Wage Agreement Dispute: कोल इंडिया का बुरा हाल, बुन रहे स्ट्राइक का जाल, मंत्री से मिलने के बाद बताएंगे कब होगी हड़ताल…

कोयला श्रमिक सभा-एचएमएस के अध्यक्ष शिव कुमार यादव बोले-बार-बार जेबीसीसीआई की बैठक करने के बाद भी कोई रिजल्ट नहीं निकल रहा है। ऐसे में हड़ताल के सिवाय कोई दूसरा चारा ही नहीं है।

अज़मत अली, छत्तीसगढ़। कोल इंडिया के कामगारों का वेतन समझौता प्रबंधन और ट्रेड यूनियनों के गले की फांस बन गया है। न ही उगलते बन रहा और न ही निगलते…। मामला आरपार के मूड तक पहुंच चुका है। प्रबंधन ने वित्तीय भार की दुहाई देकर अपने बचाव में सारे तर्क पेश कर दिए। वहीं, जेबीसीसीआई के सदस्यों ने प्रबंधन को अपने राडार पर ले लिया। कामगारों की भावनाओं की कद्र करते हुए हड़ताल का मन बना लिया है। इससे पहले कोयला मंत्री प्राह्लाद जोशी से मिलकर बात रखी जाएगी।

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सरकार ने कामगारों का समर्थन किया तो हड़ताल नहीं होगी। अन्यथा हड़ताल की तारीख घोषित कर दी जाएगी। फिलहाल, मंत्री की तरफ से मुलाकात के लिए तारीख का इंतजार किया जा रहा है। कोल इंडिया के कामगारों की व्यथा और हड़ताल के बाबत कोयला श्रमिक सभा-एचएमएस के अध्यक्ष शिव कुमार यादव से सूचनाजी.कॉम ने बातचीत की। जेबीसीसीआई बैठक से लेकर अब तक के हालात पर उन्होंने अपना पक्ष रखा, जिसका अंश आप पढ़ रहे हैं।

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प्रश्न: वेतन समझौता से पहले विवाद, आखिर कहां तक जाएगा?
उत्तर: कोल इंडिया में बहुत बुरे हालात हैं। प्रबंधन ने हालात खराब करके रख हुए हैं। कामगारों को ही उनका हक देने के लिए प्रबंधन आना-कानी कर रहा है। जायज हक की मांग की जा रही है। इसे लेने के लिए कामगारों की आवाज को दबने नहीं दी जाएगी। संयुक्त रूप से लड़ाई जारी है, होकर रहेगी। कुछ भी हो सकता है।
प्रश्न: चारों यूनियनों में तालमेल है या कुछ और खिचड़ी पक रही?
उत्तर: वेज एग्रीमेंट के लिए एचएमएस, बीएमएस, एटक और सीटू एक मंच पर है। हम लोग पहले संवाद करते हैं, फिर प्रबंधन से बात। हर फैसले से पहले सबकी सहमति ली जाती है। वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन प्राप्त है। उन्हीं के दिशा-निर्देश पर चारों यूनियनों के सदस्य काम कर रहे हैं। आपसी समन्वय से ही आगे भी काम करते रहेंगे।

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प्रश्न: ज्वाइंट मीटिंग का असर होता दिख रहा है या अफसोस?
उत्तर: हम लोग अपना फर्ज निभा रहे हैं। सबको लेकर ज्वाइंट मीटिंग की जा रही है। कुछ बिंदुओं पर इच्छा नहीं भी है तो सबकी सहमति देखकर हर कोई साथ हो जाता है। ज्वाइंट मीटिंग का असर हो रहा है। यही ताकत प्रबंधन से हक दिलाएगी। एकता की वजह से दस के बजाय पांच साल के लिए समझौता तय हो चुका है।

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प्रश्न: जेबीसीसीआई की बैठक में कामगार और सरकार को खुश करने वाला आपने फॉर्मूला दिया था, क्या है वह?
उत्तर:
कामगारों की आय बढ़ाने और सरकार को टैक्स देने का फॉर्मूला चेयरमैन को बताया था, बावजूद वह समझ नहीं सके। जेबीसीसीआई को बनिया की दुकान बनाकर मोल-भाव करने के बजाय कामगारों के हित में बेहतर एमजीबी देने की बात रखी थी। कामगारों के खाते में जब पैसा आएगा तो उससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी। बाजार में पैसा आएगा और बिजनेस भी फलेगा। वहीं, सरकार को इन कार्मिकों की आय पर 30 प्रतिशत इनकम टैक्स प्राप्त होता। कर्मचारियों और अधिकारियों के जरिए पैसा बंटता और सरकार को इससे टैक्स के रूप में फायदा होता। इस गणित को कोल इंडिया को समझना होगा। मंत्रीजी को भी यही चीज बताई जाएगी।
प्रश्न: स्ट्राइक के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं है क्या?
उत्तर: वेज बोर्ड के नाम पर शत-प्रतिशत हड़ताल हो जाएगी। इस बात को हर कर्मचारी खुलकर बोल रहा है। बार-बार जेबीसीसीआई की बैठक करने के बाद भी कोई रिजल्ट नहीं निकल रहा है। ऐसे में हड़ताल के सिवाय कोई दूसरा चारा ही नहीं है।

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