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SECL, NTPC, BALCO में नौकरी न देने का मामला केंद्र सरकार, सीएम तक पहुंचा, श्रमायुक्त का जवाब 97% को मिला जॉब, शिकायतकर्ता ने झूठा बताया

SECL, NTPC, BALCO में नौकरी न देने का मामला केंद्र सरकार, सीएम तक पहुंचा, श्रमायुक्त का जवाब 97% को मिला जॉब, शिकायतकर्ता ने झूठा बताया
  • केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर पूरे मामले की जानकारी देने और कार्रवाई की मांग की जाएगी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कोल इंडिया के साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड-एसईसीएल के अलावा बाल्को, एनटीपीसी सहित अन्य कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिए जाने का मुद्दा केंद्र सरकार तक पहुंचने पर सहायक श्रमायुक्त ने शिकायतकर्ता को जवाब दिया है कि 89 से लेक 97 प्रतिशत तक स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया है। श्रम विभाग के जवाब पर ही अंगुली उठा दी गई है। केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर पूरे मामले की जानकारी देने और कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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शिकायतकर्ता राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के जिला सचिव संजय कुमार पटेल हैं। Suchnaji.com को बताया कि 2 जनवरी 2023 को केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, कोयला खान मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा था। The Employment Exchanges Compulsory Notification Of Vacancies Act 1959, सुप्रीम कोर्ट के Writ Appeal No. CIVIL APPEAL NO. 7879 OF 2019 के निर्णय की जानकारी दी गई थी।

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बाल्को शेयर धारक समझौते, कोल माइंस के प्रभावित भू विस्थापितों, SC, ST, OBC, विकलांग व्यक्तियों की रोजगार में पहले प्राथमिकता के साथ साथ, उक्त कारखानों, खदानों में कार्यरत कर्मचारियों पर लागू स्थायी आदेशों, वेतन समझौता, CMPF ट्रस्ट में अनिवार्य तौर पर भविष्य निधि के नियोक्ताओं द्वारा contribution, मेडिकल सुविधा देनें और एक केंद्रीय जांच एवं नियामक कमेटी का गठन करने के लिए ज्ञापन दिया था।

संजय कुमार पटेल ने जानकारी दी कि अब सहायक श्रमायुक्त कोरबा द्वारा विवरण दिया गया है कि उक्त कल कारखानों में 89% से लेकर 97% तक स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जा चुका है। श्रमायुक्त कोरबा को इस प्रकार के मिथ्यावाचक जानकारी देने से पूर्व यह ध्यान देना आवश्यक है कि उक्त अधिनियम अनुसार प्रत्येक तिमाही में उक्त कारखानों खान प्रबंधन द्वारा की गई नियुक्तियो की जानकारी जिला रोजगार अधिकारी द्वारा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसे कलेक्टर एवं जिला रोजगार अधिकारी द्वारा कंपनी के Muster Roll से जांच भी किया जा सकता है।

संजय ने आरोप लगाया कि सहायक श्रमायुक्त द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करके यह मिथ्यावाचक विवरण दिया गया है। यदि उक्त अधिनियम का परिपालन किया गया है तो वर्ष 2008 से बाल्को प्रबंधन द्वारा Bsc, Bcom, BA, MA, MSc, B.Tech, M.Tech Graduate Postgraduate युवा युवतियों जो छत्तीसगढ के मूल निवासी हैं, उनकी जानकारी उपलब्ध कराए।

वर्तमान विस्तार परियोजना में जिसमें 1050 प्रत्यक्ष तौर पर बाल्को कर्मचारियों एवं 4000 पदों पर Contract Employee के तौर पर कितने स्थानीय कर्मचारियों की भर्तियां कीं गई है और की जा रही है उसकी जानकारी भी दें। भू-विस्थापितों द्वारा 3 दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया था, क्या उन्हें भी अब तक उक्त अधिनियम अनुसार रोजगार दिया जा चुका है।

आयेदिन हड़ताल और प्रदर्शन फिर क्यों हो रहे

वर्ष 2007 में 330 भू-विस्थापितों की जमीन अधिग्रहण की गई थी, जिसमें से 8 भू-विस्थापितों के रोजगार का प्रकरण लंबित है। इसी तरह NTPC, SECL प्रबंधन द्वारा भू-विस्थापितों के साथ विगत कई वर्षों से रोजगार, बसाहट एवं मुआवजा देने के लिए आनाकानी करते हुए उनका शोषण किया जा रहा है, जिसके कारण आए दिन खदान बंदी, हड़तालें हो रही है।

कारपोरेट भ्रष्टाचार का लगा आरोप, जांच की मांग

संजय ने आरोप लगाया कि उक्त समस्याओं का तत्परता से निदान करने के बजाय श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा ऐसे भ्रामक और लोक सेवक गरिमा के विपरित शासन प्रशासन एवं छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री सचिवालय को जानकारी देकर कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की जा रही है।