छत्तीसगढ़ के अस्पताल भी बीमार, हाईकोर्ट नाराज, कांग्रेस ने साय सरकार को लपेटा

Chhattisgarhs Hospitals Are Sick High Court is also Angry Congress Blames The Government
  • डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती तत्काल की जाए।
  • दवाओं और उपकरणों की कमी को 15 दिनों में दूर किया जाए।
  • लापरवाह अधिकारियों और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति पर सख़्त नाराज़गी जताई है। इसको लेकर कांग्रेस का बयान सामने आया है। कांग्रेस का कहना है कि एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई है।

अस्पतालों में इलाज के नाम पर हो रही लापरवाही,दवाओं की कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति और बदइंतजामी से जनता का जीवन दांव पर लगा है। जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के प्रवक्ता जावेद खान का कहना है कि न्यायालय की टिप्पणियाँ यह साबित करती हैं कि सरकार की घोषणाओं और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर है। मरीज इलाज के इंतजार में तड़प रहे हैं, उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही और सरकार केवल दिखावटी दावे करने में व्यस्त है।

ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से लेकर जिला अस्पतालों तक की स्थिति चिंताजनक है। कई केंद्रों में डॉक्टर नहीं, दवाएं नहीं और ज़रूरी उपकरण बंद पड़े हैं। बिलासपुर हाईकोर्ट ने भी यह सवाल उठाया है कि आखिर जनता को उनके अधिकार का बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा क्यों नहीं मिल रहा?

कांग्रेस शासन में शुरू सेवा बंद या कमजोर

जावेद खान ने कहा-यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जो स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं आम जनता को उपलब्ध थीं, उन्हें मौजूदा सरकार ने या तो बंद कर दिया है या कमजोर कर दिया है।

दवाई वितरण, नि:शुल्क जांच और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ यूनिट जैसी सुविधाएं अब नाम मात्र रह गई हैं और हालात की सच्चाई छुपाने के लिए कुछ ही दिनों पूर्व पत्रकारों को अस्पताल के अंदर जाकर रिपोर्टिंग करने पर रोक लगा दी गई थी, क्योंकि साय सरकार में स्वास्थ्य विभाग बीमार चल रहा है। उसे दवा की जरूरत है या यूँ कहें कि छत्तीसगढ़ सरकार का स्वास्थ्य विभाग आज वेंटिलेटर पर है।

सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएँ तुरंत बहाल करें

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा-हम मांग करते हैं कि सभी सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएँ तुरंत बहाल की जाए। डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती तत्काल की जाए। दवाओं और उपकरणों की कमी को 15 दिनों में दूर किया जाए। लापरवाह अधिकारियों और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो।

छत्तीसगढ़ की जनता को स्वास्थ्य के नाम पर धोखा नहीं, हक चाहिए। यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो हम सड़क से सदन तक आंदोलन करने को बाध्य होंगे।