- जवाहर लाल नेहरू अनुसंधान एवं चिकित्सालय सेक्टर 9 के फार्मेसी विभाग का सम्मेलन संपन्न।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेक्टर 9 अस्पताल के फार्मेसी विभाग का विभागीय सम्मेलन संपन्न हो गया। सम्मेलन की अध्यक्षता संतोष कुमार ने की। पिछले सम्मेलन से आज तक दिवंगत हुए साथियों एवं उनके परिजनों को श्रद्धांजलि देने के बाद पिछले 3 वर्षों में फार्मेसी को लेकर किए गए काम की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
पांच सदस्य विभागीय समिति का गठन
सम्मेलन के अगले चरण में संतोष कुमार ने आगामी 3 साल के लिए फार्मेसी विभाग में काम करने के लिए चार सदस्य वाली विभागीय समिति का प्रस्ताव रखा, जिसमें मुकेश वर्मा, चेतन सतावने, अर्चना लाल, संतोष कुमार शामिल है।
उपस्थित कर्मचारियों ने सर्वसम्मति से इस समिति का समर्थन करते हुए इसे चुन लिया तत्पश्चात विभागीय संयोजक के लिए मुकेश वर्मा एवं उपसंयोजक के लिए चेतन सतावने के नाम का प्रस्ताव रखा गया जिसका सभी साथियों ने समर्थन करते हुए दोनों साथियों को उक्त पदों के लिए चुन लिया।
सम्मेलन की अंतिम चरण में आगामी अस्पताल जोनल सम्मेलन में भाग लेने के लिए चार प्रतिनिधियों के नाम का प्रस्ताव रखा गया जिसमें संतोष कुमार, अर्चना लाल, मुकेश वर्मा, चेतन सतावने शामिल हैं इस प्रस्ताव पर उपस्थित साथियों ने सहमति जताई एवं उन्हें जोनल सम्मेलन के लिए प्रतिनिधि के रूप में चुन लिया गया। सम्मेलन में विशेष रूप से उपाध्यक्ष संतोष कुमार पुष्टि एवं कार्यकारिणी सदस्य अजय कुमार आर्य उपस्थित थे।
सचेत होकर काम करता है फार्मासिस्ट
संयंत्र के अंदर काम करने वाले कर्मचारी हो चाहे अस्पताल के अंदर काम करने वाले मेडिकल स्टाफ हो सभी अपने-अपने कामों में सचेत होकर काम करते हैं, जिन पर कोई भी सवाल नहीं उठा सकता है। किंतु फार्मासिस्ट को कुछ ज्यादा ही सचेत होकर दवाइयां बांटनी पड़ती है, क्योंकि एक ही अक्षर से शुरू होने वाले दसों प्रकार की दवाइयां फार्मेसी में मौजूद रहती है। डॉक्टर के द्वारा लिखे गए पर्ची को ध्यान से पढ़कर उन दवाइयों को वितरित करना पड़ता है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी मरीज को खतरे में डाल सकती है।
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200 से ज्यादा दवाइयां आती है फार्मेसी में
ज्ञात हो कि अस्पताल में 243 प्रकार के गोलियां एवं सिरप तथा लगभग 100 प्रकार के इंजेक्शन इलाज के लिए आते हैं। इन सभी दवाइयों के कंपनी के अनुसार अलग-अलग नाम होते हैं किंतु इनका फार्मूला एवं जेनेरिक नाम एक ही होते हैं कंपनी समय-समय पर दवाइयों का रैपर एवं दवाइयों के सामान्य नाम को बदल देता है। किंतु फार्मासिस्ट उनके जेनेरिक नाम से सभी दवाइयों को आसानी से पहचान लेते हैं।
बढ़ाई जानी चाहिए फार्मासिस्टों की संख्या
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित सभी अस्पतालों में दवाई वितरण के लिए 16 काउंटर है। किंतु संयंत्र में स्थाई फार्मासिस्टों की संख्या 22 है एवं कुछ अस्थाई तथा इंटर फार्मासिस्ट भी अस्पताल में काम कर रहे हैं।
फार्मासिस्टों की संख्या बढ़ाई जानी जरूरी है, क्योंकि साप्ताहिक अवकाश एवं किसी फार्मासिस्ट के स्वयं के अवकाश में रहने की स्थिति सभी फार्मेसी काउंटरों को सुचारू रूप से चला पाने में दिक्कतें पैदा हो रही है। मौजूदा समय में फार्मासिस्ट काउंटर में दवाई वितरण के साथ-साथ स्टोर संभालने एवं दवाईयों के खरीदने में भी भूमिका अदा करते है।