Bhilai Steel Plant: 3 करोड़ की बचत, रूसी CO गैस एग्जॉस्टर का मेंटेनेंस किया कार्मिकों ने, रूस में नए की कीमत 7 करोड़

Bhilai Steel Plant Saving of Rs 3 crore, personnel maintained Russian CO gas exhauster cost in Ukraine is Rs 7 crore (1)
  • भिलाई इस्पात संयंत्र ने हासिल की बड़ी उपलब्धि। रूसी CO गैस एग्जॉस्टर की जटिल मरम्मत सफल।

  • नवोन्मेषी मरम्मत कार्य ने 3.12 करोड़ मूल्य की गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त केसिंग का पुनः उपयोग संभव बनाया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों और अधिकारियों की टीम ने कंपनी को 3 करोड़ से अधिक की सीधी बचत करा दी है। साथ ही उत्पादन को भी थमने नहीं दिया। रूस के सहयोग से स्थापना के समय लगे रूसी CO गैस एग्जॉस्टर का मरम्मत कार्य सफलता पूरा किया गया है। आज इसे नया खरीदते तो करीब 7 करोड़ रुपए का खर्च आता। रूस से यहां आने में एक साल का समय भी लगता। सारी झंझटों से अब कंपनी को बचा लिया गया है।

भिलाई इस्पात संयंत्र ने 4000 RPM पर चलने वाले रूसी निर्मित CO गैस एग्जॉस्टर की अत्यंत जटिल एवं दुर्लभ मरम्मत कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस एग्जॉस्टर में 24 मई 2025 को गंभीर खराबी आई थी, जिसके परिणामस्वरूप टॉप एवं बॉटम केसिंग बॉडी एवं फुटिंग्स, इंपेलर फैन तथा गैस डिफ्यूज़र बॉडी जैसी महत्वपूर्ण इकाइयाँ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं।

Vansh Bahadur

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क्योंकि टॉप एवं बॉटम केसिंग का स्टॉक उपलब्ध नहीं था, संयंत्र ने इन-हाउस मरम्मत रणनीति तैयार की। रिक्लेमेशन शॉप ने उन्नत तकनीकों और विशेष इलेक्ट्रोड्स की सहायता से वेल्डिंग कार्य किया, जिसके बाद MARS-1 में प्रिसिजन मशीनिंग की गई। केसिंग फुटिंग्स को उच्च सटीकता हेतु ब्लू-मैच्ड फिनिश सरफेस प्रदान किया गया।

सबसे बड़ी चुनौती टूटी हुई हाई-स्पीड जर्नल बेयरिंग हाउसिंग कॉलर की मरम्मत थी। इंजीनियरिंग ड्राइंग विभाग (EDD) के सहयोग से नए ड्रॉइंग तैयार किए गए और बेयरिंग हाउसिंग के टॉप एवं बॉटम हिस्सों में इस भाग को उच्च सटीकता से पुनः फिट किया गया। संरचनात्मक मजबूती को और बढ़ाने के लिए वेल्डेड केसिंग फुटिंग्स को कोल्ड मेटल स्टिचिंग द्वारा सुदृढ़ किया गया।

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भारी लागत की बचत

मरम्मत किए गए एग्जॉस्टर को 14 अगस्त 2025 को दोपहर 12:50 बजे सफलतापूर्वक पुनः चालू किया गया। इस नवोन्मेषी मरम्मत कार्य ने 3.12 करोड़ मूल्य की गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त केसिंग का पुनः उपयोग संभव बनाया, जिससे भारी लागत की बचत हुई और संयंत्र के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित किया गया।

इन अधिकारियों एवं उनकी टीमों के समन्वित प्रयासों, तकनीकी दक्षता से संभव हुआ

• बिजय कुमार बेहेरा-सीजीएम प्रभारी (M&U)
• टी.के. कृष्ण कुमार-सीजीएम (इलेक्ट्रिकल)
• एच.के. सचदेव-सीजीएम (शॉप्स)
• समीर रॉयचौधरी-जीएम प्रभारी (CRG), CO&CCD
• पंचानन जेना-जीएम, M/M CCD CO&CCD
• ए.के. डे-जीएम (HME)
• एस.के. अग्रवाल-जीएम (रिक्लेमेशन शॉप)
• विजय सैनी-एजीएम (PEM)
• जगदीश दशारी-जीएम (MARS)
• पी.एस. खोब्रागड़े-जीएम (PEM)
• राकेश वर्मा-जीएम (इंस्ट्रुमेंटेशन)
• नितिन वर्मा-एसएम (EDD)

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सीजीएम प्रभारी M&U की मुख्य भूमिका

इनके अथक प्रयासों, अंतर-शॉप सहयोग और कई सहयोगी एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी से इस दुर्लभ मरम्मत को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सका।

यह मील का पत्थर भिलाई इस्पात संयंत्र की इंजीनियरिंग क्षमता, लागत अनुकूलन एवं आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, जो संयंत्र की संचालन उत्कृष्टता एवं सततता के प्रति प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करता है। कार्य को करने में बिजय कुमार बेहेरा-सीजीएम प्रभारी (M&U) मुख्य भूमिका रही है।

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