IISCO Steel Plant में निजीकरण की रफ्तार तेज, डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए EOI जारी

Privatisation of IISCO Steel Plant Accelerates EOI Issued for Diagnostic Services
  • इस्को स्टील प्लांट में धीरे-धीरे निजीकरण की दिशा में बढ़ते कदमों की ओर संकेत करती है।

सूचनाजी न्यूज, बर्नपुर। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के इस्को स्टील प्लांट बर्नपुर में निजीकरण की प्रक्रियाएँ तेज होती दिखाई दे रही हैं। बर्नपुर हॉस्पिटल की प्रमुख डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए बाहरी निजी संस्थानों से Expression of Interest (EOI) आमंत्रित किए जाने के बाद कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

जारी आदेश के अनुसार, बर्नपुर अस्पताल के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित मान्यता प्राप्त निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों को अस्पताल द्वारा रेफर किए गए मरीजों के लिए आधुनिक टेस्ट सुविधा उपलब्ध कराने हेतु EOI भेजने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह कदम मेडिकल सेवाओं में निजी संस्थानों की भागीदारी बढ़ने का संकेत दे रहा है।

EOI में उन केंद्रों को पात्र बताया गया है जिनके पास एक ही छत के नीचे उन्नत और नवीनतम उपकरण व सुविधाएं उपलब्ध हों। इनमें शामिल हैं।
NABL मान्यता
16-स्लाइस CT स्कैन, 1.5 टेस्ला MRI
GI एंडोस्कोपी, NCV/EMG
पॉलिसोम्नोग्राफी, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट
अल्ट्रासोनोग्राफी, EEG, फाइब्रोस्कैन

सेल प्रबंधन ने इच्छुक संस्थानों से कहा है कि वे 15 दिनों के भीतर अपनी सुविधाओं और दरों का विस्तृत विवरण सीलबंद लिफाफे में भेजें। विस्तृत जानकारी sailtenders.co.in पर उपलब्ध है।

कर्मचारियों और यूनियनों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में निजी केंद्रों की लगातार बढ़ती भूमिका इस्को स्टील प्लांट में धीरे-धीरे निजीकरण की दिशा में बढ़ते कदमों की ओर संकेत करती है। पहले कई सहायक सेवाएँ आउटसोर्स की गईं, अब डायग्नोस्टिक सुविधाओं के लिए भी निजी संस्थानों को मौका दिया जा रहा है।

इधर प्रबंधन का कहना है कि उद्देश्य मरीजों को बेहतर, तेज और आधुनिक जांच सुविधाएं उपलब्ध कराना है। हालांकि, कर्मचारियों का मानना है कि ऐसी प्रक्रियाएँ आगे चलकर अस्पताल की कई सेवाओं को पूर्ण रूप से निजी हाथों में धकेल सकती हैं, जिसके असर कर्मचारियों के और लागत पर पड़ना तय है।

बर्नपुर में जारी यह नया नोटिस एक बार फिर इस बात पर बहस को तेज करता है कि सेल की स्वास्थ्य और सहायक सेवाओं में निजी भागीदारी किस हद तक बढ़ रही है।