेशक प्रभारी के स्तर पर 6 यूनियनों, ऑफिसर्स एसोसिएशन तथा एससी एसटी एसोसिएशन की संयुक्त बैठक में प्रबंधन द्वारा इस तरह के किसी भी टास्क फोर्स की कोई चर्चा नहीं की गई।

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यूनियन द्वारा यह सवाल भी उठाया गया कि सीटू ने कभी भी सुरक्षा को अंक अर्जित करने का मुद्दा नहीं बनाया है। यूनियन द्वारा हर स्तर पर संबंधित अधिकारी को दुर्घटना एवं खतरनाक घटनाओं, असुरक्षित कार्य पद्धतियों को रोकने सुरक्षा सुझाव दिए गए हैं । प्रबंधन को उन सुझावों पर अपनी प्रतिक्रिया बैठक में देनी चाहिए थी। यूनियन द्वारा प्रभारी निदेशक स्तर पर भी बैठक में भी कई सुझाव दिए गए थे, प्रबंधन की ओर से उन सुझावों की सराहना भी की गई थी।

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सुझावों में एक सुझाव यह भी था कि विभागीय सुरक्षा समितियों को मजबूत बनाया जाए, क्योंकि यही वे समितियों हैं जिसमें संबंधित विभाग के कर्मी एवं अधिकारी दोनों रहते हैं। जो अपने अनुभव के आधार पर सुरक्षा से संबंधित सबसे व्यवहारिक एवं बेहतरीन सुझाव दे सकते हैं। प्रबंधन द्वारा बनाई गई टास्क फोर्स में सब अलग-अलग पाली में कार्य करने वाले कर्मी शामिल है, ऐसे में एक साथ सभी पंजीकृत कारखानों का दौरा कर 10 दिन के भीतर सुझाव देना व्यावहारिक नहीं है।

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