BSP NEWS: मोदी सरकार के लेबर कोड का संयुक्त यूनियनों ने की अवज्ञा, जलाई प्रतियां

United Unions Protest Modi Governments Labor Code, Burn Copies
  • दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र औद्योगिक महासंघों का संयुक्त मंच इन दमनकारी लेबर कोड्स का विरोध उस दिन से कर रहे है, जब से 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म करके पारित किए गए।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर भिलाई स्टील प्लांट की यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन किया। नेताओं ने कहा-21 नवंबर को तमाम विरोधों के बावजूद मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के हित में मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं को दबंगई के साथ लागू कर दिया।

इसके खिलाफ भिलाई के संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर को शाम 6:00 बजे सिविक सेंटर बेरोजगार चौक में एकत्रित होकर लेबर कोड की प्रतियां जलाई एवं सरकार द्वारा जारी किए गए श्रम संहिताओं की अवज्ञा की एवं कहा कि मज़दूर विरोधी लेबर कोड को वापस लो। इस प्रदर्शन मे एटक इंटक, एच एम एस, सीटू, एक्टू, स्टील वर्कर्स यूनियन शामिल थे।

केंद्र सरकार के हठधार्मिता के होंगे घातक परिणाम

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र औद्योगिक महासंघों का संयुक्त मंच इन दमनकारी लेबर कोड्स का विरोध उस दिन से कर रहे है, जब से 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म करके पारित किए गए। 2019 में वेज कोड के पारित होने के तुरंत बाद देशभर में विरोध-आंदोलन शुरू हुए और जनवरी 2020 की आम हड़ताल में परिणित हुए।

और जब अन्य तीन कोड औद्योगिक संबंध कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड, व व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियां कोड, सितंबर 2020 में पारित किए गए, तो तत्काल विरोध हुए और 26 नवंबर की ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल हुई, जिसे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के दिल्ली चलो आंदोलन का समर्थन भी मिला। इसके बाद भी कई संयुक्त कार्रवाइयाँ जारी रहीं, जिनका चरम था 9 जुलाई 2025 की ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल, जिसमें 25 करोड़ से अधिक मजदूरों ने भाग लिया। बावजूद इसके केंद्र सरकार अपने हठधार्मिता से इन लेबर कोड्स को देश के मेहनतकश पर थोप दिया है जिसके घातक परिणाम होंगे।

बिहार चुनाव के नतीजे के बाद उठाया गया ये दुस्साहस पूर्ण मज़दूर विरोधी कदम

संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने कहा कि केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार बिहार चुनावों में मिली जीत से मदमस्त होकर चारों लेबर कोड्स को लागू करने को लेकर “सुपर-एम्पावर” महसूस कर रही है, जिसके कारण लंबे संघर्षों से हासिल श्रम कानूनी अधिकारों को खत्म करते हुए मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी, जो मज़दूरों के हक-अधिकार को बुरी तरीके से छिन्न-भिन्न कर देगी।

क्या होगा इन श्रम कोड्स के लागू होने से

नेताओं ने कहा-इन श्रम कोड्स के लागू होते ही मजदूर उद्योग एवं कार्य दिवस मालिक/नियोक्ता की भी परिभाषा बदल दी गई है। 18000 से ज्यादा कमाने वाला मजदूर नहीं कहलाएगा । तमाम मज़दूर यूनियन बनाने के अधिकार सहित अपने तमाम अधिकारों से वंचित हो जाएगा। स्थाई रोजगार की जगह फिक्स्ड टर्म इम्पालाइमेन्ट (नियत अवधि रोजगार) होगा। ट्रेनी के बहाने क़ानूनन मालिकों को ‘फ़ोकट के मज़दूर’ मिलेंगे। हायर एंड फायर की नीति लागू होगा। हड़ताल के लिए 60 दिन का नोटिस देना होगा। हड़ताल के अधिकार पर हमला करते हुए एक दिन की हड़ताल करने पर 8 दिन का वेतन काटने का प्रावधान किया गया है।

फैक्ट्री की बदली परिभाषा

अब जहां फैक्ट्री में 300 से कम मजदूर है वहां पर ज्यादातर मामलों में अब लेऑफ, छँटनी, बंदी या तालाबंदी के लिए नियोक्ता को अनुमति लेने की जरूरत नहीं रहेगी। इस दायरे में मज़दूरों की लगभग 75% आबादी आ जाएगी। अब 300 से कम मजदूर वाले फैक्ट्री पर स्थाई आदेश लागू नहीं होगा।

रोजगार छोड़कर बाकी सब की होगी गारंटी

कानून में कहा गया है कि समय पर वेतन न्यूनतम वेतन सामाजिक सुरक्षा अपॉइंटमेंट लेटर मिलने की गारंटी होगी किंतु 60 साल वाली नौकरी की गारंटी नहीं होगी। न्यूनतम मज़दूरी तय करने वाले बोर्ड का प्रारूप स्पष्टत मालिकों के पक्ष में बना दिया गया है। मज़दूरी तय करने का वह फार्मूला पूरी तरह से बदल दिया गया है। यानी मालिक मनमर्जी न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के लिए कानूनी रूप से मजबूत हो जाएंगे।