डिप्लोमा इंजीनियर्स को साथ लेकर खदान का सेफ्टी रूल्स प्लांट में लागू करे सेल, वर्कमैन इंस्पेक्टर से थम जाएंगे हादसे
हादसों को रोकने के लिए बीएसपी ने कंसल्टेंसी एजेंसी की मदद ली और बदले में 22 करोड़ रुपए खर्च तक कर दिया। नतीजा शून्य ही रहा।
अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की इकाई भिलाई स्टील प्लांट (BSP) में हादसों ने झकझोर कर रखा हुआ है। मौत और जख्म से कर्मचारियों का सामना होता है। हादसों को रोकने के लिए बीएसपी ने कंसल्टेंसी एजेंसी की मदद ली और बदले में 22 करोड़ रुपए खर्च तक कर दिया। नतीजा शून्य ही रहा। सेल इकाइयों में हादसों को रोकने में सक्रिय भूमिका डिप्लोमा इंजीनियर्स निभा सकते हैं। लेकिन इन्हीं को नजर अंदाज कर दिया गया है। खुद को 100% उपेक्षित मानने वाले इंजीनियर्स ने सेल प्रबंधन को सुझाव दिया है कि माइंस का सेफ्टी रूल्स प्लांट में लागू किया जाए। इससे काफी हद तक हादसे थम जाएंगे।
भिलाई स्टील प्लांट के राजहरा खदान में मान्यता प्राप्त यूनियन के साथ सेफ्टी कमेटी बनती है। बावजूद, इसके प्रबंधन वर्कमैन इंस्पेक्टर के लिए डिप्लोमा इंजीनियर्स का नाम यूनियन से लेती है। अनुभवी डिप्लोमा इंजीनियर्स को वर्कमैन इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी दी जाती है। ये इंस्पेक्टर हर दिन दौरा करते हैं। खामियों को डायरी में नोट करते और सेफ्टी मीटिंग में बिंदुवार चर्चा कर समस्या समाधान किया जाता। उठाए गए मुद्दों पर कितना काम हुआ या नहीं, इसकी जांच भी सात दिन के भीतर की जाती है। हर चीज पर नजर रखने का फायदा यह होता है कि हादसों को रोकने में मदद मिलती है।
राजहरा में यह परंपरा जारी है। इसी फॉर्मूले को बीएसपी सहित सेल इकाइयों में लागू करने का सुझाव दिया गया है। डिप्लेमा इंजीनियर्स ही मैनेजमेंट और वर्करों के बीच सेतु का काम करते हैं। सात दिन के अंदर काम कराने की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है। इधर-भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन के रवैये पर डिप्लोमा इंजीनियर्स का दर्द छलक उठा। डिप्लोमा इंजीनियर्स बोले- वास्तविकता यही है कि प्रबंधन न कोई यूनियन और न कभी डिप्लोमा इंजीनियर्स को सुई के बराबर भी तवज्जो देना चाहती है। इसका एक सीधा उदाहरण पिछले दिनों जब प्लांट में एक्सीडेंट की बाढ़ आई हुई तो इसके निदान के लिए जो बैठक बुलाई गई, उसमे डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन की 100% उपेक्षा की गई।
वास्तविकता यह है कि कई जगह सेफ्टी रूल के मुताबिक वर्कमैन इंस्पेक्टर के लिए डिप्लोमा इंजीनियर्स, कोई स्टेट गवर्नमेंट की सुपरवाइजरी लाइसेंस होल्डर्स की ही नियुक्ति होती है। और शायद किसी यूनियन या बैठक में उपस्थित लोगो ने इसके लिए कुछ कहा हो। डिप्लोमा इंजीनियर्स की उपेक्षा से ये पता चलता है कि प्रबंधन, एक्सीडेंट रोकने के लिए कितना गंभीर है।