Breaking News: भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी के ट्रांसफर को ट्रिब्यूनल ने ठहराया सही, आवेदन खारिज

Breaking News Tribunal upheld the transfer of Bhilai Steel Plant employee application rejected

स्थानांतरण सरकारी कर्मचारियों की सेवा का स्वाभाविक हिस्सा है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal) जबलपुर खंडपीठ द्वारा मूल आवेदन संख्या 525/2025 में पारित निर्णय में स्थानांतरण के प्रबंधन के अधिकार को स्पष्ट रूप से उचित ठहराया गया है, जिसमें यह जोर दिया गया है कि स्थानांतरण सरकारी सेवा का एक अभिन्न हिस्सा है।

यह मामला सुबोध कुमार देशपांडे (बीएसपी कर्मचारी) बनाम प्रबंधन, भिलाई इस्पात संयंत्र से संबंधित है, जहां आवेदक ने 14 मई 2025 के स्थानांतरण आदेश और 19 मई 2025 के रिलीविंग आदेश को चुनौती दी थी।

अधिकरण ने प्रबंधन के स्थानांतरण के अधिकार को बरकरार रखते हुए आवेदन को खारिज कर दिया, यह स्थापित करते हुए कि स्थानांतरण प्रशासनिक आवश्यकताओं के लिए प्रबंधन का वैध विशेषाधिकार है। यह टिप्पणी स्थानांतरण के प्रबंधन के अधिकार पर केंद्रित है, न कि प्रकरण के विवरण पर।

स्थानांतरण का प्रशासनिक अधिकार

अधिकरण ने इस सिद्धांत को दोहराया कि स्थानांतरण सरकारी कर्मचारियों की सेवा का स्वाभाविक हिस्सा है। यह प्रबंधन को कर्मचारियों को संगठन की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न स्थानों और विभागों में नियुक्त करने का अधिकार देता है। राष्ट्रीय जलविद्युत निगम लिमिटेड बनाम भगवान (2001) 8 SCC 574 के हवाले से अधिकरण ने कहा कि स्थानांतरण के निर्णय को सामान्य रूप से न्यायिक हस्तक्षेप का विषय नहीं बनाया जा सकता।

यह निर्णय प्रबंधन के विवेक पर आधारित होता है, जो कर्मचारी की उपयुक्तता और कार्यस्थल की परिस्थितियों जैसे कारकों पर विचार करता है। स्थानांतरण का अधिकार तब तक अक्षुण्ण रहता है, जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण न हो या वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन न करता हो।

इस मामले में, आवेदक ने तर्क दिया कि उनका स्थानांतरण उनके पुत्र की चिकित्सा स्थिति और एक कर्मचारी की शिकायत के कारण अनुचित है। अधिकरण ने प्रबंधन के तर्क को स्वीकार किया कि स्थानांतरण एक गंभीर शिकायत के आधार पर किया गया, जिसकी जांच एक समिति द्वारा की जा रही है। यह शिकायत कार्यस्थल की स्थिति को स्थिर करने के लिए स्थानांतरण का आधार बनी। अधिकरण ने माना कि ऐसी परिस्थितियों में स्थानांतरण प्रशासनिक आवश्यकता के तहत उचित है, जो प्रबंधन के अधिकार को पुष्ट करता है।

स्थानांतरण नीति और प्रबंधन का विवेक

आवेदक ने दावा किया कि उनका स्थानांतरण भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन करता है, जो गैर-कार्यकारी नर्सिंग और पैरामेडिकल कर्मचारियों पर लागू होती है। अधिकरण ने इस तर्क को खारिज कर दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि आवेदक का वर्तमान पद वरिष्ठ तकनीशियन (सेवाएं) है, जो इस नीति के दायरे में नहीं आता।
आवेदक के नियुक्ति पत्र में उल्लेखित अखिल भारतीय दायित्व ने प्रबंधन के स्थानांतरण के अधिकार को और मजबूत किया। यह निर्णय इस सिद्धांत को रेखांकित करता है कि स्थानांतरण नीतियां प्रबंधन के विवेक को सीमित नहीं करतीं, बल्कि दिशानिर्देश प्रदान करती हैं।

न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाएं

अधिकरण ने स्थानांतरण के मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमित प्रकृति पर जोर दिया। स्थानांतरण के निर्णय में प्रशासनिक आवश्यकताएं और कर्मचारी की उपयुक्तता जैसे कारक शामिल होते हैं, जिनका आकलन प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

न्यायालयों के पास कार्मिक प्रबंधन की विशेषज्ञता नहीं होती, इसलिए स्थानांतरण के निर्णय को सामान्य रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। केवल दुर्भावना या वैधानिक उल्लंघन के मामले में हस्तक्षेप उचित है। इस प्रकरण में, आवेदक ने न तो दुर्भावना का आरोप लगाया और न ही आदेश पारित करने वाले अधिकारी की सक्षमता पर सवाल उठाया, जिसके कारण हस्तक्षेप नहीं किया गया।

चिकित्सा आधार और प्रशासनिक आवश्यकताएं

आवेदक ने अपने पुत्र की चिकित्सा स्थिति का हवाला दिया, लेकिन अधिकरण ने माना कि स्थानांतरण स्थल केवल 25 किलोमीटर दूर है और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि उपचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह स्पष्ट करता है कि व्यक्तिगत असुविधा स्थानांतरण के प्रशासनिक निर्णय को रद्द करने का आधार नहीं है।

स्थानांतरण के निर्णय में प्रबंधन का विवेक सर्वोपरि है

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन का कहना है कि यह निर्णय इस सिद्धांत को स्थापित करता है कि स्थानांतरण प्रबंधन का वैध अधिकार है, जिसे संगठनात्मक दक्षता और कार्यस्थल की शांति के लिए लागू किया जा सकता है।

स्थानांतरण के निर्णय में प्रबंधन का विवेक सर्वोपरि है, और इसे केवल असाधारण परिस्थितियों में चुनौती दी जा सकती है। यह प्रबंधन के अधिकार को मजबूत करता है और न्यायिक हस्तक्षेप की सीमित भूमिका को रेखांकित करता है।