- भिलाई स्टील प्लांट के स्पष्टीकरण को लेकर ही सवाल उठा दिए गए हैं। लीजधारियों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल हाउस लीज। ऐसा शब्द, हर कोई पूछ रहा कुछ तो बताओ-प्लीज…। शब्द के खेल में लीजधारियों को उलझाया जा रहा है। पक्ष और विपक्ष के बीच मैच चल रहा था अब भिलाई स्टील प्लांट भी कूद पड़ा। बीएसपी ने पहले से स्थापित लीज के नियमों, शर्तों, प्रक्रिया और अधिकार पर ऐसा शब्दों का झाग फैलाया कि लोगों को लगा, बहुत बड़ा उलटफेर हो गया। लेकिन, सच्चाई यह है कि कांग्रेसियों और भाजपाइयों के बीच चल रही अपनी ढफली-अपना राग के चक्कर में बीएसपी पर बड़ा दाग लग गया।
चुनावी मौसम में कीचड़ बीएसपी प्रबंधन पर उछल गया। सियासी गुणा-गणित लगाया जा रहा है। लीज डीड रजिस्टर्ड करने को लेकर अप्रैल से चल रही गहमागहमी पर एक बार भी भिलाई स्टील प्लांट की जुबां नहीं खुली। जिला प्रशासन, भिलाई नगर निगम के अधिकारियों के साथ चाय-पानी के बीच फैसले होते गए। लीजधारियों की डीड रजिस्टर्ड होनी शुरू हुई।
इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से बैंक से लोन लेने का अधिकार के बाबत विज्ञप्ति जारी की गई। ध्यान देने वाली बात यह है कि कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कांग्रेसी श्रेय ले रहे थे। भाजपा के नेता प्रेस कांफ्रेंस और फेसबुक लाइव के जरिए अपनी बात रखते रहे। इन बातों का लीजधारियों के लिए हो रही प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ा। वहीं, भिलाई स्टील प्लांट केंद्र सरकार के अधीन आता है। यहां भाजपा की सरकार है। अब तो जाहिर है कि बीएसपी की कोई न कोई मजबूरी तो होगी ही…।
इसी बीच शुक्रवार शाम अचानक से भिलाई स्टील प्लांट पुष्पा की तरह प्रकट हुआ और स्पष्टीकरण के शब्दों का जाल बुन दिया। बीएसपी के शब्दों का पोस्टमार्टम भी किया जाएगा। फिलहाल, हाउस लीज आंदोलन से जुड़े राजेंद्र सिंह परगनिहा की बातों पर ध्यान दें।
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उन्होंने प्रबंधन पर ही गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पत्र में कुछ भी नया नहीं है। पुरानी बातों को नए सिरे से परोसा गया है। जो लोग लीज डीड रजिस्टर्ड करा रहे हैं, वे पेपर पढ़ रहे हैं। पढ़े-लिखे लोग हैं। सबको सबकुछ पता है। फिर, इस तरह का स्पष्टीकरण किसको गुमराह करने के लिए दिया गया। पीपी एक्ट की बात की गई है, लेकिन प्रबंधन ने आज तक अमल नहीं किया है। भिलाई में लीज आवास पर पहला अतिक्रमण बीएसपी की वरिष्ठ महिला अधिकारी ने किया। इसके बाद अधिकारियों के अपने-अपने तरीके से निर्माण कराना शुरू किया। देखी-देखा कर्मचारी भी आगे बढ़े।
बीएसपी की टीम ने किस पर क्या कार्रवाई की, इस पर भी स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। राजेंद्र सिंह परगनिहा का कहना है कि हॉस्पिटल सेक्टर में दो ब्लॉक को बीएसपी ने तोड़ा था। 480 लोगों ने केस लगाया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से बीएसपी को बोला कि कार्रवाई से पहले से निगम की अनुमति लिया था, जिस पर कोई जवाब नहीं दिया जा सका। राज्य सरकार और निगम को नजर अंदाज किया ही नहीं जा सकता है। लीजधारियों के लिए अच्छी बात यह है कि उनकी डीड रजिस्टर्ड हो रही है। नियम व शर्तों के तहत कानूनी अधिकारी मिल रहा है।
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बीएसपी के शब्दों का जाल, पढ़िए क्या लगे आरोप
भिलाई स्टील प्लांट के स्पष्टीकरण में लिखा है-बीएसपी की सहमति के बिना लीजधारक नियमितीकरण के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। इस पर लीजधारियों की तरफ से ही सवाल उठा दिया गया है। कहा जा रहा है कि राज्य सरकार के आदेश पर बीएसपी, जिला प्रशासन और भिलाई नगर निगम के बीच सहमति बनी। इसके बाद लीज डीड रजिस्टर्ड होनी शुरू हुई। तीनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बाद ही प्रक्रिया शुरू हुई। आगे जो प्रक्रिया होगी, वह इसी फॉर्मेट पर होगी।
ऐसे में, बीएसपी क्या साबित करना चाह रहा है। क्या लीजधारियों को यह चीज पता नहीं है कि 30 साल की अवधि के लिए सेल प्रबंधन ने आवास दिया है। इसको दो बार यानी 30-30 साल के लिए रिनुअल किया जाएगा। इसका मतलब नियम-शर्तों का पालन करते रहे तो 90 साल तक आवास में रहने का अधिकार लीजधारी के पास होगा। स्पष्ट है कि मालिकाना हक भिलाई स्टील प्लांट के पास ही है। इस बात को कोई इन्कार कर ही नहीं रहा।
नियमितीकरण पर बीएसपी नहीं निगम में कार्रवाई होनी है। इस पर भी बीएसपी, निगम और जिला प्रशासन के बीच सहमति बनने के बाद ही बात आगे बढ़ेगी। इस सच्चाई को भी कोई झुठला नहीं सकता। लीजधारियों का आरोप है कि लोगों को परेशान करने के मकसद से बीएसपी ने एक पार्टी की तरफ से बैटिंग शुरू की है।
टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया जा रहा है। फिलहाल, लीजधारियों की चित भी अपनी और पट भी अपनी है…। पहली 30 साल की मियाद पूरी होने में 7-8 साल बाकी है। घर में निर्माण कराकर रह ही रहे हैं। कोई निकाल नहीं सकता। डीड रजिस्टर्ड होने से कई और सुविधाओं का लाभ भी मिलने लगेगा। सियासी नफा-नुकसान और स्पष्टीकरण पर आप लोग सोचिए…।