- इस्को इस्पात संयंत्र की ज़रूरत के हिसाब से पानी सप्लाई DVC नहीं कर रहा है।
सूचनाजी न्यूज, बर्नपुर। सेल के इस्को स्टील प्लांट बर्नपुर के कर्मचारी पानी के लिए तरस रहे हैं। बर्नपुर टाउनशिप में जल संकट गहराता जा रहा है। कर्मचारी जैसे-तैसे पानी का इंतजाम कर पा रहे हैं। अब तो फ्रिज में जमे बर्फ पिघलाकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से इस्को इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों और उनके परिवारों को पूरी टाउनशिप में उनके क्वार्टर में पीने का पानी ठीक से नहीं मिल रहा है। बर्नपुर से होकर बहने वाली दामोदर नदी में पानी कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है।
यह नदी का पानी इस्को इस्पात संयंत्र के साथ-साथ टाउनशिप में भी सप्लाई होता है। नदी के पानी को दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (DVC) नियंत्रण करता है। इस्को इस्पात सयंत्र मैनेजमेंट के मुताबिक DVC अथॉरिटी ने किसी अनजान वजह से नदी में पानी का बहाव कम कर दिया है।
इस्को इस्पात सयंत्र मैनेजमेंट ने पहले भी DVC से लेटर और ईमेल के ज़रिए इस्को इस्पात सयंत्र की ज़रूरत के हिसाब से पानी सप्लाई करने की अनुरोध किया था, लेकिन DVC ने उनकी मांग पूरी नहीं की। फिलहाल इस्को इस्पात सयंत्र मैनेजमेंट ने वॉटर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट और टाउन सर्विसेज़ को नदी में एक चैनल बनाने का ऑर्डर दिया है, ताकि पानी पंप हाउस तक पहुंच सके।
पानी सप्लाई समयानुसार न होने और पानी दबाव कम होने की वजह से कर्मचारियों और उनके परिवार वालों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें बाज़ार से उच्च कीमत देकर पानी खरीदना पड़ रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि वे पीने का पानी तो खरीद रहे हैं, लेकिन टॉयलेट के लिए मेकअप वॉटर का क्या…। वे इस स्थिति को कब तक मैनेज कर पाएंगे। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें फ्रिज से बर्फ की एक परत निकालकर पिघलने के लिए बाल्टी में रखा, ताकि वह पानी बनें और उसके उपयोग हो।
इस स्थिति से निपटने में यूनियन और मैनेजमेंट दोनों पर ही ध्यान न देने का आरोप कुछ कर्मचारी लगा रहे हैं। इस्को इस्पात संयंत्र के लिए यह पहली बार नहीं है। जब वह इस समस्या से जूझ रहा है। गर्मी हो या मानसून, टाउनशिप में पानी की कमी हमेशा के लिए हो गई है।
यूनियन और मैनेजमेंट के बीच 04-09-2017 को हुए पानी के एग्रीमेंट के अनुसार, कंपनी के दिए गए क्वार्टरों में रहने वाले गैर-कार्यपालक कर्मचारियों से हर महीने 50 चार्ज लिया जाता है और पानी की कुल सप्लाई दिन में 120 मिनट के तीन बार लिए होती थी।
लेकिन इस एग्रीमेंट के बावजूद, इस्को इस्पात संयंत्र मैनेजमेंट लंबे समय से तीन बार पानी सप्लाई करने में नाकाम रहा। सुबह और शाम को ज़्यादा से ज़्यादा 30 मिनट पानी सप्लाई कर रहा था। नाराज़ कर्मचारी कह रहे हैं कि इस्को इस्पात संयंत्र की यूनियनों के पास कोई भी मसला हल करने का कोई क्षमता नहीं है।
वे मैनेजमेंट को लेटर लिख सकते हैं और मिली हुई कॉपी को ज़्यादा से ज़्यादा सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। कुछ कर्मचारी कह रहे हैं कि यूनियनें पानी की इस दिक्कत को लोकल लेवल पर हल नहीं कर सकतीं, तो वे मैनेजमेंट पर बकाया बेसिक-डिए के लिए कैसे दबाव डाल सकती हैं।












