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SAIL वेतन समझौता, एरियर, पदनाम पर फूटा गुस्सा, मैराथन मीटिंग में तय करें मामला, वरना…देखिए वीडियो

SAIL वेतन समझौता, एरियर, पदनाम पर फूटा गुस्सा, मैराथन मीटिंग में तय करें मामला, वरना…देखिए वीडियो
  • सेल प्रबंधन को पत्र देकर मांग किया कि 90 महीना बीत जाने के बाद भी NJCS का वेतन समझौता संपन्न नहीं हो सका है, इसे पूर्ण किया जाए।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited -SAIL) के कर्मचारियों के बकाया एरियर समेत तमाम मुद्दों को लेकर प्रबंधन के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ी जा रही है। 25 जून को हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन सीटू (Hindustan Steel Employees Union CITU) ने सेल की सभी इकाइयों में प्रदर्शन किया। सेल प्रबंधन को पत्र देकर मांग किया कि 90 महीना बीत जाने के बाद भी NJCS का वेतन समझौता संपन्न नहीं हो सका है, इसीलिए प्रबंधन मैराथन बैठक बुलाकर इस वेतन समझौता को संपन्न करवाए। मांग पत्र बीएसपी के आइआर विभाग के सीनियर मैनेजर रोहित हरित को सौंपा गया।

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जून 2021 में हुई थी 6 दिन की मैराथन बैठक

महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने बताया कि प्रबंधन ने केंद्र सरकार (Central Government) की अफॉर्डेबिलिटी क्लाज (Affordability Clause) का पालन करते हुए अप्रैल 2020 तक NJCS बैठक (NJCS Meeting) ही नहीं बुलाया, उसके बाद जब बैठक बुलाया तो हर बैठक में प्रबंधन ने टालमटोल की नीति अपनाई। जिसे देखते हुए सभी यूनियनों ने 30 जून 2021 को सेल के सभी इकाइयों में एकदिवसीय हड़ताल का आह्वान किया।

इस हड़ताल को टालने के लिए भरकश कोशिश करते हुए एक दिन की बैठक के लिए भी तैयार न होने वाला प्रबंधन लगातार 22 जून से 27 जून तक 6 दिन की मैराथन बैठक बुलाई, जिसमें प्रबंधन ने बहुमत के आधार पर 13% एमजीबी तो तय कर रहा पाया। किंतु 15% के अंदर ही पर्क्स को निपटने की प्रबंधन की चाल कामयाब नहीं हो सका।

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कुछ यूनियनें बहुमत में नहीं उलझी होती तो बहुत पहले संपन्न हो चुका होता वेतन समझौता

30 जून के हड़ताल के बाद प्रबंधन ने फिर से तीन यूनियनों का सहारा लेकर बहुमत के आधार पर 26.5% पर्क्स निर्धारित करवाया। ज्ञात हो की 30 जून के हड़ताल में आखिरी समय में इंटक ने अपने आप को अलग कर लिया था, उसके बाद बोनस निर्धारण करने हेतु बनाए गए फार्मूला एवं रात्रि पाली भत्ता के निर्धारण में भी बहुमत का ही खेल खेला गया। यदि बहुमत का खेल नहीं खेला गया होता तो बहुत पहले वेतन समझौता हो चुका होता।

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हर मामले में स्टील मिनिस्ट्री का हवाला देकर बच रहा है प्रबंधन

सहायक महासचिव टी. जोगा राव ने कहा कि 1 जनवरी 2017 से शुरू होने वाला वेतन समझौता को 3 साल तक टालने की बात हो, 39 महीने का एरियर देने की बात हो या फिर फेस रीडिंग बायोमेट्रिक पद्धति से हाजिरी लगाने की बात हो हर मामले में प्रबंधन स्टील मिनिस्ट्री का हवाला देकर बचता आ रहा है, जबकि NJCS की परिपाटी के अनुसार कर्मचारियों के लिए निर्धारित किए जा रहे।

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वेतन समझौते में सभी फैसले सर्व समिति से लिए जाने हैं एवं लिए गए फैसलों के अनुरूप मंत्रालय अथवा अन्य विभागों से उन फैसलों पर अनुमोदन लेकर उसे लागू करवाना प्रबंधन की जिम्मेदारी है, जिसे स्टील मिनिस्ट्री का हवाला देखकर बचा नहीं जा सकता है।

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प्रबंधन ने फिर किया रात्रि पाली भत्ता देने में भेदभाव

उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा-प्रकृति में दिन जगने और रात सोने के लिए बना है। किंतु सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे उत्पादन को निरंतर जारी रखने के लिए दिन एवं रात सभी समय कार्य करते रहना जरूरी है, जो भिलाई इस्पात संयंत्र में भी होता है। जिसमें कार्य करने वाले नए प्रशिक्षणार्थी कर्मी स्थाई कर्मी एवं अधिकारी सभी को रात्रि पाली में जागकर काम करना होता है।

किंतु रात्रि पाली में काम करने वालों प्रशिक्षणार्थी के लिए 60 रुपए, स्थाई कर्मी के लिए 180 रुपए एवं अधिकारियों के लिए 200 रुपए रात्रि पाली भत्ता निर्धारित कर रात्रि पाली में काम करने वालों के बीच में भेदभाव किया है, जबकि सभी को रात्रि पाली में काम करते समय जगना होता है।

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सभी मुद्दों को लेकर कर्मियों को लामबंद करेगा सीटू

प्रदर्शन के दौरान सीटू नेता एसपी डे ने पदनाम और एनईपीपी का मुद्दा उठाया। गलत सर्कुलर का आरोप लगाया। श्रमिक नेताओं ने कहा-सीटू हमेशा से ही स्वतंत्र एवं संयुक्त आंदोलन का पक्षधर रहा है। हालांकि सर्वसम्मति के बजाय बहुमत से लिए गए निर्णय ने संयुक्त की एकता को कई बार कटघरे में खड़ा किया है।

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बावजूद इसके सीटू एकता संघर्ष एकता के नारे के साथ कर्मियों से जुड़े सभी मुद्दों को लेकर कर्मियों के बीच जाएगा एवं उन्हें लामबंद करेगा। क्योंकि एकता संघर्ष एकता ही एकमात्र विकल्प है, जिस पर सभी यूनियनों को एक मंच पर आना होगा, तभी कर्मियों के पक्ष मे समझौता को पूर्ण करवा पाएंगे।

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