सहकारी समिति कर्मचारी संघ के हड़ताल को सीटू का समर्थन, पदाधिकारी हो रहे गिरफ्तार

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  • सीटू नेता ने कहा कि केंद्र सरकार मंडियो एवं सहकारी समितियों की व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहती है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। पिछले 18 दिनों से गांव में धान सहित किसानों के विभिन्न फसलों को खरीदने वाली सहकारी समिति एवं कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय जायज मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।

हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू पदाधिकारियों ने दुर्ग जिले में मानस भवन के पास बैठे हड़ताली साथियों के बीच जाकर हड़ताल का समर्थन करते हुए अपनी बातों को रखा। सीटू ने कहा कि हड़ताली कर्मचारी जिन मांगों को लेकर संघर्षरत हैं, वह सभी मांगे मंडी व्यवस्था को बनाए रखने एवं सहकारी समितियां को संचालित करने के लिए आवश्यक है इसीलिए सरकार को उनकी सभी मांगों को अविलंब मान लेना चाहिए।

केंद्र सरकार खत्म कर देना चाहती है मंडी एवं सहकारी समितियां

सीटू नेता ने कहा कि केंद्र सरकार मंडियो एवं सहकारी समितियों की व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहती है। 2020 में किसानों पर थोपने के लिए जो तीन कृषि कानून बनाए गए थे उनमें से पहले कृषि कानून “कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य कानून 2020” था।

जिसमें कहा गया था कि अब व्यापारियों को किसान की उपज खरीदने के लिए कृषि उपज मंडी में जाने की बाध्यता नहीं रहेगी जबकि किसान अपनी उपज ले जाकर मंडियो के पंजीकृत व्यापारियों के पास सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य में बेचते थे तथा व्यापारियों को मंडी शुल्क देकर मंडी से फसल खरीदना होता था।

किंतु इस नए कृषि कानून के आ जाने से व्यापारियों को मंडी के बाहर किसानों से सीधे फसल खरीदने की छूट मिल जाती है तथा व्यापारी को मंडी शुल्क देकर मंडी में जाने एवं सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य पर ही फसल खरीदने की बाध्यता समाप्त हो जाती है किंतु किसानों ने एक साल संघर्ष करके इस काले कानून को लागू होने से रोक दिया,तभी से सरकार इस कोशिश में लगी हुई है कि किसी भी तरह से मंडी व्यवस्था समाप्त हो जाए तथा व्यापारी सीधे किसानों तक पहुंच जाए और केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट मित्रों को इसका सीधा लाभ मिल सके। इसीलिए मंडियो एवं सहकारी समितियों पर हमले जारी है।

सहकारी समितियां खत्म हुई तो किसान हो जाएंगे पूंजीपतियों के गुलाम

सीटू नेता ने कहा कि यदि सरकार अपने मंसूबों में कामयाब होती है और मंडियो तथा सहकारी समितियों की व्यवस्था को समाप्त कर देती है तो किसानों को मजबूरन अपना अनाज उन पूंजी पतियों को बेचना होगा जो किसानों की फसल को उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए ओने पौने दाम पर खरीदना चाहते हैं। यदि ऐसा हुआ तो किसान उन बड़े पूंजी पतियों के गुलाम हो जाएंगे जो सरकार से साठ गाठ करके किसानों द्वारा पैदा किए गए उपज को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में लेकर अकूत मुनाफा कमाना चाहते हैं।

श्रमजीवियों के खिलाफ सरकार की सुनियोजित षड्यंत्र जारी

सीटू नेता ने कहा कि 2014 में केंद्र में आई मौजूदा केंद्र सरकार शुरू से ही श्रमजीवियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र कर रही है कभी मजदूरों के श्रम कानून को खत्म कर मजदूर विरोधी श्रम कोड लागू करने की कोशिश करती है, तो कभी किसानों को गुलाम बनाने वाले काले कानून को संसद में पारित कर जबरदस्ती थोपने का प्रयास करती है। किंतु देश का मजदूर एवं किसान सरकार के उन मंसूबो को कामयाब नहीं होने दे रहा है।

आंदोलन से बौखला कर नेताओं को गिरफ्तार करवा रही है सरकार

सीटू नेता ने कहा कि सहकारी समिति कर्मचारी संघ एवं कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के 17 दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखकर घबराई हुई राज्य सरकार ने संघ के राज्य अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया और अलग-अलग पदाधिकारी को अलग-अलग जिलों में गिरफ्तार कर जबरदस्ती हड़ताल वापस लेने के लिए दबाव बना रही है।

इसका खुलासा आंदोलनकारी साथियों के बीच सामने स्पष्ट रूप से हो चुका है एवं हड़ताली साथियों ने आज 18 वे दिन भी अपनी हड़ताल को जारी रखते हुए सरकार को चेता दिया कि सरकार कर्मचारी विरोधी कदम उठाने के बजाय कर्मियों के जायज मांग को मान ले अन्यथा संघर्ष जारी रहेगा।