केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त की बैठक अब शून्य की स्थिति में, SAIL प्रबंधन साइन किए बगैर मीटिंग से बाहर, NJCS बैठक अधर में

Central Chief Labor Commissioner's meeting now in zero status, SAIL management did not sign, doubt on NJCS meeting
सीटू के रवैये को लेकर सेल प्रबंधन ने जाहिर की नाराजगी। बैठक को लेकर अब अजीब स्थिति बन चुकी है।
  • सेल कर्मचारियों के बोनस, बकाया एरियर और निलंबन पर हो रही थी बैठक।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के विभिन्न संयंत्रों, इकाइयों में कार्यरत सभी यूनियनें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, बीएमएस और सेल प्रबंधन के बीच बैठक खत्म हो गई। केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त के कार्यालय में बैठक के मीटिंग मिनट्स पर सेल प्रबंधन ने साइन करने से इन्कार कर दिया है। सीटू के रवैये को लेकर खासा नाराजगी जाहिर की गई। इसी के साथ बैठक शून्य की स्थिति में आ गई है।

जानिए मीटिंग मिनट्स में क्या लिखा है…

यूनियन के प्रतिनिधियों ने पहले प्रस्तुत अपनी मांगों को दोहराया, अर्थात 01.01.2017 से 31.03.2020 तक के बकाया का भुगतान, एचआरए, बोनस और अन्य संबंधित मुख्य मुद्दे जिन पर 21/22.10.2021 के एमओयू में सहमति बनी है।

एमओयू के अनुसार, बकाया भुगतान के तौर-तरीकों पर भी उप-समिति में चर्चा की जानी चाहिए और सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए, लेकिन आज तक इस मामले में कोई समझौता ज्ञापन नहीं आया है।

यूनियन प्रतिनिधियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रबंधन ने फरवरी 2024 से एनजेसीएस की कोई बैठक नहीं बुलाई है, इसलिए मामले में गतिरोध दूर नहीं हो सका। उन्होंने आगे बताया कि इसके परिणामस्वरूप श्रमिकों में व्यापक आक्रोश है।

अब, प्रबंधन के प्रमुख प्रतिनिधि ने प्रस्तुत किया कि संदर्भित समझौता ज्ञापन के अनुसार, उप-समिति का गठन पांच मुद्दों पर काम करने के लिए किया गया था, जिनमें से वेतनमान और भत्ते पहले से ही तय, स्वीकार और कार्यान्वित किए जा चुके हैं और बकाया भुगतान और एचआरए से संबंधित केवल दो मुद्दों पर उप-समिति में चर्चा करने की आवश्यकता है।

लंबी चर्चा के बाद, सुलह अधिकारी ने दिसंबर 2024 के मध्य तक उप-समिति की बैठक बुलाने और उसके बाद 15.01.2025 को या उससे पहले एनजेसीएस की बैठक बुलाने की सलाह दी, ताकि गतिरोध दूर हो और मामले में ठोस निर्णय लिया जा सके।

प्रबंधन और यूनियनों के प्रतिनिधि इसके लिए सहमत हुए। सुलह कार्यालय ने दोनों पक्षों को औद्योगिक शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए औद्योगिक विकास अधिनियम 1947 की धारा 33 (1) (ए) के प्रावधानों का अक्षरशः पालन करने की सलाह दी।

पक्षों की आपसी सहमति से कार्यवाही स्थगित की जाती है। चर्चा की अगली तारीख समय पर बताई जाएगी।