- सोशल मीडिया पर सक्रिय अनिल कुमार नामदेव ने सरकार और ईपीएफओ को आड़े हाथ लिया।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) को लेकर संघर्ष जारी है। देश की राजधानी से लेकर जिलों तक आंदोलन चल रहा है। सोशल मीडिया पर भी आंदोलन की चिंगारी दिख रही है। पेंशनर्स अपनी बात और भड़ास जमकर निकाल रहे हैं।
सोशल मीडिया पर (Social Media) सक्रिय अनिल कुमार नामदेव ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ पर ही सवाल दिया है। EPFO किसका भविष्य सुधारने के लिए बनाई गई थी? शीर्षक से तर्क से अपनी बात रखी है।
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अनिल कुमार रामदेव के मुताबिक बहुत से लोगों का मानना है कि अब हमें पेंशन को भूल ही जाना चाहिए। ठीक है हम भी भूल जाते हैं, चूंकि हमारे पास समय बिताने की लिए बहुत कुछ हो सकता है। लेकिन ज़रा उनकी भी सोचिए, जो इसी पेंशन योजना के सदस्य सरकार ने बना रखा है, जिन्हें 1000 रुपये तक मयस्कर नहीं।
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ये वही सरकारें हैं, जिन्होंने कर्मचारियों के सेवानिवृति के बाद अच्छे भविष्य की गारंटी के लिए तथाकथित कल्याणकारी EPFO जैसे संस्था को जन्म दिया था। यदि योजना में इतनी खामियां थी कि पेंशनरों का जीवन के अंतिम चरण में जीने मरने की स्तिथि में खड़ा होना पड़ जाए तो ऐसी संस्था और ऐसी योजना का निर्माण ही क्यूं किया गया…?
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क्या इसकी यही उपयोगिता रखी गई थी कि कर्मचारियों का पेट काट कर अपना खजाना भरते चले जाएं और बदले में अपनी मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाए? क्या इतनी सी बात सरकार के समझ में नहीं आती कि कोई हज़ार दो हज़ार में दो लोगों का गुजर बसर कैसे कर सकता है?
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प्रजा की सरकारें क्या ऐसी ही होती हैं,जो उन्हें राजा बना देती है। वही उसके शोषण में लग जाए। ये बेइंसाफी नहीं तो क्या है? और ऐसे में पीड़ित इंसाफ के लिए संघर्ष करे तो क्या वो गलत है? खैर हम कर ही क्या सकते हैं। सिवाय किसी के आंसू पोंछने के…। सरकार के लिए तो पेंशनरों के आंसुओं का कोई मोल नहीं…।