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SAIL CPF ट्रस्ट के अंशदान पर हंगामा, EPFO खारिज करेगा EPS 95 पेंशन का फॉर्म…!

SAIL CPF ट्रस्ट के अंशदान पर हंगामा, EPFO खारिज करेगा EPS 95 पेंशन का फॉर्म…!
  • केंद्र सरकार ने SAIL CPF ट्रस्ट को नहीं दी अनुमति तो EPFO खारिज करेगा EPS 95 पेंशन का फॉर्म

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। ईपीएस 95 हॉयर पेंशन के लिए कर्मचारी और अधिकारी ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भर रहे हैं। ईपीएफओ के पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म भरे जा रहे हैं। 26 जून तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। वहीं, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के कर्मचारियों, अधिकारियों और पूर्व कार्मिकों के पेंशन को लेकर मामला उलझता दिख रहा है।

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बताया जा रहा है कि सेल सीपीएफ ट्रस्ट ने फुल वेज पर कंट्रीब्यूशन लिया या कोई फिक्स एमाउंट पर या इससे अधिक, इसको लेकर विवाद है। सेल का खुद का सीपीएफ ट्रस्ट है। अगर, ईपीएफओ द्वारा तय की गई सीलिंग से अधिक का अंशदान सेल के सीपीएफ ट्रस्ट ने लिया है तो खतरा बढ़ना तय है। यही विवाद का कारण बन रहा है। ईपीएफ से अनुमति लेना था कि हायर वेजेस पर अंशदान लेंगे, जो नहीं लिया गया।

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सीपीएफ ट्रस्ट ने अपने कर्मचारी को इपीएफ के वेज सीलिंग से ज्यादा का अंशदान कराया है या नहीं इसकी जांच होनी है। अगर, हर प्लांट में अलग-अलग सीलिंग पर अंशदान लिया गया है। एक ही प्लांट में अलग-अलग सीलिंग रखा तो खतरा बढ़ गया है। फाइनल पेंशन का एमाउंट 60 मंथ के औसत पे पर बनेगा। यह राशि फुल वेज पर थी या कोई फिक्स एमाउंट या इससे ज्यादा, इसी बात को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इस बाबत सेल के अधिकारियों का कहना है कि सीलिंग का पेंशन फंड में 8.33 प्रतिशत जाता रहा है। सेल के सभी सीपीएफ ट्रस्ट में यही औसत है। वहीं, सीपीएफ ट्रस्ट ने वेजेस का 12 प्रतिशत अंशदान लिया है।

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ईपीएफओ का कोई हस्तक्षेप नहीं

सेल के सभी प्लांट का खुद का सीपीएफ ट्रस्ट है। यही ट्रस्ट हर माह कार्मिकों की सैलरी से कटौती करता है। ट्रस्ट कार्मिकों को लोन भी देता है। यह पूरी प्रक्रिया सेल सीपीएफ ट्रस्ट स्वतंत्र रूप से करती है। इसमें ईपीएफओ का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। अब यहीं से विवाद शुरू हो रहा है।

2014 में अनुमति लेना था

ईपीएस 95 हॉयर पेंशन के लिए ईपीएफओ का कहना है कि नियम और प्रावधान के तहत सेल के सीपीएफ ट्रस्ट को ईपीएफओ से अनुमति लेनी थी। साल 2014 में बहुत सी संस्थाओं ने अनुमति ली थी और आवेदन तक किया था। लेकिन सेल की तरफ से कोई आवेदन नहीं किया गया। इसको लेकर नया विवाद खड़ा होना तय है।

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केंद्र सरकार पर ही अब टिकी है नजर

माना जा रहा है कि ईपीएफओ सेल की ओर से किए गए आवेदन को निरस्त कर देगा। ऐसी सूरत में कर्मचारियों और अधिकारियों को झटका लगना तय है। ईपीएफओ आवेदन को तभी स्वीकार करेगा, जब सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी किया जाए।

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पहले ईपीएफओ से अनुमति लेना था?

भविष्य निधि के एक रिजनल पीएफ कमिशनर ने Suchnaji.com को बताया कि पैरा 11 (3) का प्रावधान था कि ईपीएफ से अनुमति लेना जरूरी है कि किस दर पर अंशदान लिया जा रहा है। 2014 से पहले जो संस्थाएं ईपीएफओ से अनुमति ले चुकी थीं, इसके बाद वाले को 6 माह का समय दिया गया था। बावजूद, कई संस्थाओं ने आवेदन नहीं किया था।

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पालिसी बनाने का पॉवर सरकार के पास है। इसलिए सरकार के अगले आदेश का इंतजार है। पैरा 26 (6) में स्पष्ट रूप से ईपीएफओ को पॉवर दिया गया है। कहा गया है कि इस पर फैसला होना है। सरकार के फैसले के बाद ही सेल के आवेदन को लेकर अंतिम फैसला होगा।