महिला दिवस 2024: सीटू पहुंचा महिला कार्मिकों के बीच, सरकार को दिखाया आइना

– अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सीटू ने दी महिला कामगारों को बधाई

– अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सीटू की टीम ने इस्पात भवन एवं एचआरडी सेंटर पहुंचकर महिलाओं को दी शुभकामनाएं

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सीटू की टीम ने इस्पात भवन एवं एचआरडी सेंटर पहुंचकर महिला कामगारों से मिलकर बधाई दी। इस क्रम में शनिवार को सेक्टर 9 अस्पताल में महिला कर्मियों से भेंट करेंगे।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के समानाधिकार अर्जित करने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से सन 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेग शहर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी नारी सम्मेलन से क्लारा जेटकिन ने दुनिया भर में 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में पालन का आह्वान किया था।

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– महिलाओं के समानाधिकार का संघर्ष
8 मार्च के दिन को इसलिए चुना गया था क्यों की सन 1908 के 8 मार्च को न्यूयॉर्क शहर में टेलरिंग (दर्जी) के काम करने वाली महिला श्रमिकों ने वयस्क महिलाओं को मतदान के अधिकार की मांग पर जुलूस निकालकर अपनी आवाज को बुलंद किए थे, क्योंकि उस दौर में महिलाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं हुआ करता था।

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– “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” लेकिन नारे की असमानता
सीटू नेता ने कहा कि हमारे देश की सरकार का नारा है”बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” लेकिन किंतु इस नारे की असमानता आंगनबाड़ी से ही शुरू हो जाती है। जहां आंगनवाड़ी परियोजनाओं में बजट में 300 करोड़ रुपए की कटौती कर दिया गया है।

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हमारा देश भी लैंगिक असमानता (annual gender gap report) 2023 के रिपोर्ट के अनुसार दुनियां के 146 देशों के भारत का स्थान 127 वे स्थान पर है इसके खिलाफ समानता के लिए संघर्ष जरूरी है। कार्ल मार्क्स ने 1864 में पहला अंतर्राष्ट्रीय में कहा था महिलाओं के बिना मजदूर वर्ग का आंदोलन नही हो सकता है। महिला दिवस महिलाओं के समानाधिकार के संघर्ष को तेज करने के लिए संकल्प लेने का दिवस है।

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– महिला विरोधी सरकार के खिलाफ है हमारा संघर्ष
सीटू नेताओं ने कहा-आज देश के सत्ता में वो ताकत काबिज है, जो महिलाओं के समानाधिकार और स्वतंत्रता के घोर विरोधी है, जो पिछले दिनों पहलवान बेटियों के लड़ाई में भी दिखा। वे नारियों को घर के चार दीवारों तक ही सीमित कर सिर्फ संतान उत्पादन के मशीन के रूप में रखना चाहते है। उनके अनुसार शैशव काल में नारियों को पिता,युवावस्था में पति और वृद्धावस्था में पुत्र उनकी देखभाल करेगा।

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नारियों की कोई स्वतंत्रता नही होगी।पति का अनुसरण करना और पति को संतुष्ट करना ही नारी का परम धर्म है और इसी से उन्हें स्वर्ग लाभ होता है।यह लोग संपत्ति पर महिलाओं को अधिकार देने के विरोधी है।

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