प्रेंगनेंसी के दौरान खाती थी बाल। अपने बाल खाने के साथ-साथ आसपास पड़े दूसरों के बालों को भी खा जाती थी गर्भवती महिला।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। एक प्रेगनेंट लेडी का अचानक पेन होने लगा। पेन बढ़ने के बाद परिजन भी चिंतित हो गए। तुरंत हॉस्पिटल ले गए। जरूरी चेकअप हुआ। BP, सुगर, पल्स भी देखे गए। सभी रिपोर्ट नॉर्मल आई। लेकिन दर्द बढ़ता ही जा रहा था। थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। हैरान और परेशान डॉक्टर्स ने सोनेग्राफ किया। सोनेग्राफ रिपोर्ट देखकर डॉक्टर्स के होश उठ गए। एक्सपर्ट्स को बुलाया गया। डिस्कशन के बाद ऑपरेशन का निर्णय लेना पड़ा।
महिला के पेट से ढाई किलोग्राम (KG) का ठोस तत्व निकाला गया। इसकी जांच-पड़ताल की गई तो यह बालों का गुच्छा था। बाद में पूछताछ करने पर पता चला कि प्रेगनेंट होने के बाद महिला को बाल खाने की आदत लग गई थी। महिला डेली बाल खाती रही और यहीं बाल उसके पेट में जमा होते रहा, जो बाद में गुच्छा बन गया और भयावह रूप ले लिया।
मामला मध्यप्रदेश (MP) के सतना जिले का है। सतना के अंतर्गत आने वाली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम के जानकी कुंड हॉस्पिटल का है। इस हॉस्पिटल में महोबा (UP) जिले की एक महिला आई थी, जो दर्द से कराह रही थी।
महिला का हॉस्पिटल के सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर सर्जनों की टीम ने सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन कर पीड़िता के आमासय से करीब ढ़ाई किलोग्राम (KG) के बालों का गुच्छा निकाला गया हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया कि ऐसे केस में बाल खाने की स्थिति को चिकित्सकीय भाषा ट्रॉइकोमेज्योर कहा जाता हैं।
प्रेग्नेंट महिला को बाल खाने की पड़ी आदत
जानकारों की मानें तो बाल खाने वाली औरतें अमूमन कम एज ग्रुप की होती है। इसके अलावा इसे साइकियाट्रिक भी होती हैं। अमूमन इस तरह एक परसेंट ही केस होते है। पीड़िता महिला के तीन बच्चे है। सबसे बड़ा बच्चा पांच वर्षीय, फिर दो वर्षीय और एक बच्चा फिलहाल पांच महीने का है। महिला को दूसरे बच्चे की प्रेगनेंसी के समय भी बाल खाने की लत लगी थी।
बाल खाने के बढ़ी परेशानी
बालों को खाने की प्रवृत्ति के कारण ही गर्भवती की परेशानी बढ़ती चली गई। महिला अपने बालों को खाने के साथ ही आसपास पड़े हुए दूसरों के बालों को भी खा लेती थी। महिला को दूसरा बच्चा होने के बाद उसने बाल खाना बन्द कर दिया था। लेकिन महिला के पेट में लगातार तकलीफ होती रही। पेट में तकलीफ बढ़ने के बाद ही गर्भवती ने उत्तरप्रदेश के बांदा स्थित डिस्ट्रिक्ट मेडिकल कॉलेज में भी एक्सपर्ट्स को दिखाया था और चिकित्सकों के द्वारा अल्ट्रा साउंड भी कराया गया था, मगर पता नहीं चल पाया।