- रक्षा मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष डिजाइन और थीम के सलेक्शन के बाद झांकी का 3D मॉडल प्रजेंट किया गया हैं।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर दिल्ली में होने वाले मुख्य आयोजन के लिए इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन हुआ है। इस बार छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल की मुरिया दरबार देखने को मिलेगा। यह कार्यक्रम 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होगा, जहां से दुनिया बस्तर की झलक को देख पाएगी।
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झांकी की थीम और ड्राइंग-डिजाइन (Drawing Design) को क्षेत्रीय लेवल पर वृहद रिसर्च और सीनियर अफसरों के मार्गदर्शन में आकार दिया गया है।
विषयवस्तु पर बेस्ड झांकी को 05 फेस के कठिन प्रोसेस के बाद आखिरी एप्रूवल मिला। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defense) की एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष डिजाइन और थीम के सलेक्शन के बाद झांकी का 3D मॉडल प्रजेंट किया गया हैं।
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सिर्फ 16 प्रदेश का सलेक्शन
डिफरेंट सब्जेक्ट और डिजाइन ने चयनकर्ताओं एक्सपर्ट्स को रिझाने में मदद मिली। छत्तीसगढ़ की झांकी केन्द्र सरकार की थीम भारत लोकतंत्र की जननी पर केन्द्रीय है।
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बस्तर की आदिम जन संसद मुरिया दरबार का आकर्षण दुनिया देखेगी। देश के 28 प्रदेशों के मध्य तगड़ी स्पर्धा के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी का सलेक्शन हो पाया हैं।
प्रदेश की झांकी का डिफरेंट सब्जेक्स और डिजाइन डिफेंस मिनिस्ट्री की एक्सपर्ट कमेटी को रिझाने में सफलता हासिल किया है। दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली मुख्य परेड के लिए देश के 28 में से 16 प्रदेशों का सलेक्शन हुआ हैं।
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मुरिया दरबार क्या है, जानें
यह झांकी बस्तर की जनजाति समाज में प्राचीनकाल से मौजूद लोकतांत्रिक चेष्टा और परम्पराओं को प्रदर्शित करती हैं, जो स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी बस्तर अंचल में प्रचलित हैं और जीवंत भी हैं। इस झांकी में केन्द्रीय विषय आदिम जन-संसद के अन्तर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को शानदार ढंग से प्रस्तुत किया गया हैं।
हम आपको बता दें कि मुरिया दरबार विश्व के प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परम्परा हैं। इसे छह सौ सालों से निभाया जा रहा हैं। इस परम्परा के उद्गम के कर्णधार उत्तर बस्तर के कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलतें है।
इस इलाके से जुड़ी लोक कथाओं के मुताबिक आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज 01 नींबू को अपना राजा का प्रतिरूप मानकर आपस में ही फैसलें ले लिया जाता था।
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