EPFO की गाइडलाइन में 1 सितंबर 2014 के बाद रिटायर कार्मिकों का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं, कन्फ्यूजिंग सर्कुलर  

सुप्रीम कोर्ट में तीन पुनर्विचार याचिकाएं और 5 मिसलेनियस एप्लीकेशन दिसंबर के पहले हफ्ते में फाइल की गईं हैं।

अज़मत अली, भिलाई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्रियान्वयन के लिए अंततः ईपीएफओ ने गाइडलाइन जारी कर दी है। सेल सहित केंद्रीय इकाइयों के कार्मिकों की नजर सर्कुलर पर टिकी हुई है। इसकी बारीकी को लोग समझ रहे हैं। कोई सकारात्मक पहल बता रहा तो कोई खामियां गिना रहा है। ऑल इंडिया एनएमडीसी रिटायर्ड एम्प्लॉय वेलफेयर फेडरेशन के महासचिव एलएम सिद्दीकी ने बताया कि दो जनवरी को सुप्रीम कोर्ट प्रारंभ होने के बाद, नेशनल कंफेडरेशन ऑफ रेटिरीज (National Confederation of Retirees NCR) द्वारा रिव्यू पिटीशन अथवा मिसलेनियस एप्लीकेशन फाइल करने की तैयारी है।

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1 सितंबर 2014 के बाद जो लोग रिटायर हुए हैं और उन्होंने उच्च पेंशन के लिए पहले अपना संयुक्त विकल्प दिया था, लेकिन उसे ईपीएफओ ने स्वीकार नहीं किया था। प्रोसेस तक नहीं किया था। उन्हें भी संयुक्त विकल्प देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित किया है। बशर्ते कि ईपीएफओ द्वारा उनके संयुक्त विकल्प को अस्वीकार करने अथवा निरस्त करने का कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध हो।

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के कार्मिकों का कहना है कि यह अधिसूचना सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 4-11-2022 के निर्णय के पैरा (vi) में निहित आदेशों के अनुपालन के लिए है। यह अधिसूचना केवल उन पेंशनभोगियों के लिए लागू है, जो 1-9-2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए थे। यह अधिसूचना उन कर्मचारियों के लिए लागू नहीं है, जो 1-9-2014 को कंपनी के रोल पर थे और अब तक जारी हैं।

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यह अधिसूचना और कुछ नहीं बल्कि “न्यायालय की अवमानना” से बचने के लिए ईपीएफओ का एक चतुर कदम है। अगर ईपीएफओ ने 8 सप्ताह के भीतर (30 दिसंबर 2022 तक) सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन नहीं किया होता तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन न करने के खिलाफ “अदालत की अवमानना” दायर की जा सकती थी।

ईपीएफओ गाइडलाइन की खास बातें

राष्ट्रीय संघर्ष समिति (ईपीएस 95) छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एलएम सिद्दीकी का कहना है कि ईपीएस 95 पेंशनर्स से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले दिनांक 4 नवंबर 22 के क्रियान्वय के लिए बहुप्रतीक्षित ईपीएफओ के दिशा-निर्देश जारी हो गए। कोर्ट के फैसले के अनुसार ईपीएफओ को 8 सप्ताह का समय दिया गया था कि वो फैसले के क्रियानवाय के लिए गाइडलाइन जारी करे। वहीं, उच्च पेंशन की पात्रता रखने वाले पेंशनर्स को 4 महीने की अवधि दी गई थी।

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ईपीएफओ के संदर्भित परिपत्र के पैरा 6(1) के अनुसार…

(1) वे पेंशनर्स उच्च पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने अपने सेवाकाल में ईपीएफ स्कीम के पैराग्राफ 26(6) के अनुसार 5000 या 6500 रुपयों के सीमित वेतन के ऊपर योगदान न देकर, वास्तविक वेतन के ऊपर योगदान दिया था।
(2) पूर्व संशोधित स्कीम के सदस्य रहते हुए, जिन्होंने पैरा 11(3) के अनुसार संयुक्त विकल्प दिया था।
(3) उनके इस विकल्प को भविष्य निधि संगठन द्वारा निरस्त किया गया था। परिपत्र में यह भी उल्लेखित है कि पात्रता रखने वाले पेंशनर्स को आवेदन देने के लिए निर्धारित प्रोफार्मा एवं तरीके कमिश्नर द्वारा तैयार किए जाएंगे। अतः अब संबंधित पात्रों को ईपीएफओ के फॉर्मेट की प्रतीक्षा करनी होगी।

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1-9-2014 के बाद रिटायर वालों के लिए कोई फॉर्मेट नहीं

आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि 1-9-2014 के बाद रिटायर हुए अथवा अभी तक कार्यरत कर्मचारियों के लिए किसी फॉर्मेट का उल्लेख परिपत्र में नहीं है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ये सभी उच्च पेंशन की पात्रता रखते हैं और उन्हें भी संयुक्त विकल्प प्रस्तुत करने के लिए विशेज छूट देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 4 महीने का यानी 3 मार्च 2023 तक का समय दिया है।

विसंगतियां प्रतीत होती

सिद्दीकी का कहना है कि परिपत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के संदर्भ में पैराग्राफ 44(v), 44(vi) और 44(ix) उद्धृत किए गए हैं। जिनमें विसंगतियां प्रतीत होती हैं। इसलिए स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में तीन पुनर्विचार याचिकाएं और 5 मिसलेनियस एप्लीकेशन दिसंबर के पहले हफ्ते में फाइल की गईं हैं।

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